उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के आयुर्वेद संकाय मुख्य परिषद के द्वारा विश्वविद्यालय के कुलपति सुनील जोशी जी के निर्देशन में ड्रग डीएडिक्शन एवं सड़क सुरक्षा विषय पर एक व्याख्यान कार्यक्रम आयोजित किया गया।

देहरादून!  उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के आयुर्वेद संकाय मुख्य परिषद के द्वारा विश्वविद्यालय के कुलपति सुनील जोशी जी के निर्देशन में ड्रग डीएडिक्शन एवं सड़क सुरक्षा विषय पर एक व्याख्यान कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत धन्वंतरी बंदना से की गई तदोपरांत विशेष रुप से आमंत्रित एंटी ड्रग सेल पुलिस विभाग के अधिकारी दीपक द्विवेदी एवं अन्य उपस्थित टीम द्वारा नशा मुक्त अभियान के अंतर्गत नशा मुक्त उत्तराखंड अभियान एवं एंटी ड्रग सेल कार्यक्रम के लिए शपथ दिलवाई गई।कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्व विख्यात विशेषज्ञ एवं शल्य चिकित्सक प्रोफेसर सुनील जोशी ने की। सड़क सुरक्षा के लिए विशेष रूप से आमंत्रित पद्मश्री से सम्मानित अंतर्राष्ट्रीय ऑर्थोपेडिक सर्जन एवं सुप्रसिद्ध समाजसेवी डा०बी.के.एस.संजय(संजय ऑर्थोपीडिक, स्पाइन एवं मैटरनिटी सेंटर एवं सेवा सोसाइटी) के द्वारा 7वें संयुक्त राष्ट्र वैश्विक सड़क सुरक्षा सप्ताह 15-2१ मई बताया कि के अंतर्गत आयोजित व्याख्यान में सड़क दुर्घटनाओं का सबसे मुख्य कारण हैं नींद का अभाव और नशे का प्रभाव। रात की दुर्घटनाएं जानलेवा होती हैं जहां तक हो सके लोगों को दिन में ही सड़क की यात्रा करनी चाहिए ।इंडिया एवं इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर ऑर्थोपीडिक सर्जन
डॉ गौरव संजय ने ऑडियो विजुअल के माध्यम से सड़क दुर्घटनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि सड़क दुर्घटना होने के बाद लोगों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। आज के समय में मोबाइल के उपयोग से खासतौर से वाहन चलाते समय यह दुर्घटनाएं बहुत खतरनाक होती हैं। एक शोध में पाया गया है कि 40% मौतें वाहन चलाते हुए मोबाइल का प्रयोग करने पर यदि दुर्घटना होती है तो ऐसी स्थिति में 40% लोगों की मौत हो जाती हैं। मेरा सुझाव है कि दुपहिया या चौपहिया वाहन चलाते समय मोबाइल का प्रयोग बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ. सुनील कुमार जोशी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के विशेषज्ञों एवं वैज्ञानिकों को ऐसी कुछ खोज करनी चाहिए कि वाहन चलाते समय मोबाइल पर काॅल आये तो उसकी वार्निंग आए। उन्होंने अपने विद्यार्थियों से और अन्य आये हुए युवाओं से अपील की कि यदि यदि आप अपने लिए हेलमेट नहीं लगाते हैं तो कम से कम अपनी माँओं के लिए तो हेलमेट लगाए। विश्वविद्यालय एंटी ड्रग सेल्स के सदस्य एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर अमित तमदड्डी मैं नशा मुक्ति के दुष्प्रभाव एवं स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभावों को विस्तार से बताते हुए नशा मुक्ति से बचने के लिए उपस्थित छात्र-छात्राओं को जागरूक किया। अपने स्वागत उद्बोधन में विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर अनूप गक्खड़ में कहां के नशा एक सामाजिक बुराई है इससे हम सबको बचना होगा और जागरूकता कार्यक्रम एवं विभिन्न माध्यमों से नशा मुक्त उत्तराखंड अभियान के लिए हम सभी बौद्धिक एवं शिक्षक वर्ग को आगे आना होगा। इस कार्यक्रम में 2022 बैच के छात्र छात्राओं द्वारा नशा मुक्ति के लिए जागरूकता फैलाने हेतु एक नुक्कड़ नाटक का सफल अभी मंचन किया गया जिसको सभी लोगों ने सराहा। नशा मुक्ति के लिए , सारिका सिंह पीएम छात्रा ने कविता के माध्यम से अपने विचारों को प्रस्तुत किया।नेमुख्य परिसर के उपपरिसर निदेशक डॉ नंदकिशोर दाधीचि ने उपस्थित सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम का सफल संचालन विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर एवं एंटी ड्रग सेल के मुख्य परिसर के नोडल ऑफिसर डॉ. राजीव कुरेले ने किया और सड़क दुर्घटना से बचने के लिए सावधानियां तथा नशाखोरी की प्रवृत्ति से बचने के लिए उपस्थित छात्र-छात्राओं से आव्हान किया। कार्यक्रम के अन्त में पद्म श्री डॉ. बी. के. एस. संजय एवं डॉ गौरव संजय ने उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय देहरादून के छात्र-छात्राओं, अध्यापक- अधियापिकाओं एवं कर्मचारियों से अपने और जनहित में यातायात के नियमों को सीखने और उनका पालन करने की शपथ भी दिलाई। व्याख्यान कार्यक्रम के अवसर पर प्रमुख समाज सेवी नरेंद्र सिंह नेगी, पार्षद विनोद कुमार, श्री प्रेम सिंह, गणेश सिंह, सुबोध नौटियाल, डॉ प्रबोध ऐरावर, डॉ इला तन्ना, चंद्र मोहन पैन्यूली निजी सचिव कुलपति महोदय, डॉ रूप श्री डॉक्टर आकांक्षा गुप्ता, डॉ विपिन चंद्र, डॉ प्रदीप सेमवाल इत्यादि मुख्य परिसर के शिक्षक गण, बीएमएस छात्र-छात्राएं दीपक यादव, सारिका सिंह, वरुणमिश्रा, अंकित, नितिन, करीना भारद्वाज नवीन चौहन आदि ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम मे प्रथम द्वितीय तृतीय एवं अंतिम वर्ष के छात्र छात्राओं ने सक्रियता से प्रतिभाग लिया।