डी-वर्मिग से बेहतर पोषण और उत्तम स्वास्थ्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती

राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस
कृमि की वज़ह से शरीर में हीमोग्लोबिन की उपलब्धता कम होने के कारण ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता कम हो जाती
डी-वर्मिग से बेहतर पोषण और उत्तम स्वास्थ्य
स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश, 10 फरवरी। राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन परिवार के सदस्यों ने परमार्थ विद्या मन्दिर के बच्चों को डी-वर्मिग की टेबलेट वितरित कर संदेश दिया कि नियमित रूप से डीवर्मिंग करने से बच्चों और किशोरों में कृमि संक्रमण समाप्त हो जाता है, जो बेहतर पोषण और उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त करने में योगदान देता है।
डी-वर्मिग न लेने से कृमि रक्त सहित मानव शरीर के ऊतकों पर फ़ीड करते हैं, इससे शरीर में लोहे और प्रोटीन की हानि होती है, जिसके परिणामस्वरूप एनीमिया हो सकता है। शरीर में कम हीमोग्लोबिन (एचबी) उपलब्ध होने के कारण ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता कम हो जाती है। कई बार कृमि संक्रमण से दस्त भी हो सकते हैं; पेचिश; भूख में कमी के साथ एक ऐसी स्थिति जो छोटी आंत के माध्यम से पोषक तत्वों के अवशोषण को रोकती है इसलिये हर छः माह में डी-वर्मिग जरूरी है।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने विदेश से भेजे अपने संदेश में कहा कि स्वच्छता के विभिन्न आयामों को अपनाकर हम कृमि और एनीमिया मुक्त भारत का निर्माण कर सकते हैं। व्यक्ति, घर, परिवार, समाज और देश में स्वच्छता को जीवनशैली के रूप में अपनाकर ही सार्वभौमिक स्वच्छता की ओर बढ़ा जा सकता है। स्वच्छता के अभाव में भारत में पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की सबसे अधिक मौतें होती हैं इन आंकडों को कम करने के लिये जागरूकता और सहभागिता सबसे जरूरी है।
स्वच्छता के अभाव के कारण बच्चों के शरीर में मिट्टी-संचारित कृमि संक्रमण का खतरा बना रहता है इसलिये स्वस्थ रहने के लिये स्वच्छता को अपनाना बहुत जरूरी है।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वर्ष में दो बार राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का आयोजन किया जाता है ताकि छोटे बच्चों और किशोर-किशोरियों को उत्तम स्वास्थ्य प्रदान किया जा सके। कृमि मुक्ति दिवस वर्ष में दो बार 10 फरवरी और 10 अगस्त को पूरे देश में मनाया जाता है। इसके अन्तर्गत सरकारी स्कूलों, सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों, आँगनवाडि़यों, निजी स्कूलों तथा अन्य शैक्षणिक संस्थानों में 1-19 वर्ष की आयु के बच्चों और किशोर-किशोरियों को कृमि से बचाव हेतु सुरक्षित दवा अलबेंडेजौल दी जाती है ताकि संक्रमण से आंतों में उत्पन्न होने वाले परजीवी कृमि को खत्म किया जा सके।