देहरादून,सरस्वती विद्या मंदिर कालसी में गुरु पूर्णिमा उत्सव धूमधाम से मनाया गया ,भारतीय किसान संघ धर्म जागरण मंच संघ परिवार और विद्या मंदिर परिवार की तरफ से कालसी में स्थित गुरु पूर्णिमा पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाया इस अवसर पर वक्ताओं ने गुरु की महिमा का बखान किया और गुरु के प्रति समाज में समर्पण श्रद्धा पर प्रकाश डालते हुए प्रधानाचार्य श्रीमान अशोक गौड़ भारतीय किसान संघ के संगठन मंत्री उत्तराखंड सुकर्म पाल राणा हिंदू जागरण मंच गिलास हरिद्वार श्रीमान राकेश उत्तराखंडी खंड कार्यवाह श्रीमान दिनेश शर्मा जी अभय चौहान शुभम राजगुरु सहित अनेक लोगों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा के बिना गुरु के मार्गदर्शन के मनुष्य पशु के समान है जब तक उसकी शिक्षा-दीक्षा नहीं हो जाती तब तक उसको समाज में कोई मान सम्मान उपलब्ध नहीं होता और समाज को वैभवशाली संस्कारवान बनाने के लिए हमेशा गुरु की आवश्यकता होती हैं ओके जब बच्चा पैदा होता है अनपढ़ होता है गुरु के स्पर्श में आएगा तब उसके अंदर ज्ञान की ज्योति जलेगी और वह दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति करेगा इस मौके पर एकलव्य का ध्यान देते हैं भारतीय किसान संघ के संगठन मंत्री उत्तराखंड श्री राणा ने कहा की एकलव्य को गुरु द्रोणाचार्य जी ने धनु विद्या की शिक्षा देने से मना कर दिया था क्योंकि गुरु द्रोणाचार्य जी अर्जुन को सर्वश्रेष्ठ धन उदाहरण का आशीर्वाद दे चुके थे इसके बाद एक लवली गुरु द्रोणाचार्य की मिट्टी की मूर्ति बनाकर उसके सामने अभ्यास किया और एक दिन किसी कुत्ते के मुंह में कितने बाण चलाए इसको गुरु द्रोणाचार्य जी देखकर दंग रह गए उन्होंने एकलव्य जी को अर्जुन के समक्ष अर्जुन के मुकाबले उसके दाहिने हाथ के अंगूठे की गुरु दक्षिणा लेकर अर्जुन को सर्वश्रेष्ठ घोषित कर दिया लेकिन एक लव जी ने गुरु दक्षिणा में दाहिने हाथ का मौका देकर अपने गुरु के प्रति जो श्रद्धा निभाई वह इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में हमेशा हमेशा दर्ज हो गया ऐसा शीश का दूसरा उदाहरण गुरु के प्रति समर्पण का नहीं मिलता उन्होंने कहा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ डॉ हेडगेवार जी द्वारा 1925 में संघ की स्थापना से आज तक गुरु पूर्णिमा उत्सव गुरु दक्षिणा के रूप में मनाया जाता है उसे गुरु दक्षिणा से जो राशि संग्रह होती है उससे संघ परिवार के पूर्णकालिक प्रचारक अथवा प्राकृतिक आपदा बाढ़ भूकंप रेल दुर्घटना दुर्घटना विमान दुर्घटना जैसे मुद्दे पर सहयोग के रूप में खर्च की जाती है जिससे समाज में विश्वास बढ़ रहा है और जहां विश्वास है कभी किसी चीज की कोई कमी नहीं रहती हार का कार्टून गुरु दक्षिणा का नहीं था गुरु पूर्णिमा का कार्यक्रम था जो बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया ,