प्रदीप कुमार
पौड़ी/श्रीनगर गढ़वाल। देवभूमि उत्तराखंड संस्कृति में कुमाऊं गढ़वाल के मिलन से कुंमाऊं की लड़की जब गढ़वाल के पौड़ी शहर में बहू बनकर आयी तो यहां की संस्कृति और यहां का खान पान उन्हें इतना भाया की बीएड और टीईटी क्वालीफाई होने के बाद भी पहाड़ी व्यंजनो को अपना व्यवसाय बना लिया। अमिता वर्मा बताती हैं कि जब उनकी शादी गढ़वाल में हुयी तो उन्हें यहां की संस्कृति और यहां का खान पान इतना अच्छा लगा कि उन्होने यहां के खान पान को ही व्यवसाय में बदलने की सोची,उन्होने श्री मंगलम नाम का अपना एक लघु उधोग शुरू किया और धीरे धीरे कर उसका प्रचार आरम्भ किया, धीरे धीरे कर लोगो के ऑर्डर फोन पर मिलने लगे,अमिता वर्मा बताती हैं कि वह महिने का बीस से पच्चीस हजार रूपए महिने कमा लेती है, जिसमें वह अपने सास ससुर,अपने बच्चे के लिये समय निकाल लेती हैं। उनके पती भी उनको इस कार्य में पूर्ण सहयोग देते हैं।
वह बताती हैं कि उन्होंने बीएड और टीईटी पास किया है परन्तु उन्हें अलग अलग प्रकार के व्यंजन बनाने का शौक था जिसे उन्होंने रोजगार से जोड़ दिया।
अभी श्री मंगलम के नाम से उनके बनाये,रोट,अर्से, सकरपारे, नमकीन पारे,आदि सामान बाजार में उपलब्ध हैं।