प्रदीप कुमार
श्रीनगर गढ़वाल। आजकल सुबह हो या शाम,रात हो दिन,गली मोहल्ला हो या कस्बा, नगर हो या महानगर। हम सब एक नया ट्रेंड देख सकते हैं, जो है रफ्तार के सौदागरों का बाइक स्टंट। जिनमें अधिकतर बालिग या नाबालिग बच्चे ही होते हैं।एक बाइक पर दो से तीन लड़के या लड़कियां बैठकर हल्ला गुल्ला मचाते हैं, उदंडता से भरपूर स्टंट करते हैं और अति तेज रफ्तार से सड़कों से फटाक से निकल जाते हैं। यह न तो अपनी और न ही दूसरों की जान की परवाह करते हैं ,और इनका एकमात्र मकसद अपना मनोरंजन करना होता है। इनको न तो पुलिस की परवाह होती है और न ही कानून का डर। यह स्टंट गैंग अब धनाढ्य वर्ग से होता हुआ मध्यम वर्ग और अब अति मध्यम वर्ग के नाबालिगों का प्रिय शगल बन चुका है।यह नाबालिग स्टंट करते हुए रील्स और वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डालते हैं और खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं।देश में नाबालिग बच्चों का यह बाइक स्टंट समाज के लिए अति घातक साबित होता है।जिसमें कई मासूमों की भी जान चली जाती है। भारतीय कानून के अनुसार आज नाबालिगों का बाइक या स्कूटी चलाना संघेय अपराध है।लेकिन फिर भी नाबालिग बाइक चलाते हैं और स्टंट भी करते हैं । ऐसे मामलों को लगातार बढ़ता देख दिल्ली पुलिस ने एफआईआर में धारा 337 जोड़ने के आदेश दिये हैं। अभी तक पुलिस वाहन अधिनियम के अंतर्गत हल्की फुल्की धाराओं में इन स्टंटबाजों का चालान किया जाता था। पर अब स्टंट करने वाले नाबालिगों पर सख्त काररवाई के आदेश जारी कर दिए गए हैं।जो कि एक अच्छी पहल है। इस तरह नाबालिगों के तेजी से सड़कों पर बाइक चलाने और स्टंट करने पर लगाम लग सकती है।माता पिता को भी समय से पहले अपने बच्चों को वहां चलाने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।–नरी लाल निर्वेद