एनआईटी श्रीनगर में नेविगेटिंग द एंटरप्रेन्योरियल जर्नी इनसाइड एंड स्ट्रैटेजीज फाॅर स्टार्टअप्स विषय पर एक विशेषज्ञ व्याख्यान समारोह का आयोजन हुआ

प्रदीप कुमार

श्रीनगर गढ़वाल। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान उत्तराखंड (एनआईटीयूके) के छात्रों और संकाय सदस्यों में उद्यमिता की संस्कृति और मानसिकता विकसित करने के लिए बुधवार 27 मार्च को “नेविगेटिंग द एंटरप्रेन्योरियल जर्नी: इनसाइट एंड स्ट्रैटेजीज़ फॉर स्टार्टअप्स” विषय पर एक विशेषज्ञ व्याख्यान समारोह का आयोजन किया गया
समारोह की अध्यक्षता करते हुए माननीय निदेशक,प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी ने कहा विचार की उत्पत्ति और वास्तविकता में बदलने के लिए उस विचार को एक व्यावसायिक मॉडल में विकसित करना ही उद्यमिता है। उन्होंने कहा मानव मस्तिष्क विचारों का कारखाना है और विचार समय-समय पर आते-जाते रहते हैं। जब भी आपके पास ज़बरदस्त विचार हों तो उसे अमर बनाने, यानि उस विचार को वास्तविकता में बदलने की कोशिश करें।” इसके लिए उन्होंने सुझाव दिया कि सभी व्यक्तियों को अपने पास एक विचार पुस्तिका रखनी चाहिए और जब भी कोई नया विचार मन में आए तो तुरंत उसको लिख लें इससे कालांतर में उस विचार के विस्मृत हो जाने का डर नहीं रहेगा।
कार्यक्रम की मुख्य वक्ता एवं एनआईटी हमीरपुर में “निधि-इनक्लूसिव टेक्नोलॉजी बिजनेस इनक्यूबेटर आई-टीबीआई” परियोजना की प्रधान अन्वेषक,डॉ.पमिता अवस्थी ने स्टार्टअप और उद्यमशीलता विषय पर विस्तृत रूप से श्रोताओं के साथ अपने विचार साझा किये। उन्होंने कहा ” उद्यमिता के क्षेत्र में सकारात्मक मानसिकता और दृढ़ इच्छाशक्ति की बहुत बड़ी भूमिका होती है। एक उद्यमी का सबसे पहला लक्षण है कि सुरक्षित और तुलनात्मक रूप से आसान विकल्प होने के बावजूद भी वह अपनी सोच और महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए रिस्क उठाने से पीछे नहीं हटता है।” उन्होंने कहा सामान्य तौर एक इंजीनियर के रूप में पाठ्यक्रमों से विकसित कौशल कार्यस्थल पर मददगार साबित होता,परन्तु कई बार परिस्थिति भिन्न होती है।
डॉ.अवस्थी ने आगे कहा ” शैक्षणिक संस्थान छात्रों को सिखाने के लिए अलग दृष्टिकोण अपनाता है जबकि स्टार्टअप और उद्यमिता का वातावरण आपको अलग तरीके से सीखने के लिए प्रोत्साहित करता है। उन्होंने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा एक व्यावसायिक और व्यावहारिक कौशल आपको स्टार्टअप में अपना करियर शुरू करते समय अधिक प्रभावी और मददगार साबित हो सकता है। इसके लिए उन्होंने शिक्षा और उद्योग जगत के बीच बेहतर तालमेल सुझाव दिया ताकि पारम्परिक क्लास रूम टीचिंग से अर्जित ज्ञान और कौशल को किसी व्यावसायिक मॉडल में फिट किया जा सके।
डॉ.अवस्थी ने कहा कि एक ऐसा आईडिया जो मौजूदा किसी भी समस्या का समाधान करने में सहायक हो सकता है,स्टार्टअप शुरू करने के लिए सबसे उपयुक्त होता है।
इस अवसर पर उन्होंने स्टार्टअप और उद्यमिता से जुडी अन्य मूल बातें जैसे व्यक्तित्व मूल्यांकन,आइडिया जनरेशन,व्यवसाय योजना,स्टार्टअप और उद्यमिता सम्बन्धी सरकारी योजनाओ, परियोजनाओं या विचारों के लिए धन प्राप्त करना आदि मुद्दों पर भी चर्चा की।
उन्होंने छात्रों को अपने उद्यमी विचारो को लिखकर संस्थान के सम्मुख प्रस्तुत करने का सुझाव भी दिया ताकि संस्थान द्वारा उनका मूल्यांकन कर के उचित प्रकार से परामर्श प्रदान किया जा सके।