तुंगनाथ घाटी के उषाडा में पांडव नृत्य का समापन*

प्रदीप कुमार

ऊखीमठ/श्रीनगर गढ़वाल। तुंगनाथ घाटी के मध्य बहने वाली पतित पावनी आकाशकामिनी नदी के किनारे व सीढीनुमा खेत खलिहानों के मध्य बसे उषाडा गाँव में 32 वर्षों बाद आयोजित पाण्डव नृत्य का समापन हाथी कौथिग, दुर्योधन वध व पाण्डवों के अस्त्र – शस्त्र विसर्जित के साथ हो गया है। पाण्डवों के अस्त्र – शस्त्र विसर्जित होते ही पाण्डव पश्वाओ,महिलाओं व धियाणियो के चेहरो पर भावुक क्षण देखने को मिले। पाण्डव नृत्य के समापन अवसर पर महिलाओं ने पाण्डवों के अस्त्र – शस्त्रों पर मक्खन का लेप कर क्षेत्र के खुशहाली की कामना की। वरिष्ठ पत्रकार लक्ष्मण सिंह नेगी ने बताया कि 23 दिवसीय पाण्डव नृत्य के आयोजन से तुंगनाथ घाटी का वातावरण भक्तिमय बना रहा तथा प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालुओं ने पाण्डव नृत्य में शामिल होकर विश्व समृद्धि की कामना की। पाण्डव नृत्य में गंगा स्नान, तीर्थ यात्रा भ्रमण सहित अनेक धार्मिक, पौराणिक, आध्यात्मिक परम्पराओं का निर्वहन किया गया। जानकारी देते हुए प्रधान कुवर सिंह बजवाल ने बताया कि तुंगनाथ घाटी के उषाडा गाँव में ग्रामीणों के सहयोग से विगत 14 नवम्बर को पाण्डव नृत्य का शुभारंभ किया गया था तथा पाण्डव नृत्य के समापन अवसर पर विद्वान आचार्यों व पाण्डव पश्वाओ द्वारा अनेक पौराणिक परम्पराओं का निर्वहन किया गया। पाण्डव नृत्य कमेटी अध्यक्ष महावीर सिंह बजवाल ने बताया कि तुंगनाथ घाटी में पाण्डव नृत्य की परम्परा पाण्डवों के हिमालय आगमन से है तथा ग्रामीणों द्वारा 32 वर्षों बाद पाण्डव नृत्य का आयोजन किया गया। समिति सरपंच राजेन्द्र सिंह बजवाल बताया कि 23 दिवसीय पाण्डव नृत्य में पाण्डवों के अस्त्र – शस्त्र पाण्डव चौक लाना, गंगा स्नान, तीर्थ यात्रा भ्रमण, नगर भ्रमण, हाथी कौथिग, पैय्या डाली कौथिग, मोरू नारेण स्थापना व दुयोधन वध सहित अनेक पौराणिक परम्पराओं का निर्वहन किया गया। वन पंचायत सरपंच देवेन्द्र बजवाल ने बताया कि पाण्डव नृत्य में तुंगनाथ घाटी के
विभिन्न क्षेत्रों के जनप्रतिनिधियों , धियाणियो, प्रवासियों व ग्रामीणों ने बढ़ – चढकर भागीदारी की! पाण्डव लीला कमेटी अध्यक्ष प्रदीप बजवाल ने बताया कि पाण्डव नृत्य के दौरान विगत 1 दिसम्बर से पाण्डव लीला का भी मंचन किया गया। पाण्डव नृत्य के समापन पर कोषाध्यक्ष भरत सिंह बजवाल, महिला मंगल दल अध्यक्ष सुलोचना देवी, नव युवक मंगल दल अध्यक्ष चन्द्रमोहन बजवाल, अधिवक्ता आनन्द बजवाल, शिक्षाविद देवेन्द्र बजवाल, शिव सिंह पंवार, बुद्धि बल्लभ सेमवाल , कविता भटट्, महिपाल बजवाल, प्रतिपाल बजवाल, दिनेश बजवाल, जसवीर बजवाल सहित पाण्डव नृत्य / लीला कमेटी के पदाधिकारी व सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद थे।