गबर सिंह भंडारी
श्रीनगर गढ़वाल। “राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के सफलतापूर्वक कार्यान्वयन के लिए शैक्षणिक जगत में नीतिगत पहल की आवश्यकता है” यह बात प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी निदेशक राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान , उत्तराखंड ने महात्मा गांधी गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज(एमजीजीईसी) ज्योरी, सुंदरनगर के साथ किये जा रहे एक अकादमिक समझौते के दौरान कही।
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी), उत्तराखंड और महात्मा गांधी गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज ज्योरी, सुंदरनगर बीच सोमवार 3 जुलाई को एक शैक्षणिक समझौता किया गया जिस पर एनआईटी, उत्तराखंड के निदेशक प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी और एमजीजीईसी के निदेशक- कम-प्रिंसिपल डॉ राकेश कुमार ने हस्ताक्षर किए।
समझौता ज्ञापन पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रोफेसर अवस्थी ने कहा कि छात्रों के समग्र विकास के लिए बहुविषयक और समग्र शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार योग्यता, नवाचार और उद्यमिता, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए शिक्षकों का क्षमता निर्माण; डिजिटल सशक्तिकरण और ऑनलाइन शिक्षा; समान और समावेशी शिक्षा; भारतीय ज्ञान प्रणाली;आदि विषयों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 में प्रमुखता दी गयी है। इस लक्ष्य को साधने के लिए देश के शैक्षणिक संस्थानों के बीच पारस्परिक सहयोग पर आधारित एक मजबूत शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने कि जरूरत है। उन्होंने कहा कि एमजीजीईसी के साथ किया यह समझौता एनआईटी द्वार शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण कि दिशा में बढ़ाया गया एक और कदम है।
प्रोफेसर अवस्थी ने आगे कहा कि इस समझौते के तहत एनआईटी, उत्तराखंड एमजीजीई, सुंदरनगर को पाठ्यक्रम डिजाइन, अनुसंधान और विकास, कौशल विकास कार्यक्रम, प्रयोगशालाओं के आधुनिकीकरण और संकाय विकास कार्यक्रम एनआईटी परिसर में छात्रों और संकाय के प्रशिक्षण करने में सहयोग प्रदान करेगा। इसके अलावा इस समझौते में बी.टेक के छात्रों के लिए इंटर्नशिप, औद्योगिक प्रशिक्षण, अतिथिव्याख्यान, इनहाउसट्रेनिंग, कार्यशाला कार्यक्रम, औद्योगिक दौरों का संचालन और छात्र प्रशिक्षण और दौरे, सुविधाओं को साझा करना, इनक्यूबेशन सेंटर और स्टार्ट अप सेल में संयुक्त सहयोग और भागीदारी की भी परिकल्पना की गई है।
एमजीजीईसी के निदेशक- कम-प्रिंसिपल डॉ राकेश कुमार ने एमओयू पर हर्ष व्यक्त किया और प्रोफेसर अवस्थी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि एनआईटी, उत्तराखंड राष्ट्रीय महत्व का एक प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान है। समझौता ज्ञापन को ऐतिहासिक पहल बताते हुए
उन्होंने कहा कि ये एमओयू मानता है कि दोनों संस्थान सामान्य हितों और उद्देश्यों के लिए एकजुट हैं, और दोनों संस्थानों के बीच संचार और सहयोग के चैनलों की स्थापना से शोध और नवाचार संबंधित कार्यों को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने आगे कहा कि आने वाले समय में दोनों संस्थान संयुक्त रूप से अनुसंधान परियोजनाओं, पीएचडी छात्रों के संयुक्त पर्यवेक्षण, संयुक्त कार्यशालाओं, सम्मेलनों और संगोष्ठियों आदि का आयोजन करेंगे। इसके अलावा दोनों संस्थान प्रत्येक संस्थान के लिए उपलब्ध प्रयोगशालाओं, पुस्तकालय, सॉफ्टवेयर जैसी अपनी सुविधाओं तक पहुंच प्रदान करने पर सहमत हुए हैं।