टिहरी गढ़वाल के बडियारगढ़ क्षेत्र के डिग्नीगढ़ पर्वत में गलख्या उडियार गुफा में प्राकृतिक शिवलिंग के रूप में भगवान शिव का वास*

प्रदीप कुमार

श्रीनगर गढ़वाल। देवभूमि उत्तराखंड के कण-कण में भगवान शिव का वास है ऐसे ही एक स्थान टिहरी गढ़वाल के बडियारगढ़ क्षेत्र में डिग्नीगढ़ पर्वत पर गलख्या उडयार गुफा भगवान शंकर का प्राचीन स्थल है मान्यताओं के आधार पर उल्लेख किया गया है कि प्राकृतिक चट्टानों से बना शिवलिंग एक आकर्षण का केंद्र है इस स्थान पर प्रत्येक वर्ष बैकुंठ चतुर्दशी की पावन बेला पर गलख्या महोत्सव लोस्तु बडियारगढ़ क्षेत्रीय विकास संगठन के द्वारा किया जाता है।
उत्तर भारत की देवभूमि उत्तराखंड में पर्वत श्रेणियों की अनेक गुफाओं का वर्णन है जिसमें गलख्या उड्यार गुफा का विशेष महत्व है इस स्थान का नाम स्कंद पुराण में उल्लेख किया गया है। यह गुफा बडियारगढ़ क्षेत्र के धौड़ंगी ग्राम के पश्चिम में डिग्नी गढ़पर्वत श्रेणी के नीचे
4800 फिट की ऊंचाई पर है क्षेत्रफल की दृष्टि से यह गुफा लगभग 60 फिट लंबी और 20 फिट चौड़ी तथा 12 फिट ऊंची होगी इसने भीतर की तरफ से और भी विस्तार है किंतु किसी प्रकाश व्यवस्था से ही पूरी गुफा को देखा जा सकता है इसकी लंबाई कितनी होगी अनुमान लगाना थोड़ा कठिन है, क्योंकि ऑक्सीजन की कमी के कारण ज्यादा दूरी तक नहीं जाया जा सकता है, गुफा का मुख्य द्वार मिट्टी से बना नगाड़ा आकार का बना है जिसे बजाने पर ढोल ( वाद्य यंत्र ) की तरह आवाज गूंजती है गुफा के ठीक मध्य में स्थित एक शिवलिंग बना है। उसकी ऊंचाई 6 फिट और ढाई फीट गोलाई होगी शिवलिंग के ऊपरी छत पर नदी के आकार के समान रेखा बनी है जोकि संगमरमर पत्थर जैसे दिखता है जिसमें गुफा के छत से उस शिवलिंग में बूदौ के रूप में पानी टपकता है तथा गुफा की दीवारों में कई कलाकृतियां मौजूद हैं। जैसे राम रावण युद्ध हनुमान ऐसे कई विभिन्न कलाकृतियां मौजूद है जो सभी संगमरमर के पत्थरों की तरह आज भी जिसे देखकर लगता है की प्राचीन काल में इस गुफा में ऋषि मुनियों का वास रहा है। इस गुफा के बारे में स्वर्गीय नत्थी लाल गैरोला ग्राम धौडगी से जानकारी मिली वह इस प्रकार है। एक बार हीत देवता की गजा ( ध्वज )निसांण झोला-झडाई में किसी मकान पर चिन्ह जैसे रक्षाछाप को छत के ऊपर लगाते समय टूट गई थी। गजा निशान का नया निर्माण करवाना अति आवश्यक था, इस कार्य को करने के लिए राधा कृष्ण मैठाणी जो तत्कालीन इस क्षेत्र में पंडिताई का कार्य करते थे एवं गैरोला परिवार के जनेऊ संस्कार गुरु थे गजा निशान के पुनर्निर्माण कार्य करने के लिए आए थे जिसमें से ग्राम धौडगी ग्राम खल्याणी तथा ग्राम चोपड़ा के पंचों द्वारा 5 दिन