भारतीय ग्रामीण विरासत एवं विकास ट्रस्ट गढ़वाल क्लब द्वारा प्राचीन विरासतों की जागरूकता संवर्धन एवं संरक्षण विषय पर हुआ एक कार्यक्रम आयोजित*

प्रदीप कुमार

श्रीनगर गढ़वाल। भारतीय ग्रामीण विरासत एवं विकास ट्रस्ट गढ़वाल क्लब के द्वारा प्राचीन विरासतों की जागरुकता,संवर्धन एवं संरक्षण विषय पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि पद्म विभूषण से सम्मानित पूर्व प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव भारतीय ग्रामीण विरासत और विकास ट्रस्ट के अध्यक्ष एसके मिश्रा एवं मुख्य वक्ता ट्रस्ट के उपाध्यक्ष एवं गढ़वाल विश्वविद्यालय के चांसलर डॉक्टर योगेंद्र नारायण,गढ़वाल हेरिटेज क्लब के अध्यक्ष प्रोफेसर एम.एम.सेमवाल,अपर निदेशक उत्तराखंड टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड की पूनम चांद,हेरिटेज के एम्बेसडर डॉ.सर्वेश उनियाल,डॉ.नागेंद्र रावत व विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर,शोधार्थी एवं अन्य सदस्य सम्मिलित हुए।
इस अवसर पर पद्म विभूषण डॉ.एस.के.मिश्रा ने कहा कि भारत जैसे विविधता वाले देश का अपना इतिहास,कल्चर,म्यूजिक,डांस लैंग्वेज हैं जो यहां की धरोहर और संस्कृति को संजोय रखती हैं। हमें इन सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण कर इनका दस्तावेजीकरण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को स्थानीय स्तर पर अपनी धरोहरों और विरासतों को संरक्षित करने में अपनी अहम् भूमिका निभानी चाहिए। युवाओं को इन धरोहरों के प्रति संवेदनशील हो कर उनका महत्व समझना चाहिए।
बतौर मुख्य वक्ता डॉ.योगेंद्र नारायण ने कहा कि हमें अपनी संस्कृति एवं धरोहर की पहचान कर उनका संरक्षण करना चाहिए। उन्होंने बताया कि हेरिटेज केवल बिल्डिंग से संबंधित नहीं है। इसमें भाषा,संस्कृति,गायन,नृत्य,वाद्ययंत्र इत्यादि सभी आते हैं,हमें इनका संरक्षण करना चाहिए, गढ़वाल हेरीटेज क्लब को विभिन्न स्थानों में जाकर उन स्थानों को चिन्हित कर वहां की इमारत,गीत,संस्कृति एवं विरासतों को संरक्षित करना चाहिए। डॉ.नारायण ने कहा कि उत्तराखंड में नंदा देवी पार्क एवं फूलों की घाटी,रम्माण नृत्य जिसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर की सूची में सम्मिलित किया गया है,इसी प्रकार हमें अपनी अन्य विरासतों को भी संरक्षित करना चाहिए तथा उसके महत्व को समझना चाहिए तथा इसमें आम लोगों की भागीदारी को सुनिश्चित करना चाहिए। अपनी विरासतों,धरोहर का संरक्षण करना हमारा अधिकार है,। डॉ.नागेंद्र नारायण कहा कि छात्रों में अपने धरोहर एवं विरासतों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए एक निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा जिसमें प्रथम पुरस्कार 2000 रूपये,द्वितीय 1000 एवं तृतीय पुरस्कार 500 रुपये की धनराशि दी जाएगी।
प्रोफेसर एम.एम.सेमवाल द्वारा गढ़वाल क्लब के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी गई और बताया गया कि हमें अपनी विरासत संस्कृति,गायन,नृत्य,चित्र,इमारत आदि का संरक्षण करना चाहिए। इस संबंध में हम लोग देहरादून के जौनसार में खुमरी व्यवस्था,ग्राम सयाना,महासू मंदिर शैली तथा उत्तरकाशी के गावों में भूकंप प्रतिरोधी भवन शैली पर भी काम कर रहे हैं।गढ़वाल क्लब द्वारा इन धरोहरों के एवम विरासतों के प्रति जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। एवं इसके साथ-साथ हेरिटेज वॉक कार्यक्रम का प्रारंभ भी किया गया है,जिनमें उन स्थानों पर जाकर वहां की सांस्कृतिक,चित्रकला,इमारत आदि का सर्वेक्षण किया जाता है।
इसी क्रम में अपर निदेशक पूनम चांद ने बताया कि उनके द्वारा विभिन्न जिलों में हेरिटेज कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। जिसमें उन्होंने हेरीटेजों को किस प्रकार से संरक्षित एवं उनका विकास किया जाना चाहिए,अपने प्रेजेंटेशन द्वारा इसकी जानकारी दी गई । उनके द्वारा उत्तराखंड में हेरिटेज साइट को भी चिन्हित किया गया,जिसमें देवलगढ़ राजराजेश्वरी मंदिर,पौड़ी,गर्तांग नेलांग वैली उत्तरकाशी,पिथौरागढ़ फोर्ट,सतीघाट हरिद्वार,चौरासी कुटिया ऋषिकेश,के साथ टिहरी,उत्तरकाशी,पौड़ी,रूद्रप्रयाग और चमोली जनपद में गढ़वाल विश्वविद्यालय के साथ मिलकर 150 डेस्टिनेशन गाइड प्रशिक्षित किए गए। डॉ.नागेंद्र रावत द्वारा बताया गया कि दो प्रकार की विरासतें होती हैं,सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक विरासत। हमें प्रत्येक गांव की एक एक विरासत के महत्व को समझ कर उसकी हिस्ट्री एवं स्टोरी तैयार करनी चाहिए। उनके द्वारा बताया गया की उन्होंने 300 गढ़ों को चिन्हित किया है,जिसमें से 200 को पुष्टीकरण किया गया है।
अंत में डॉ.सर्वेश उनियाल ने कहा कि उनके द्वारा देवलगढ़,चांदपुरगढ़ तथा गोपेश्वर मंदिर,ऋषिकेश से देवप्रयाग तक हेरिटेज वॉक का आयोजन किया गया। जिसमें उन स्थानों के नजदीकी स्कूलों एवं गांव को जोड़कर संबंधित विरासतों के संस्कृति और महत्व की जानकारी एकत्र की गई। तथा उन्होंने कहा कि हमने स्वामी विवेकानंद एवं महात्मा गांधी पर्यटन सर्किट पर काम किया है। कार्यक्रम का संचालन विदुषी डोभाल द्वारा किया गया। डॉ.मनस्वी सेमवाल ने सभी अतिथियों एवं सदस्यों का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में प्रोफेसर राजेश पालीवाल,डॉ.प्रकाश लखेड़ा,डॉ.मनोज कुमार,डॉ.मुकेश भंडारी,डॉ.सरिता मलिक,शीतल आर्या,डॉ.दीपक पालीवाल,प्रोफेसर सुनील खोसला,डॉ.अनिल सैनी,डॉ.देव कृष्ण थपलियाल आदि सहित 96 लोग उपस्थित थे।