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 डॉ. राजीव कुरेले 

हर साल 7 अप्रैल को मनाया जाने वाला विश्व स्वास्थ्य दिवस हमें यह सोचने का अवसर प्रदान करता है कि स्वास्थ्य हमारे जीवन का सबसे अहम हिस्सा है। इस दिन, खासकर गर्भवती महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जाता है। यह दिन हमें यह भी याद दिलाता है कि सही पोषण और देखभाल से न केवल महिलाओं का स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है, बल्कि इससे उनके गर्भस्थ शिशु का भी समुचित विकास हो सकता है।

गर्भवती महिलाएं विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर तबकों में अक्सर कुपोषण का शिकार होती हैं। गर्भावस्था के दौरान जरूरी पोषक तत्वों की कमी से बच्चों में कई विकार उत्पन्न हो सकते हैं। यह विकार जन्म के समय या जन्म के बाद भी बच्चे की स्वास्थ्य स्थिति को प्रभावित कर सकते हैं। हालांकि, यदि गर्भवती महिलाओं को समय पर उचित पोषण मिले, तो नवजात शिशु स्वस्थ और जीवन से भरा हुआ हो सकता है। यहां आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों का महत्वपूर्ण योगदान है, खासकर उन महिलाओं के लिए जो प्राकृतिक और घरेलू उपायों से अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहती हैं।

आयुर्वेद और गर्भवती महिलाओं का पोषण

आयुर्वेद ने हमेशा से ही शरीर के समग्र स्वास्थ्य की देखभाल करने पर जोर दिया है। गर्भावस्था के दौरान, आयुर्वेद का लक्ष्य महिला और बच्चे दोनों के समग्र पोषण, ताजगी और संतुलन को बनाए रखना है। आयुर्वेदिक पद्धतियों के अनुसार, गर्भवती महिला को जो भी आहार और पौष्टिक तत्व दिए जाते हैं, उनका प्रभाव सीधे शिशु पर पड़ता है। आयुर्वेद के अनुसार, गर्भवती महिलाओं के लिए निम्नलिखित तत्व महत्वपूर्ण होते हैं:

  1. संतुलित आहार – गर्भवती महिला को अपनी रसोई में उपलब्ध ताजे, ताजगी से भरपूर और हल्के मसालों वाले भोजन का सेवन करना चाहिए। आयुर्वेद में, हल्दी, जीरा, धनिया, अदरक जैसे मसाले जो पाचन में मदद करते हैं, उन्हें आहार में शामिल करने की सलाह दी जाती है।
  2. फल और दूध – आयुर्वेद के अनुसार, गर्भवती महिलाओं को अधिक से अधिक ताजे फल और दूध का सेवन करना चाहिए। दूध, विशेष रूप से गाय का दूध, गर्भवती महिला के लिए अत्यंत फायदेमंद होता है, क्योंकि इसमें कैल्शियम और प्रोटीन की प्रचुर मात्रा होती है जो शिशु के हड्डी और मस्तिष्क के विकास के लिए आवश्यक है।
  3. आलू और घी – आयुर्वेद में घी को एक बेहद लाभकारी खाद्य पदार्थ माना जाता है, जो न केवल शरीर को शक्ति प्रदान करता है, बल्कि गर्भवती महिला के मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। आलू और घी का मिश्रण गर्भस्थ शिशु को अच्छे पोषण और ऊर्जा प्रदान करता है।
  4. ताजे हरे पत्तेदार सब्जियां – हरी पत्तेदार सब्जियाँ जैसे पालक, सरसों का साग और बथुआ आयरन और फोलिक एसिड से भरपूर होती हैं, जो गर्भवती महिला और शिशु के लिए बेहद आवश्यक हैं।

आयुर्वेदिक पौधों से लाभ

आयुर्वेद का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें हम प्राकृतिक औषधियों और पौधों का उपयोग कर सकते हैं जो हमारी रसोई में आसानी से उपलब्ध होते हैं। कुछ महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक पौधे और उनके उपयोग गर्भवती महिलाओं के लिए अत्यंत फायदेमंद हो सकते हैं:

  1. अश्वगंधा – यह आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी तनाव को कम करने, ऊर्जा बढ़ाने और समग्र स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करती है। गर्भवती महिलाओं के लिए यह एक प्राकृतिक तरीका है अपनी मानसिक स्थिति को संतुलित करने का।
  2. तुलसी – तुलसी में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो महिलाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। गर्भवती महिलाओं को तुलसी का सेवन करने से इम्यूनिटी बढ़ती है और शरीर को विषाक्त तत्वों से बचाव मिलता है।
  3. गिलोय – यह आयुर्वेदिक पौधा शरीर के डिटॉक्सिफिकेशन में मदद करता है। यह गर्भवती महिलाओं के लिए शरीर में ऊर्जा बढ़ाने के साथ-साथ संक्रमण से बचाव में भी सहायक होता है।
  4. सोंठ (सूखा अदरक) – सोंठ पाचन में सहायक होती है और गर्भवती महिलाओं के लिए यह अपच और उलटी को कम करने में मदद करती है।

आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों और घरेलू उपचारों का प्रयोग

आयुर्वेद में जड़ी-बूटियों का उपयोग स्वास्थ्य लाभ के लिए किया जाता है। गर्भवती महिलाओं को रसोई में उपलब्ध कुछ घरेलू उपचारों से लाभ हो सकता है:

  1. अदरक और शहद का मिश्रण – गर्भवती महिलाओं को प्रतिदिन अदरक और शहद का मिश्रण पीने से कब्ज और मिचली जैसी समस्याओं से राहत मिल सकती है। यह एक प्राकृतिक पाचन तंत्र को मजबूत करने का तरीका है।
  2. पानी में नींबू और शहद मिलाकर पीना – नींबू और शहद के मिश्रण से शरीर का विषाक्त पदार्थ बाहर निकलता है और शरीर को ताजगी मिलती है।
  3. तुलसी और हल्दी का अर्क – हल्दी और तुलसी का अर्क शारीरिक स्फूर्ति और इम्यूनिटी बढ़ाता है। यह गर्भवती महिलाओं के लिए एक आदर्श स्वास्थ्य लाभकारी उपाय है।

आयुर्वेद में गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष ध्यान और आहार की योजना दी जाती है, जो शिशु के अच्छे स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होती है। यदि सही आहार और जीवनशैली अपनाई जाए, तो शिशु का विकास स्वस्थ तरीके से होता है और महिला का स्वास्थ्य भी बेहतर बना रहता है। इसके साथ ही, आयुर्वेद के प्राकृतिक पौधों और रसोई में उपलब्ध सामग्री का सही उपयोग करके गर्भवती महिलाएं अपने स्वास्थ्य का ख्याल रख सकती हैं और प्राकृतिक उपचारों का लाभ उठा सकती हैं।

-डॉ राजीव कुरेले वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सक एवं प्रोफ़ेसर उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय हर्रावाला देहरादून

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