* प्रदीप कुमार
श्रीनगर गढ़वाल। डॉ.गोविन्द चातक जयंती के उपलक्ष्य पर आयोजित कार्यक्रम में देहरादून के ईश्वरी प्रसाद उनियाल को गढ़वाली समाचार पत्रों के माध्यम से गढ़वाली भाषा के प्रचार -प्रसार में अमूल्य योगदान देने हेतु मिला डॉ.गोविन्द चातक स्मृति आखर साहित्य सम्मान-वर्ष 2022
आखर चैरिटेबल ट्रस्ट श्रीनगर द्वारा घण्टाकर्ण देवता मंदिर परिसर,घण्डियालधार लोस्तु में डॉ.गोविन्द चातक जयंती के उपलक्ष्य पर विगत वर्षों की भांति डॉ.गोविन्द चातक स्मृति व्याख्यान’ एवं डॉ.गोविन्द चातक स्मृति आखर साहित्य सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। गढ़वाली भाषा के प्रचार -प्रसार में गढ़वाली समाचार पत्रों के माध्यम से अमूल्य योगदान देने हेतु वर्ष 2022 का ‘डॉ.गोविन्द चातक स्मृति आखर साहित्य सम्मान विगत 25 वर्षों से निरंतर देहरादून से प्रकाशित गढ़वाली साप्ताहिक रंत रैबार के सम्पादक एवं प्रकाशक ईश्वरी प्रसाद उनियाल को प्रदान किया गया।सम्मान स्वरूप उन्हें ग्यारह हजार रुपए की सम्मान राशि के साथ अंग वस्त्र, सम्मान पत्र एवं विशेष आखर स्मृति चिन्ह भेंट किया गया,ग्यारह हजार रुपए की सम्मान राशि डॉ.चातक के परिवार की ओर से प्रदान की गई।
गढ़वाली भाषा -साहित्य, शिक्षा को समर्पित आखर ट्रस्ट विगत सात वर्षों से डॉ.गोविन्द चातक की जयन्ती पर यह कार्यक्रम आयोजित करता आ रहा है। कार्यक्रम में वक्ताओं द्वारा लोक साहित्य एवं गढ़वाली भाषा साहित्य में डॉ.गोविन्द चातक के अवदान को चिरस्मरणीय एवं अतुलनीय बताया,साथ ही विस्तारपूर्वक उनके जीवन, व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर बात रखी गई। मुख्य अतिथि केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय देवप्रयाग में हिंदी के सहा.प्रोफेसर एवं लोक साहित्य विशेषज्ञ डॉ.वीरेंद्र सिंह बर्त्वाल कहा कि डॉ.चातक का गढ़वाल के लोक साहित्य को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया,वे यहां के लोक साहित्य के पहले अनुवादक भी थे,उन्होंने यहां के सम्पूर्ण लोक साहित्य काे लिपिबद्ध करने का अतुलनीय कार्य किया।
कार्यक्रम अध्यक्ष एवं घण्टाकर्ण देवता मंदिर के अध्यक्ष कैप्टन सते सिंह भंडारी ने कहा कि डॉ.चातक की जयन्ती के अवसर पर उनकी स्मृति में प्रति वर्ष ‘आखर ट्रस्ट ‘ द्वारा जो कार्यक्रम आयोजित किया जाता है वह प्रशंसनीय कार्य है और इस क्षेत्र के लिए बड़ी बात है कि यह कार्यक्रम इस बार डॉ.चातक के पैतृक घर के पास हो रहा है। अति विशिष्ट अतिथि एवं घण्टाकर्ण देवता मंदिर के रावल दिनेश प्रसाद जोशी ने कहा कि इस क्षेत्र की डॉ.गोविन्द चातक जैसी महान विभूति को याद करना और उन पर कार्यक्रम आयोजित करना हम सभी क्षेत्र वासियों के लिए गौरव की बात है,यहाँ की जनता एवं नई पीढ़ी को इस बात का पता होना आवश्यक है कि डॉ. गोविन्द चातक जैसी महान विभूति इस क्षेत्र में पैदा हुई। इस अवसर पर सम्मानित होने वाले ईश्वरी प्रसाद उनियाल ने कहा कि डॉ.चातक से उनका पत्राचार होता था। गढ़वाली भाषा, लोक साहित्य में डॉ.चातक का महत्वपूर्ण योगदान है,आज बहुत लेखक काम कर रहे हैं,हमने हमेशा अपने गढ़वाली समाचार पत्रों के माध्यम से नए लेखकों को मंच देने की कोशिश की,साथ ही कहा कि यह सम्मान मेरे लिए एक महत्वपूर्ण सम्मान है। इस अवसर पर वक्ता के रूप में हेमवंती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय पौड़ी परिसर की इतिहास की सहायक प्रोफेसर डॉ.