याददाश्त कमजोर हो रही है? जानिए कारण और समाधान —”अभी कुछ कहा था… क्या कहा था?
अगर आप या आपके घर में कोई अक्सर ये सवाल पूछते हैं, तो ज़रा ठहरिए। ये सिर्फ ‘ध्यान भटकना’ नहीं है — यह याददाश्त की कमजोरी का संकेत भी हो सकता है। भागदौड़ भरी ज़िंदगी में हम सभी कभी-कभार बातें भूलते हैं, लेकिन जब ये आदत बन जाए तो सतर्क हो जाना चाहिए।
भारत में हर दसवां व्यक्ति इस समय ‘स्मृति दुर्बलता’ (Memory Loss) से प्रभावित है, और इसकी जड़ें हमारी जीवनशैली, खानपान, और मानसिक स्थिति में छिपी हैं। आइए समझते हैं कि बातों को भूलना क्यों आम होता जा रहा है, और इससे कैसे बचा जा सकता है।
1. तनाव: स्मृति का सबसे बड़ा शत्रु
जब दिमाग में रोज़ाना की चिंताओं और अनगिनत जिम्मेदारियों का बोझ हो, तब नई चीजें याद रखना मुश्किल हो जाता है। तनाव में मस्तिष्क का ‘हिप्पोकैम्पस’ हिस्सा कमजोर पड़ता है — वही हिस्सा जो यादें संजोता है। अनियमित चिंतन और अव्यवस्थित जीवन शैली हमारे मानसिक सिस्टम को अस्त व्यस्त कर देती है और हम स्ट्रैस और तनाव की शिकार हो जाते हैं
विशेषज्ञ कहते हैं:
“तनाव में Cortisol हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है जो दिमागी कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है।” – डॉ राजीव कुरेले आयुर्वेद विशेषज्ञ एवं एसोसिएट प्रोफेसर उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय हररावाला देहरादून
2. नींद की अनदेखी: याददाश्त के लिए घातक
कितनी बार ऐसा हुआ है कि पूरी रात मोबाइल चलाते रहे और सुबह कोई ज़रूरी बात भूल गए? नींद की कमी सीधे-सीधे आपकी मेमोरी पावर को चोट पहुंचाती है।
7 से 8 घंटे की गहरी नींद दिमाग को ‘रिचार्ज’ करती है और दिन भर की यादों को दिमाग में सुरक्षित करती है। नींद रात्रि में ही प्रॉपर समय पर लेनी चाहिए एवं दिवास्वप्न अर्थात दिन में सोने से बचाना चाहिए।
3. ध्यान की कमी: सुना, पर समझा नहीं
आज के डिजिटल युग में इंसान ‘डिस्ट्रैक्टेड’ ज्यादा है और ‘फोकस्ड’ कम। व्हाट्सएप पर मैसेज पढ़ते-पढ़ते कोई कुछ कह जाए, तो वह दिमाग में दर्ज ही नहीं होता। ऐसे में भुलक्कड़पन स्वाभाविक है।
> रिसर्च कहती है:
“किसी भी सूचना को दिमाग में रखने के लिए कम से कम 7 सेकंड का ध्यान जरूरी होता है।”
4. पोषण की कमी: कमजोर शरीर, कमजोर दिमाग
विशेष रूप से Vitamin B12, आयरन और ओमेगा-3 फैटी एसिड की कमी दिमागी कमजोरी और भ्रम की स्थिति को जन्म देती है। जो लोग लगातार थकान, चिड़चिड़ापन और ध्यान की कमी महसूस करते हैं, उन्हें पोषण जांच जरूर करानी चाहिए। पोषण के लिए सीजनल रीजनल, लघु एवं पौष्टिक आहार लेना चाहिए। दूधएवं फलों का प्रयोग करने से हमारे दैनिक पोषक तत्वों विटामिन आदि की आपूर्ति हो जाती है। ड्राई फ्रूट में विशेष कर बादाम ब्रेन के विकास के लिए बहुत आवश्यक है।
5. डिप्रेशन और अकेलापन: चुपचाप खा जाती है यादें
डिप्रेशन सिर्फ एक मानसिक स्थिति नहीं, ये आपकी सोचने और याद रखने की क्षमता को भी चुपचाप खत्म कर देता है। कई बुजुर्गों और युवाओं में यह कारण सबसे अधिक देखा गया है। इसलिए तनाव से बचने के लिए आपकी जो भी अभिरुचि है मानसिक हॉबी हो उसमें अपने को इंवॉल्व रखें कुछ सामाजिक कार्य भी करें। जीव जंतुओं एवं प्रकृति से प्यार करें तथा अनाथालय वृद्ध आश्रम आदि में भी निरंतर सेवा करी आदि में इंवॉल्व रहे हैं जिससे हमारा मानसिक एवं सामाजिक स्तर ठीक रहता है। जब हम दूसरे की मदद या पर उपकार करते हैं तो हमें कहीं ना कहीं आंतरिक आनंद और संतोष और सुकून की अनुभूति होती है।
