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श्रद्धालुओं की संख्या दोगुनी, विकास कार्यों ने बदला स्वरूप

सीतापुर । नैमिषारण्य तीर्थ की सूरत अब बदलने लगी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यहां हो रहे तीव्र विकास कार्यों ने न केवल श्रद्धालुओं को आकर्षित किया है, बल्कि स्थानीय लोगों की भी आर्थिक स्थिति में बदलाव लाया है। कभी उपेक्षित रहने वाला यह स्थल आज प्रदेश के प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थलों में शुमार हो चुका है।

2017 के बाद तीर्थ में दिखने लगा बदलाव
वर्ष 2017 में नैमिषारण्य को विकास प्राधिकरण घोषित किए जाने के बाद यहां तीव्र गति से विकास कार्य शुरू हुए। तब 84 कोसीय परिक्रमा में जहां केवल डेढ़ लाख श्रद्धालु शामिल होते थे, अब यह संख्या बढ़कर 4-5 लाख तक पहुंच चुकी है। अमावस्या पर चक्रतीर्थ में स्नान करने वालों की संख्या भी 50 हजार से बढ़कर अब 2 लाख के पार हो गई है। सालभर में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या अब 2 करोड़ के करीब पहुंच गई है।

परियोजनाओं पर खर्च हो रहे हैं करोड़ों रुपये
योगी सरकार ने नैमिषारण्य में ढांचागत विकास, सौंदर्यीकरण और कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए करीब 150 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाएं शुरू की हैं। चक्रतीर्थ द्वार का निर्माण, शयनगृह, हेलीपोर्ट, सड़कों का चौड़ीकरण, तालाबों का विकास और पार्किंग सुविधाओं के लिए करोड़ों रुपये मंजूर किए गए हैं। चक्रतीर्थ कुंड परिसर पर ही 22.77 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री खुद कर रहे निगरानी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं समय-समय पर विकास कार्यों की समीक्षा कर रहे हैं। जिलाधिकारी अभिषेक आनंद के अनुसार सभी परियोजनाएं समयबद्ध व गुणवत्तापूर्ण तरीके से पूरी करने के निर्देश हैं।

दक्षिण भारत से भी आने लगे हैं श्रद्धालु
दक्षिण भारतीय मंदिरों में नैमिष तीर्थ का प्रचार-प्रसार और सोशल मीडिया के माध्यम से बढ़ती लोकप्रियता के चलते अब यहां दक्षिण भारत से भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं।

स्थानीय लोगों को मिला रोज़गार
स्थानीय पुरोहित प्रह्लाद बाबू दीक्षित का कहना है कि, “पहले की सरकारों ने नैमिषारण्य की उपेक्षा की, लेकिन योगी सरकार ने इस तीर्थ को फिर से जीवंत कर दिया है।”
वहीं होटल व्यवसायी प्रशांत ठाकुर कहते हैं, “श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या से स्थानीय व्यापारियों, ट्रैवल एजेंसियों और दुकानदारों को सीधा लाभ हुआ है।”

88 हजार ऋषियों की तपोभूमि फिर लौट रही गौरव की ओर
नैमिष तीर्थ को 88 हजार ऋषियों की तपस्थली माना जाता है। मान्यता है कि भगवान विष्णु के चक्र से चक्रतीर्थ की उत्पत्ति हुई थी। अब यह स्थल न केवल श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि आधुनिक सुविधाओं से युक्त एक समृद्ध तीर्थ क्षेत्र के रूप में उभर रहा है।

By admin