राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान उत्तराखंड राज्य के शैक्षणिक, आर्थिक एवं सामाजिक क्षेत्रों के विकास में अपनी सहभागिता के लिए सदैव तत्पर है।

गबर सिंह भंडारी

श्रीनगर गढ़वाल। उत्तराखंड राज्य के शैक्षणिक, आर्थिक, सामजिक एवं अन्य सभी क्षेत्रो के विकास में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, उत्तराखंड सदैव तत्पर है। संस्थान अपनी इस प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए निदेशक प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी के दिशा निर्देशन में विभिन्न प्रकार की आउटरीच गतिविधियों, कार्यशालाओं, प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं तकनीकी प्रतियोगिताओ का आयोजन करता रहता है। इसी श्रृंखला में, उत्तराखंड राज्य के विद्यालयी छात्रों में उद्यमिता की संस्कृति और मानसिकता विकसित करने के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल टीचर्स ट्रेनिंग एंड रिसर्च (एनआईटीटीटीआर), चंडीगढ़ के उद्यमिता और ग्रामीण विकास केंद्र के सहयोग से एनआईटी में जून 22-26, 2023, तक एक आवासीय बूटकैंप प्रशिक्षण का आयोजन किया जा रहा है जिसका शीर्षक है ‘उद्यमशीलता की भावना का ज्ञानवर्धन’।
इस पांच दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का उद्घाटन गुरुवार २२ जून को एनआईटी के प्रशासनिक भवन स्थित सम्मलेन कक्ष में आयोजित किया गया जिसमे निदेशक प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी बतौर मुख्य अतिथि और एचआईआईएमएस अस्पताल के आईपीडी प्रमुख डॉ अनु भारद्वाज जी एवं एनआईटीटीटीआर, चंडीगढ़ में उद्यमिता और ग्रामीण विकास केंद्र के प्रमुख,चेतन सहोरे विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रोफेसर अवस्थी ने कहा “विचार की उत्पत्ति और वास्तविकता में बदलने के लिए उस विचार को एक व्यावसायिक मॉडल में विकसित करना ही उद्यमिता है”। उन्होंने कहा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का यह अथक प्रयास है की राज्य के युवा उद्यमिता और स्टार्टअप के क्षेत्रो में आगे आये। स्टार्टअप और इच्छुक उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ने सीड फंडिंग का भी प्रावधान रखा है, फिर भी युवा लोग उद्यमिता और स्टार्टअप के के क्षेत्र में आने से कतराते है जबकि उच्च भुगतान वाली नौकरियों के प्रति उनका रुझान ज्यादा है।
प्रोफेसर अवस्थी ने कहा “उद्यमिता केवल विलक्षण प्रतिभा और विशेषाधिकार प्राप्त लोगों के लिए है”, यह अवधारणा वर्तमान में बड़ी संख्या में लोगों को उद्यमिता को कैरिअर के रूप में अपनाने से रोकता है। उन्होंने कहा की इस मिथक पर नियंत्रण की आवश्यकता है और इसके लिए यह आवश्यक है कि लोगों में उद्यमिता के प्रति जागरूकता पैदा की जाये। जिसकी शुरुआत के लिए विद्यालयी छात्र सबसे उपयुक्त है क्योकि स्कूल बच्चों की मानसिकता को आकार देते हैं, और वर्तमान में स्कूल बच्चो को सुरक्षित रास्ता अपनाते हुए केवल नौकरी पाने का प्रशिक्षण दे रहे है।
उन्होंने प्रतिभागी छात्रों से कहा कि उद्यमिता के क्षेत्र में सकारात्मक मानसिकता और दृढ़ इच्छाशक्ति की बहुत बड़ी भूमिका होती है। एक उद्यमी का सबसे पहला लक्षण है कि सुरक्षित और तुलनात्मक रूप से आसान विकल्प होने के बावजूद भी वह अपनी सोच और महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए रिस्क उठाने से पीछे नहीं हटता है। जबकि भारतीय समाज में, ठीक इसके विपरी बच्चों को घर से लेकर स्कूल तक सभी जगह सुरक्षित रास्ता चुनने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।
प्रोफेसर अवस्थी ने आगे कहा कि जो लोग भूलना जानते है और भूलकर दोबारा सीखना जानते हैं वे ही सफल होते हैं। भारत नए उद्यमियों और नवप्रवर्तकी के लिए एक केंद्र के रूप में उभर रहा है। उन्होंने छात्रों को प्रेरित किया कि सदैव सुरक्षित रास्ता अख्तियार करने की मानसिकता को भूलकर रिस्क उठाने के लिए तैयार रहना होगा तभी उद्यमिता के क्षेत्र में सफलता मिलेगी। उन्होंने आगे कहा कि जरूरी नहीं की पहली बार में ही सफलता मिल जाए लेकिन डटे रहे तो सफलता जरूर मिलेगी यह जरूरी है।
उन्होंने छात्रों से कहा कि अवसर नियमित अंतराल में हर किसी के दरवाजे पर दस्तक देता है, और जो लोग अवसरों की कसौटी पर खरे उतरते है वे जीवन में सफलता के शिखर को प्राप्त करने में सक्षम होते हैं। उन्होंने छात्रों को प्रशिक्षण कार्यक्रम को एक अवसर के रूप में देखते हुए इसका भरपूर लाभ उठाने का सुझाव दिया।
मौके पर प्रोफेसर अवस्थी ने घोषणा की कि एनआईटी, उत्तराखंड, एनआईटीटीटीआर, चंडीगढ़ के सहयोग से इस प्रकार के बूटकैंप की एक श्रृंखला आयोजित करने वाला है। जिसका मुख्य उद्देश्य इस कार्यक्रम के प्रतिभागियों का समुचित मार्गदर्शन , अन्य इच्छुक छात्र जो किसी कारण वश इस कार्यक्रम में नहीं चयनित हो पाए थे , उनको प्रशिक्षण का मौका देना है ताकि उद्यमिता, स्टार्टअप और नवप्रवर्तन के माध्यम से सामाजिक, तकनीकी और ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार सृजन को बढ़ाया जा सके और और उत्तराखंड राज्य के शहरी, ग्रामीण और अर्ध शहरी क्षेत्रों के विकास में एनआईटी की भागीदारी को सुनिश्चित किया जा सके।
सम्बोधन के अंत में प्रोफेसर अवस्थी ने कार्यक्रम के संचालक डॉ डुंगली श्रीहरि और डॉ टी सुधाकर को बधाई दी और चेतन सहोरे और उनकी टीम कि सराहना करते हुए कहा कि छात्रों की मानसिकता में सकारात्मक बदलाव करके उद्यमी मानसिकता विकसित करने का विचार अपने आप में एक महान कार्य है।
डॉ अनु भारद्वाज और चेतन सहोरे ने समारोह को सम्बोधित करते हुए प्रशिक्षण शिविर का संक्षिप्त विवरण दिया। उन्होंने कहा कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख के कक्षा 8वीं से आगे के स्कूली छात्रों के लिए बनाया गया है। इसका उद्देश्य देश में सरकारी माध्यम से प्रदान किए जाने वाले उद्यमशीलता के अवसरों के बारे में जागरूकता फैलाना और उत्साही, उद्यमशील युवाओं की पहचान करके भविष्य के विकास के लिए उन्हें सक्षम बनाना है। उन्होंने आगे कहा कि इन पांच दिनों के दौरान व्यक्तित्व मूल्यांकन, उद्यमिता की मूल बातें, आइडिया जनरेशन, व्यवसाय योजना, उद्यमिता सम्बन्धी सरकारी योजनाओ , परियोजनाओं या विचारों के लिए धन प्राप्त करना आदि मुद्दों पर चर्चा की जायेगी।