प्रदीप कुमार
ऊखीमठ/श्रीनगर गढ़वाल। केदार घाटी के सीमांत गांवों के भेड़पालक छ: माह सुरम्य मखमली बुग्यालों के प्रवास के लिए रवाना हो गये हैं। वरिष्ठ पत्रकार लक्ष्मण सिंह नेगी ने बताया कि भेड़ पालकों के गांवों से विदा होने पर ग्रामीणों ने भावुक क्षणों के साथ भेड़ पालकों को विदा किया। भेड़ पालको के सुरम्य मखमली बुग्यालों के लिए रवाना होने पर देवकडी़ भी भेड़ पालकों के साथ रवाना हो गयी है। देवकडी़ में भेड़ पालकों के अराध्य सिद्धनाथ विराजमान रहते है। छ: माह बुग्यालों में प्रवास करने वाले भेड़ पालकों का जीवन किसी साधना से कम नहीं रहता है तथा छ: माह बुग्यालों में प्रवास के दौरान भेड़ पालकों को अनेक पौराणिक, आध्यात्मिक परम्पराओं का निर्वहन करना पड़ता है। छ: माह सुरम्य मखमली बुग्यालों में प्रवास करने के बाद भेड़पालक दीपावली के निकट गांवों को लौटते हैं।
जाकारी देते हुए मदमहेश्वर घाटी बुरूवा गाँव के भेड़ पालक बीरेन्द्र सिंह धिरवाण ने बताया कि चैत्र मे फुलारी महोत्सव के बाद घोघा विसर्जन के बाद भेड़ पालकों के मन में हिमालयी क्षेत्रों के लिए रवाना होने की लालसा मन में जागृत होने लगती है। प्रधान सरोज भट्ट ने बताया कि केदार घाटी के सीमांत गांवों में भेड़पालन की परम्परा युगों पूर्व की है। मदमहेश्वर घाटी विकास मंच के पूर्व अध्यक्ष मदन भट्ट का कहना है कि भेड़ पालकों का छ: माह बुग्यालों का प्रवास किसी साधना से कम नहीं है क्योंकि बुग्यालों में आज भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। भेड़ पालक प्रेम भट्ट ने बताया कि भेड़ पालक व प्रकृति एक दूसरे के पूरक है तथा भेड़ों के बुग्यालों में विचरण करने से बुग्यालों की सुन्दरता बढ़ती है। योगेन्द्र भटट् ने बताया कि भेड़पालक छ: माह बुग्यालों में प्रवास के दौरान सिद्धवा, क्षेत्रपाल की नित पूजा-अर्चना करते है!
व्यापार संघ अध्यक्ष मनसूना अवतार राणा ने बताया कि भेड़पालक दाती व लाई त्यौहार प्रमुखता से मनाते है। नव युवक मंगल दल अध्यक्ष रघुवीर सिंह नेगी ने बताया कि यदि प्रदेश सरकार भेड़ पालन व्यवसाय को बढ़ावा देने की पहल करती है तो युवाओं को भी भेड़पालन व्यवसाय में स्वरोजगार के अवसर मिल सकते हैं। महिला मंगल दल अध्यक्ष चन्द्रकला देवी ने बताया कि भेड़ पालकों का गाँव से बुग्यालों की ओर गमन करने का समय बड़ा भावुक होता है।