6. उम्र का असर और डिमेंशिया की आहट
60 की उम्र के बाद हल्का-फुल्का भूलना सामान्य माना जाता है, लेकिन यदि रोज़मर्रा की चीजें जैसे ताले की चाबी, गैस बंद करना, दवा लेना भूलना आदत बन जाए — तो ये डिमेंशिया या अल्ज़ाइमर की ओर संकेत हो सकता है।
अब सवाल ये है — क्या इसका इलाज है? बिल्कुल है। पर जरूरी है समझदारी और सजगता।
7 असरदार समाधान जो आपकी याददाश्त को बढ़ाएंगे:
1. ब्रेन एक्सरसाइज करें:
खेल, शतरंज, पहेलियाँ और किताबें पढ़ना मस्तिष्क की जिम हैं।
2. आयुर्वेद का सहारा लें:
ब्रह्मी: मस्तिष्क टॉनिक
शंखपुष्पी: स्मरण शक्ति बढ़ाने वाली
अश्वगंधा: तनाव कम करने वाली औषधि
आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. राजीव कुरेले के अनुसार: “ब्रह्मी सिरप और शंखपुष्पी का नियमित सेवन विद्यार्थियों और वरिष्ठ नागरिकों दोनों के लिए फायदेमंद होता है।” आयुर्वेद में शंखपुष्पी रसायन, अश्वगंधादिअवलेह, स्मृति सागररस, ब्राह्मी वटी, वच, जटामांसी, आमला, ज्योतिषमति, अश्वगंधारिष्ट, सरस्वतारिष्, स्वर्ण भस्म, प्रवाल पिष्टी, च्यवनप्राश, मुक्तापिष्टी, सोनी रसायन योग को दीपक रसायन आदि मीट एवं रसायन वर्ग की औषधियां मस्तिष्क दुर्बल्यजजन्य विकार मनोअवसाद, उन्माद, एंजायटी तनाव, स्ट्रेस, बाइपोलर मूड डिसऑर्डर, मनोखिन्नता, स्मृतिह्रास आदि मानसिक समस्याओं में लाभकारी होती है इनको किसी सुयोग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करके ही प्रयोग करना चाहिए।
3. ध्यान और योग:
विभिन्न प्रकार के शारीरिकआसन, सूर्य नमस्कार, शीर्षासन, पश्चिमोत्तान आसान, हलासन, बालासन, योग मुद्रा, प्रणाम मुद्रा, ताड़ासन, सर्वांगासन, पद्मासन, प्रत्येक दिन 15 मिनट का ध्यान (Meditation) और अनुलोम-विलोम, भ्रामरी प्राणायाम
, ज्ञानमुद्रा, स्मृति सुधारने में बेहद उपयोगी हैं।
4. नींद की आदत सुधारें:
रात में 10 बजे से पहले सोना
मोबाइल, लैपटॉप को 1 घंटे पहले छोड़ देना
सोने से पहले हल्का गर्म दूध या प्रातः अगर चाय की इच्छा रहती हो तो ब्राह्मी की चाय पीना नाश्ते के समय एवं समकालीन संध्या काल में लाभकारी है
5. आहार में सुधार:
अखरोट, बादाम, अलसी के बीज और हरी सब्जियाँ रोज़ाना खाएं
प्रोसेस्ड और जंक फूड से दूरी बनाएं
6. रूटीन बनाएं:
कार्यों को लिखना शुरू करें
कैलेंडर, अलार्म, रिमाइंडर का सहारा लें
नियमित जीवनशैली रखें
7. मेडिकल चेकअप जरूर कराएं:
अगर भूलने की आदत दिन-ब-दिन बढ़ रही है तो न्यूरोलॉजिस्ट से जांच कराना जरूरी है।
विशेष चेतावनी:
लगातार दवा लेना, शराब का सेवन और नींद की गोलियों का उपयोग भी याददाश्त पर असर डाल सकता है।
याददाश्त कमजोर होना बीमारी नहीं, एक संकेत है — जीवनशैली को सुधारने का। आधुनिक चिकित्सा, आयुर्वेद, संतुलित जीवन और मानसिक शांति मिलकर आपकी स्मृति को फिर से तेज बना सकते हैं। वक्त रहते ध्यान दें, क्योंकि याददाश्त ही तो हमारी पहचान है।
– -डॉ राजीव कुरेले आयुर्वेद विशेषज्ञ एवं एसोसिएट प्रोफेसर उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय हररावाला देहरादून उत्तराखंड
यह लेख डॉ राजीव कुरेले जी से वरिष्ठ पत्रकार हरिशंकर सिंह की हुई विशेष बातचीत पर आधारित है,