शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के निर्देशानुसार एनआईटी श्रीनगर में इंडियाज टेकएंड चिप्स फाॅर विकसित भारत पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन*

* प्रदीप कुमार

श्रीनगर गढ़वाल। शिक्षा मंत्रालय,भारत सरकार के निर्देशों के अनुपालन के क्रम में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी), उत्तराखंड में 13 मार्च,2024 को ‘इंडियाज टेकएड: चिप्स फॉर विकसित भारत’ कार्यक्रम का सजीव प्रसारण किया गया। कार्यक्रम की लाइव स्ट्रीमिंग के अलावा, छात्रों को सेमीकंडक्टर की उपयोगिता एवं संस्थान में उस पर हो रहे शोध कार्यों की जानकारी, भारत के सेमी-कंडक्टर मिशन एवं अनुसंधान और नवाचार आदि के माध्यम से 2047 विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने की कार्ययोजना पर विचार-विमर्श करने के लिए एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया।

सेमिनार के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए एनआई टी के निदेशक प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी ने कहा ” इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन,मेक इन इंडिया,स्किल इंडिया जैसे बड़े राष्ट्रिय कार्यक्रमों का एक मात्र लक्ष्य है-आत्मनिर्भरता से विकसित भारत का निर्माण। आज प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन की जा रही 03 सुविधाएं सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता का शुरूआती कदम है और यह वैश्विक पटल पर सेमीकंडक्टर क्रांति में भारत के नेतृत्व का मार्ग प्रशस्त करेगी।
प्रोफेसर अवस्थी आगे देश की आर्थिक प्रगति और विकसित भारत के सपने को साकार करने में सेमीकंडक्टर उद्योग की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्ष 2021-2026 के दौरान भारतीय सेमीकंडक्टर घटकों की खपत संचयी रूप में 300 बिलियन डॉलर तक पहुंचने कि उम्मीद है। सेमीकंडक्टर घटकों के बड़े पैमाने पर बढ़ती मांग को देखते हुए भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बाजार बनने की ओर अग्रसर है।
प्रोफेसर अवस्थी ने इस बात पर भी जोर दिया की यदि हम सेमीकंडक्टर्स के सबसे बड़े बाजारों में से एक हैं तो हम दुनिया में सेमीकंडक्टर्स के सबसे बड़े निर्माता क्यों नहीं बन सकते। हमें अपनी जरूरतों के लिए अन्य देशों पर निर्भरता कम करनी चाहिए। मिलियन चिप्स फॉर बिलियन्स स्लोगन का जिक्र करते हुए प्रोफेसर अवस्थी ने सेमीकंडक्टर निर्माण आपूर्ति श्रृंखला के क्षेत्र में ध्यान केंद्रित करने के लिए तीन मौलिक सी-क्लाउड,कार,और कम्प्लेक्सिटी का उल्लेख किया।
सेमीकंडक्टर क्षेत्र में महाशक्ति बनने की भारत की आकांक्षाओं को साकार करने में एन आई टी उत्तराखंड कि भूमिका का जिक्र करते हुए प्रोफेसर अवस्थी ने कहा कि हम नए पाठ्यक्रम,नए प्रमाणपत्र कार्यक्रम और नई डिग्री विशिष्टताएं विकसित कर सकते हैं। इसके अलावा मैकेनिकल,फिजिक्स,कंप्यूटर साइंस और ईसीई विभाग प्रतिभाशाली लोग एक मिलकर सेमीकंडक्टर क्षेत्र के लिए तकनीकी कार्यबल के प्रशिक्षण और कौशल विकास के लिए सतत शिक्षा कार्यक्रम भी विकसित कर सकते है।
सेमिनार में डॉ.हरिहरन मुथुसामी, डॉ.सरिता यादव और डॉ.नितांशु चौहान ने व्याख्यान दिया और उन क्षेत्रों पर प्रकाश डाला जिनमें संस्थान योगदान दे सकता है। विभागाध्यक्ष डॉ.शिव कुमार ताडेपल्ली,डॉ.पंकज कुमार पाल,अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ.धर्मेन्द्र त्रिपाठी और इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग के अन्य संकाय सदस्यों ने सेमिनार के आयोजन में पहल की।