प्रदीप कुमार
ऊखीमठ/श्रीनगर गढ़वाल। पंच केदारों में तृतीय केदार तुंगनाथ धाम हिमालय में सबसे ऊंचाई पर है। तुंगनाथ धाम में भगवान शिव के भुजाओं की पूजा होती है। शिव पुराण के केदारखण्ड के अध्याय 49 के श्लोक संख्या 1 से लेकर 47 तक तुंगनाथ धाम का विस्तृत वर्णन किया गया है। तुंगनाथ धाम पंच केदारों में तृतीय केदार के नाम से विश्व विख्यात है तथा तुंगनाथ धाम चन्द्र शिला की तलहटी में बसा हुआ है। तुंगेश्वर महा क्षेत्र के बारे में सुनने से मनुष्य सभी पापों से नि: सन्देह मुक्त हो जाता है! केदार खण्ड के अध्याय 49 में तुगेश्वर क्षेत्र का विस्तृत से वर्णन करते हुए कहा गया है कि मान्धाता क्षेत्र के दक्षिण दिशा में दो योजन चौड़ा,दो योजन लम्बा,पापनाशक तथा सकलकामनादायक तुंगनाथ नामक पवित्र क्षेत्र है,जिसके दर्शन से मनुष्य पापमुक्त होकर शिव को प्राप्त करता है। महादेव जी तुंगनाथ क्षेत्र के बारे में बताते हुए कहते हैं कि पहले भैरव को नमस्कार करके समस्त कामनाओं की सिद्धि के लिए मनुष्य यक्षों से मुक्त मेरे क्षेत्र में प्रवेश करे। जो तुंगनाथ नामक मेरे लिंग का पूजन करता है, उस महात्मा के लिए तीनों लोको मे कुछ भी दुर्लभ नहीं रहता है। तुंगनाथ क्षेत्र में हमेशा ब्रह्म आदि देवता सदा देवों के देव महात्मा महेश्वर की स्तुति करते हैं। जो मेरे लिंग पर जल मात्र देता है उस जल के जितने कण लिंग पर पड़ते हैं उतने हजार वर्षों तक वह शिव लोक में पूजित होता है। जो बिल्वपत्र लेकर उससे शिव का पूजन करता है वह शिवलोक में एक कल्प तक वास करता है। महादेव जी बोलते है कि मेरे लिंग पर जितने अक्षत चढा़ये जातें हैं उतने हजार वर्षों तक वह मेरे लोक में प्रतिष्ठित होता है। जितने पुष्प मेरे ऊपर रखें जातें हैं उतने हजार वर्षों तक मनुष्य स्वर्ग में रहता है। जो धूप,दीप देता है वह नरकों को नहीं देखता। जो विविध प्रकार का नैवेद्य मुझे भक्तिपूर्वक अर्पण करता है वह हजार जन्मो तक तुच्छ भोजन नहीं करता है तथा जो भक्तिपूर्वक मेरा पूजन करके दक्षिणा देता है वह हजार जन्मों तक दरिद्र नहीं होता है। महादेव बोलते है कि जो भक्ति से विधिपूर्वक तुंगेश्वर का पूजन करता है वह करोड़ कल्पों तक मेरे शिवलोक में वास करता है। जो कोई मानव तुंगनाथ क्षेत्र में भक्ति से प्राणों का त्याग करता है उसकी हडि्डयां जितने दिनों तक उस क्षेत्र में रहती है उतने हजार युगों तक वह शिव लोक में पूजित होता है। जो मनुष्य एक बार भी तुंग क्षेत्र के दर्शन कर लेते हैं वे किसी भी प्रदेश में मरने पर परम गति को प्राप्त करते हैं। तुंगनाथ धाम के शीर्ष पर चन्द्र शिला शिखर पर पतित पावन गंगा मैया का तीर्थ मौजूद है जहां पर तुंगनाथ धाम की तर्ज पर पूजा-अर्चना का विधान है। तुंगनाथ धाम की तलहटी में रावण शिला मौजूद है जहां पर रावण ने वर्षों तक तपस्या की थी। तुंगनाथ घाटी के प्रख्यात कथावाचक आचार्य लम्बोदर प्रसाद मैठाणी कहते हैं कि तुंगनाथ धाम पाप विनाशक,बुद्धि,आयु,यश,सम्पत्ति,सुख आदि को बढ़ाने वाला,पुत्र-पौत्रादी,वंश मुक्ति,मोक्ष,शिव ज्ञान,शिव भक्ति एवं शिव पद देने वाला तीर्थ है। तुंगनाथ धाम में कपाट खोलने की सभी तैयार पूरी कर ली गयी है तथा देहरादून निवासी सुरेन्द्र असवाल,अगस्त्यमुनि निवासी धीर सिंह नेगी,मक्कू गांव निवासी जीतना भण्डारी व योगेन्द्र भण्डारी सहित कई भक्तों के सहयोग से तुंगनाथ मन्दिर को लगभग 8 कुन्टल फूलों से सजाया गया है। तुंगनाथ यात्रा पड़ावों पर तीर्थ यात्रियों,पर्यटकों व सैलानियों की आवाजाही होने से रौनक लौटने लगी है।