श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ के सप्तम दिवस में श्रीकृष्ण रुक्मिणी विवाह कथा के प्रसंग में श्रद्धालु-भक्तगण जयकारों से गूंज उठे*

* प्रदीप कुमार

देहरादून/श्रीनगर गढ़वाल। देहरादून राजधानी के निकटवर्ती प्रेमनगर स्थित स्मिथ नगर क्षेत्र में श्रीमद् भागवत ज्ञान सरिता के सप्तम दिवस की कथामृत पान करते हुए व्यासपीठ पर विराजमान ज्योतिषाचार्य पंडित वृजमोहन डिमरी ने आज के वक्तव्य में बताया कि नन्द ब्रजवासियों द्वारा देवराज इन्द्र का पूजन करने पर भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि बाबा पूजन यदि करना है तो गौ,ब्राह्मण,पर्वत, झरना,गंगा आदि का करों जो हमारा भरण पोषण करते हैं। डिमरी ने कहा कि जगत में हर प्राणी को यह संदेश जाता है कि सभी जन प्रकृति को प्रदूषण से मुक्त करें। रासलीला का वर्णन करते हुए आचार्य ने कहा कि आज जगत भान रहित होकर गोपियां अन्तरात्मदृक होती हुई भगवान कृष्ण को अपना अलौकिक पति माना। कामदेव को परास्त करते हुए गोपी संग भगवान श्रीकृष्ण ने रासलीला कि,सब श्रोता गणमान्य इस प्रसंग को सुनकर भाव विभोर होकर नृत्य करते हुए झूम उठे। भगवान ने पापाचारी कंस का मर्दन करते हुए इस धरा को अराजकता से मुक्त किया। आचार्य ने कहां कि कंस रूपी अहंकार जब हृदय पटल से निवृत होता है तभी वह पूज्यार्थी धर्मार्थी बनकर उभर आता है। व्यास पीठ पर विराजमान बृजमोहन डिमरी ने कहा कि लक्ष्मी स्वरूपा रुक्मिणी ने हृदय से भगवान श्रीकृष्ण का वरण कर लिया था लेकिन भाई रुक्मी ने अपने मित्र शिशुपाल के साथ रुक्मिणी को विवाह करने पर विवश किया लेकिन अन्नत: रूक्मिणी ने प्रेम पत्र लिखकर गुरु ब्राह्मण द्वारा भगवान श्रीकृष्णा को प्रदान किया और कहां भगवान आप मेरे हृदय स्थित गति को भली भांति जानते हैं जबकि मैंने आपको देखा तक नहीं लेकिन आपकी यश कीर्ति व बल की प्रशंसा सुनी है जैसे योग्य शील व्यक्ति को योग्य शील व्यक्ति को मिलना चाहिए प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो कर पुरे पंडाल में जयकारों के साथ झूमने नाचने लगे। आज की कथा में मुख्य रूप से प्रेमनगर की क्षेत्रीय विधायक सविता कपूर और आध्यात्मिक योग माला के लेखक मनवर सिंह रावत द्वारा सुंदरकांड का वितरण किया गया। श्रीमद् भागवत कथा में श्रीकृष्ण की भूमिका रजनी विष्ट और रुक्मिणी नीलम रावत बहुत सुंदर तरीके से निभाया जनता ने उनका जोरदार स्वागत कर फूलों की वर्षा की आज की कथा के अंत में कर्ता करे न कर सकें,शिव करे सो होय, तीन लोक नौ खंड में, शिव से बड़ा ना कोय,व्यास पीठ पर विराजमान कथा वक्ता ने सभी भक्तों को महाशिवरात्रि की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी। आयोजकों ने अपने पितरों की तृप्ति हेतु श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ करने वाले मुख्य यजमान प्रताप सिंह बिष्ट,राधा बिष्ट,खड़क सिंह बिष्ट, भागीरथी देवी द्वारा सभी कथा प्रेमियों को प्रसाद वितरण करवाया।

श्रीमद् भागवत कथा में मुख्य आचार्य पंडित शशि मोहन थपलियाल,यजमान के कुल पुरोहित रमेश चंद्र मिश्र,पंडित चंद्र मोहन थपलियाल,पंडित हरीश ममगाई,पंडित आनंद पालीवाल,पंडित भास्कर गैरोला, अनिल काला,दिनेश नौटियाल, रितेश चमोली,आदि यजमानों में हरिकृष्ण बिष्ट,सुनैना देवी,उदय सिंह बिष्ट,महेंद्र सिंह रावत,पुष्पा देवी,विश्वंभरी देवी,धीरज बुटोला, नंदन सिंह बिष्ट,कुन्दन सिंह मेहरा,राजकमल बिष्ट,पूजा बिष्ट, कर्ण सिंह बिष्ट,अशोक रावत, दीपिका रावत,अंजू पंवार,कमल रावत,पुष्कर सिंह रौथाण,अनीता देवी रौथाण,विजय सिंह भंडारी,खेम सिंह,नमिता रावत, नीलम रावत,राहुल सिंह बिष्ट, आदि लोगों ने कथा श्रवण किया।