का हवन यज्ञ ( प्राण प्रतिष्ठा ) हीत देवता के थान पर ग्राम धौडगी के मध्य में स्थित है वहां पर स्थित इस कार्य को करवाया गया पूजन का कार्य चल ही रहा था तो उन्होंने यानी पंडित ने स्कंद पुराण में वर्णित गलख्या उड्यार का उदगार उल्लेख किया। उनके अनुसार डिग्नीगढ़ के नीचे गलख्या गुफा है उसके तत्पश्चात तारा दत्त गैरोला तत्कालीन प्रबंधक कमीण थे। उन्होंनेे गांव के गणमान्य व्यक्तियों की टीम सुनिश्चित की जिसने महेशानंद गैरोला तत्कालीन सरपंच लोस्तु बडियारगढ़ के रतन सिंह पवार,रवि दत्त गैरोला, महानन्द गैरोला, शिवानंद गैरोला, इशांन दत्त गैरोला तथा कीर्तिनगर तत्कालीन राज्य कर्मचारियों के द्वारा महाराजा टिहरी को खबर दी गई उस समय तत्कालीन महाराजा कीर्ति शाह ने अपने सांगतो और मंत्रियों से इस गुफा को देखने की अभिलाषा जाहिर की जिसके लिए चोनी खाल से कमेडखुड गलख्या उड्यार तक मार्ग बनाने का आदेश दिया मार्ग पूर्ण होने पर उन्होंने इस गुफा के रहस्यों से आकर्षित होकर इसके दर्शन करने टिहरी से प्रस्थान किया तत्कालीन महाराजा ने इस गुफा में आकर वहां पर नगाड़ा शिवलिंग हबन कुंडी तथा भीतरी दीवारों के चित्रों को देखकर आश्चर्य व्यक्त किया। उन्होंने इस स्थल पर पूजा के लिए साधु महात्मा की नियुक्ति करवा दिया तथा दरबार की तरफ से इस व्यवस्था को बनाए रखने के लिए धनराशि मंजूर कर दी, इस प्रकार इस शिवलिंग के दर्शन करने दूर-दूर से भारत के विभिन्न से स्थानों से श्रद्धालु एवं उत्तराखंड के स्थानीय लोग दर्शन के लिए आने लगे यह निरंतर चलता रहा यहां पर निसंतान महिलाएं पुत्र प्राप्ति हेतु शिवलिंग पूजा, खड़ा दिया करने आती थीं। महाराजा ने यहां पर साधु-संतों पुजारियों की सुरक्षा के लिए लकड़ी का दरवाजा लगवाया इस तरह से इस धार्मिक गुफा पर पूजा अर्चना महाराज के कार्यकाल तक जीवित रही उनके मरणोप्रान्त यह व्यवस्था समाप्त हो गई जिसके उपरांत लोग गुफा के दर्शन करने आते रहे परंतु देखरेख के अभाव से यहां झाड़ियां और रास्तों का टूटना जारी रहा। जिसके अभाव से साधु संत भक्तजनों का आना जाना बंद हो गया आज स्थितियां यह हैं कि इस गुफा में जंगली जानवरों का निवास हो गया और इस और मानवों का आकर्षण नहीं रहा जो कि पुराने समय पर था मेरा मानना है कि वास्तव में वर्तमान समय में यह स्थान पर्यटकों का आकर्षण का केंद्र हो सकता है ।
यह लेख जगबीर सिंह रावत ग्राम ग्वाड बडियार गढ़ टिहरी गढ़वाल मेजर सूबेदार सेवानिवृत्त वर्तमान में कई धार्मिक सामाजिक कई महत्वपूर्ण कार्य उनके द्वारा अभी भी चलाए जा रहे हैं उनके लेख पर आधारित
आपको समर्पित
राकेश चन्द्र गैरोला
( उपाध्यक्ष )
लोस्तु बडियार गढ़ क्षेत्रीय विकास संगठन