गबर सिंह भण्डारी श्रीनगर गढ़वाल
श्रीनगर गढ़वाल :- हेमंती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र एवं समाजकार्य विभाग तथा पर्वतीय विकास शोध केंद्र के तत्वधान में चिपको के 50 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में गौरा देवी स्मृति सम्मान एवं व्याख्यान का आयोजन किया गया।
जिसमें खिर्सू ब्लॉक के मरोड़ा गांव की 80 वर्षीय शकुंतला खंडूरी को कृषि उद्यान एवं पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय कार्यों के लिए इस वर्ष का प्रतिष्ठित समान “गौरा देवी स्मृति सम्मान” से सम्मानित किया गया यह सम्मान उन्हें हिमालयी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर जे०पी पंचौरी एवं सामाजिक विज्ञान विभाग के डीन प्रोफेसर हिमांशु वौड़ाई एवं समाजशास्त्र एवं समाजकार्य विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर किरन डंगवाल के हाथों प्रदान किया गया सम्मान में उन्हें प्रशस्तुति पत्र ,स्मृति चिन्ह, अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर आयोजित सम्मान एवं व्याख्यानमाला के मुख्य अतिथि हिमालयी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर जे०पी०पंचोरी ने कहा कि चिपको आंदोलन की विशेष पहल यह है कि इसमें हिमालयी क्षेत्र में सदियों से कुंठित महिलाओं की भाषाओं को मारा है उन्हें अपनी शक्ति का परिचय कराया पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में चिपको आंदोलन में गौरा देवी के द्वारा कार्य किए गए।
भारत में ही नहीं अपितु पूरे विश्व में दिखाई देता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सामाजिक विज्ञान विभाग के प्रोफेसर हिमांशु वौड़ाई ने कहा है कि आज हर किसी सफल आंदोलन में महिलाएं सबसे आगे दिखाई देती हैं। उत्तराखंड में शराब विरोधी आंदोलन रहे हो या पृथक उत्तराखंड राज्य प्राप्तिआंदोलन या कोई अन्य आंदोलन रहे हो सभी में महिलाओं ने अपनी स्वयं की प्रशासनिय भागीदारी से अंकित किया है।
समाजशास्त्र एवं समाजकार्य की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर किरन डंगवाल ने कहा कि वनों की आंधी लूट और विसंगतियों के खिलाफ गढ़वाल हिमालय के चमोली जनपद में 1973 में चिपको आंदोलन की शुरुआत यू आंदोलन रोज गौरा देवी के सयोग से अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण के प्रश्नों पर चलने वाले आंदोलनों से जुड़ गया है तथा पर्यावरण संरक्षण का प्रमुख प्रणेता आंदोलन राष्ट्रीय गौरव प्राप्त कर रहा है।
पर्वतीय विकास केंद्र के नोडल अधिकारी डॉ० अरविन्द दरमोड़ा ने कहा कि गौरा देवी के बारे में हमारे गढ़वाल विश्वविद्यालय में गौरा देवी स्मृति व्याख्यानमाला का आयोजन किया जाता है जो कार्यक्रम 2005 से प्रारंभ किया गया।
प्रथम व्याख्यान तत्कालीन डीन एवं कुलपति प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल ने दिया था।
कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर डॉ० जे०पी०भट्ट ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर विभाग द्वारा पर्यावरण शोधकर्ता समीर रतूड़ी एवं सामाजिक कार्यकर्ता अंशीलाल को भी सम्मानित किया गया इस अवसर पर शोध छात्र अंकित उछोंली, राजेंद्र बिष्ट, धारणा शर्मा, बंदना डंगवाल, शिवानी, भगत, मौजूद रहे।
कार्यक्रम में डॉ०दिनेश चौधरी ने सम्मान पत्र, परिचय पड़ा व संचालन अनुष्का पांडे द्वारा किया गया।