नीलम नेगी ने उनके व्यक्तित्व, कृतित्व, गढ़वाली लोक साहित्य, गढ़वाली भाषा एवं हिंदी साहित्य के क्षेत्र में डॉ.गोविन्द चातक जी द्वारा दिए गए अवदान पर विस्तार से अपनी बात रखी। साथ ही कहा कि डॉ.चातक ने यहां के लोक साहित्य को संग्रहित करने एवं संरक्षित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। डॉ.चातक लोक साहित्यकार के साथ-साथ एक भाषाविद् थे।
विशिष्ट अतिथि रघुवीर सिंह कंडारी ने कहा कि-आखर ट्रस्ट द्वारा यहां की डॉ.चातक जैसी विभूतियों को याद किया जाना और इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करना एक सराहनीय कार्य है।
आखर के अध्यक्ष संदीप रावत ने कहा कि जब भी उत्तराखंड के लोक साहित्य का जिक्र होगा तो लोक साहित्यकार एवं भाषाविद् डॉ.चातक का जिक्र अवश्य होगा, गढ़वाली भाषा में भी डॉ.चातक का काम अतुलनीय है, डॉ.चातक को गढ़वाली लोक साहित्य का देवता माना जा सकता है। कार्यक्रम की शुरुआत लोक परम्परानुसार अतिथियों द्वारा जौ से भरे हुए ‘पाथे ‘ में दीप प्रज्वलन, डॉ.गोविन्द चातक के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पण से हुई । इस अवसर पर राजकीय इंटर कॉलेज धद्दी घंडियाल की छात्राओं द्वारा गढ़वाली सरस्वती वंदना एवं मांगलिक प्रस्तुति दी गई। अतिथियों का स्वागत ट्रस्ट के संस्थापक एवं अध्यक्ष संदीप रावत ने किया। कार्यक्रम का संचालन ट्रस्ट के सदस्य एवं हेमवंती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के डॉ.नीतेश बौंठियाल ने किया। अनीता काला ने सम्मानित होने वाले सम्पादक एवं प्रकाशक ईश्वरी प्रसाद उनियाल के व्यक्तित्व एवं गढ़वाली समाचार पत्रों के माध्यम से गढ़वाली भाषा के प्रचार -प्रसार में उनके द्वारा दिए जा रहे अमूल्य योगदान को सबके सम्मुख रखा,आखर के सदस्य भूपेंद्र सिंह नेगी ने सम्मान पत्र का वाचन किया। इस अवसर पर घण्टाकर्ण देवता के पश्वा सोहन सिंह कैंतुरा,मंदिर समिति के ओम प्रकाश गोदियाल,शेरू भंडारी,डॉ.चातक के गांव सरकासैण से उनके भतीजे राजेंद्र सिंह कंडारी एवं डॉ.गोविन्द चातक के परिवार से उनके पौत्र सौरभ बिष्ट,बृजमोहन गोदियाल,घण्टाकर्ण देवता के रावल दिनेश जोशी,मंदिर समिति के अध्यक्ष कैप्टेन सते सिंह भंडारी,रघुवीर सिंह कंडारी, जयवीर सिंह बिष्ट, भूपेंद्र सिंह कंडारी, कमलेश कंडारी,महिला मंगल दल घंडीयालधार की अध्यक्ष पिंकी देवी,अरुण बिष्ट,राजेंद्र सिंह कैंतुरा,जिला पंचायत सदस्य अमित मेवाड़,देहरादून से रघुवीर सिंह कठैत,आखर ट्रस्ट से- दीवान सिंह मेवाड़,रेखा चमोली,अनीता काला,नीतेश बौंठियाल,साक्षी रावत डॉ.नीलम नेगी,लक्ष्मी रावत, हिमांशु ,शिक्षक-शिक्षिकाओं,
साहित्यिक एवं सामाजिक सरोकारों से जुड़े व्यक्तियों एवं क्षेत्र की जनता की गरिमामयी उपस्थिति थी। इस अवसर पर राजकीय इंटर कॉलेज धद्दी घंडियाल एवं आछरीखुण्ट के बच्चों ने लोक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी दी। कार्यक्रम के अंत में ट्रस्ट के अध्यक्ष संदीप रावत ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों एवं व्यक्तियों का आभार व्यक्त किया।