परमार्थ गुरूकुल, परमार्थ विद्या मन्दिर और शक्ति विकास केन्द्र में ‘मेरी माटी, मेरा देश – अमृत महोत्सव’ का शुभारम्भ

तिरंगा रैली, स्वच्छता अभियान, अपनी माटी के प्रति संकल्प व पौधारोपण द्वारा अमृत महोत्सव की शुरूआत
परमार्थ गंगा आरती वीर शहीदों को की समर्पित
भारतीय संस्कृति में सहिष्णुता एवं उदारता अद्भुत संगम
स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश, 13 अगस्त। भारत के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी की घोषणा के पश्चात परमार्थ विद्या मन्दिर, चन्द्रेश्वर नगर और शक्ति विकास केन्द्र, त्रिवेणी घाट रोड़ में ‘मेरी माटी, मेरा देश’  ‘अमृत महोत्सव’ का शुभारम्भ परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के आशीर्वाद से किया गया।
भारत के लिये अपने प्राणों की आहुति समर्पित करने वाले वीर शहीदों, व वीरांगनाओं को भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित कर आज की परमार्थ निकेतन गंगा आरती भारत के बलिदानियों को समर्पित की गयी।
भारत के इस अमृत महोत्सव के अन्तर्गत विद्यार्थियों ने स्वच्छता रैली निकाली, विद्यालय परिसर और आस-पास के क्षेत्र में पौधा रोपण किया, अपनी माटी को हाथ में लेकर उसे प्रदूषित न करने का संकल्प लिया।
ज्ञात हो कि स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी के मार्गदर्शन व आशीर्वाद से मायाकुण्ड, चन्द्रेश्वर नगर, बंगाली बस्ती में रह रहें परिवारों के बच्चों के लिये ‘शक्ति विकास केन्द्र’ निःशुल्क कोचिंग संस्थान संचालित किया जा रहा है, उसकी पहली वर्षगांठ पर परमार्थ निकेतन द्वारा निःशुल्क शिक्षण सामग्री वितरित की।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत अपना 77 वां स्वतंत्रता दिवस मनाने की तैयारी कर रहा है। स्वतंत्रता का यह अमृत महोत्सव हमें अपने पूर्वजों के सर्वस्व न्यौछावर करने के परिणामस्वरूप प्राप्त हुआ है। अब हम सब की बारी है कि इस अमृत महोत्सव को हर्षोल्लास, आनन्द, उत्साह और उमंग के साथ मनायें।
77 वें स्वतंत्रता दिवस में प्रवेश करने से पहले हमें अपने राष्ट्र के प्रति अपने संकल्पों और कर्तव्यों का स्मरण करना जरूरी है। भारत को एक मजबूत, सुरक्षित और समृद्ध देश के रूप में जिस बाह्य पथ पर आगे बढ़ना चाहते हैं, हमारा आंतरिक प्रक्षेप पथ को उससे अलग नहीं रखा जा सकता इसके लिये आत्मनिर्भरता एक अत्यंत आवश्यक कदम है।
स्वामी जी ने कहा कि भारत विश्‍व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है जिसमें विविधता में एकता और समृद्ध सांस्‍कृतिक विरासत है। भारतीय संस्कृति की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि हजारों वर्षों के बाद भी यह संस्कृति आज भी अपने मूल स्वरूप में जीवंत है। विश्व की किसी भी संस्कृति में शायद ही इतनी सहनशीलता हो, जितनी भारतीय संस्कृति में पाई जाती है। भारतीय संस्कृति की सहिष्णुता एवं उदारता के कारण दशकों से भारत ने शान्ति और अहिंसा का संदेश पूरे विश्व में प्रसारित किया है। भारत हमेशा से प्रकृति का उपासक रहा है वर्तमान समय में हम सभी को भारत के इन दिव्य सूत्रों, मूल और मूल्यों को लेकर आगे बढ़ना होगा तभी हम अपनी संस्कृति, प्रकृति और संतति को सुरक्षित रख सकते हैं।
भारत के माननीय प्रधानमंत्री विभिन्न अवसरों पर चाहे वह ‘घर घर तिरंगा’ हो या ’मेरी माटी मेरा देश’ या फिर वीर-वीरांगनाओं को श्रद्धाजंलि अर्पित करना या अन्य कोई अभियान, वे अपने मूल्यों से जुड़े रहने के लिये सदैव प्रेरित करते हैं। आईये इन प्रेरणाओं को अंगीकार व स्वीकार करें।
इस अवसर पर परमार्थ विद्या मन्दिर एवं शक्ति विकास केन्द्र के आशा गौरोला, कृष्ण कुमार, उपासना पात्रा और अन्य सभी शिक्षक-शिक्षिकायें व विद्यार्थियों उपस्थित थे।