एनआईटी उत्तराखंड में शैक्षिक गुणवत्ता और पाठ्यक्रम आंकलन के लिए अकादमिक आडिट का कार्य शुक्रवार से प्रारंभ*

 

प्रदीप कुमार

श्रीनगर गढ़वाल। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, उत्तराखंड (एनआईटी यूके) में विभागों के शैक्षिक गुणवत्ता और पाठ्यक्रम आंकलन के लिए अकादमिक आडिट का काम शुक्रवार से शुरू हो गया। विभागों की गुणवत्ता परखने लिए बाहरी विशेषज्ञों का ग्यारह सदस्यीय दल गुरुवार को एनआईटी पहुंचकर शुक्रवार से एकेडमिक ऑडिट का काम शुरू कर चुकी है। आईआईटी दिल्ली से सेवानिवृत्त प्रोफेसर चंद्र शेखर की अध्यक्षता में ऑडिट टीम 26 अप्रैल से 28 अप्रैल के मध्य सभी विभागों का एकेडमिक ऑडिट करेगी। टीम के अन्य सदस्यों में एनआईटी सिक्किम के डायरेक्टर प्रोफेसर एम.सी.गोविल,आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर वीरेन्द्र सिंह,एनआईटी सिलचर के प्रोफेसर दिलीप कुमार वैद्य,एमएनआईटी जयपुर के प्रोफेसर महेश कुमार जाट,आईआईटी रोपड़ के प्रोफेसर ज्योतींद्र सिंह साहम्बी,एनआईटी कुरुक्षेत्र के प्रोफेसर अश्विनी कुमार,आईआईटी मंडी के प्रोफेसर सतिंदर कुमार शर्मा,आईआईटी दिल्ली के एमेरिटस प्रोफेसर.एच.एम.गुप्ता,डीटीयू के प्रोफेसर एस माजी और एमएनआईटी जयपुर के प्रोफेसर अमर पटनायक शामिल है।
एनआईटी के निदेशक प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी ने कहा कि अकादमिक ऑडिट,बाहृय रूप से शैक्षिक प्रक्रिया की गुणवत्ता की समीक्षा करने की एक वैज्ञानिक एवं प्रणाली गत पद्धति है और मेरा मानना है कि किसी संस्थान में शैक्षणिक गतिविधियों की कमजोरियों और ताकत की पहचान के लिए अकादमिक ऑडिट बहुत महत्वपूर्ण है। इसके अलावा,आत्मनिरीक्षण करने और शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार करने के लिए एवं विश्व स्तर पर शैक्षणिक संस्थान की स्वीकृति के के रूप में भी अकादमिक ऑडिट जरूरी है।
प्रोफेसर अवस्थी ने बताया कि इस ऑडिट का उद्देश्य मौजूदा शैक्षणिक और अनुसंधान प्रक्रियाओं को समझने,शिक्षा गुणवत्ता प्रक्रियाओं का मूल्यांकन,अनुसंधान गतिविधियों की गुणवत्ता और शैक्षणिक प्रक्रिया के आउटपुट की गुणवत्ता सुनिश्चित करना,गुणवत्ता का नया बेंचमार्क स्थापित करने के लिए पाठ्यक्रम कैसे डिजाइन किया जाता है,क्या पढ़ाया जाता है,किस क्रम में और किस परिप्रेक्ष्य में पढ़ाया जाता है और मूल्याकन कैसे किया जाता है और छात्रों को सिखाने के लिए किस विधि का उपयोग किया जाता है आदि बातों कि जांच परख करना है। उन्होंने कहा कि इसके लिए संस्थान ने मुख्य रूप से ग्यारह मानदंडों की पहचान की है और उसके आधार पर अकादमिक लेखा परीक्षा आयोजित करने के लिए एक प्रारूप तैयार किया है। इन मानदंडों में पाठ्यक्रम,शिक्षण अधिगम प्रक्रिया,संकाय की संख्या और उनकी योग्यता,प्रयोगशालाएं,शोध कार्य,फंड,सीखने के संसाधन,छात्र सुविधाएं,नवाचार और सर्वोत्तम अभ्यास,गुणवत्ता मूल्यांकन और बाहरी दुनिया और पूर्व छात्रों के साथ सम्बन्ध आदि शामिल है।
प्रोफेसर अवस्थी ने कहा कि संस्थान अकादमिक ऑडिट के सुधारात्मक उपायों को लेकर आशावादी है,इससे निश्चित रूप से संस्थान में शिक्षण और अनुसंधान की गुणवत्ता और स्तर में वृद्धि होगी। इसके अलावा रिपोर्ट की विस्तृत जांच शैक्षणिक और अनुसंधान परिणामों में नए मानक हासिल करने में सहायक होगी।
विशेषज्ञों के दल ने अपने तीन दिवसीय दौरे के पहले दिन ऑडिट टीम के सदस्यों ने पुस्तकालय,कंप्यूटर सेंटर,छात्रावास,इंडोर आउटडोर खेल सुविधाओं,इंटरनेट मेस एवं कैंटीन फैसिलिटी जैसे केंद्रीय संसाधनों एवं छात्र सम्बन्धी सुविधाओं का निरीक्षण किया और छात्रों,शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों से मुलाकात की और उनकी प्रतिक्रियाएं ली। इसके अलावा कंप्यूटर साइंस,सिविल,इलेक्ट्रिकल,इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियरिंग के साथ भौतिकी,रसायन,गणित और मानविकी विभागों का निरीक्षण किया। इस दौरान सभी विभागों के विभागाध्यक्षों द्वारा विशेषज्ञों के समक्ष अपने विभाग की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की और उन्हें विभाग के दिन-प्रतिदिन की गतिविधि तथा कामकाज से भी अवगत कराया।
उसके बाद दूसरे दिन ऑडिट टीम ने सभी विभागों का दौरा किया और संकाय सदस्यों के साथ विचार मंथन सत्र शुरू किया किया जिसमें रिपोर्ट के विभिन्न बिंदुओं जैसे स्वीकृत पद की संख्या,उपलब्ध शिक्षकों की संख्या,पाठ्यक्रम,सर्वोत्तम शिक्षण पद्धति,छात्रों की उपलब्धि,मेंटर-मेंटी सेल,एलुमनी सेल,अकादमिक और सह-पाठ्यचर्या गतिविधियों में छात्रों की भागीदारी,अनुसंधान पद्धति कार्यशालाओं का संगठन,संसाधनों का उपयोग,कौशल विकास,एसडब्ल्यू ओसी विश्लेषण पर विचार-विमर्श किया गया।
दल के चेयरमैन प्रोफेसर चंद्र शेखर ने अवलोकन और छात्रों,संकाय सदस्यों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों से बातचीत के आधार पर पाठ्यक्रम गतिविधियों को मजबूत करने के लिए सुझाव और इनपुट दिए तथा कड़ी मेहनत व समर्पण के साथ अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया। डीन अकादमिक डॉ.जाग्रति सहरिया ने ऑडिट टीम के सदस्यों को दिए गए सुझावों पर सकारात्मक अनुवर्ती कार्रवाई करने विश्वास दिलाया।