देहरादून- मुख्य परिसर, उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, हर्रावाला में शिष्योपनयन कार्यक्रम आयोजित किया गया। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, मुख्य परिसर हर्रावाला, में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुनील जोशी जी के निर्देशन में बी.ए.एम.एस में नव प्रवेशित छात्र छात्राओं के लिए शिष्योपनयन कार्यक्रम के अंतर्गत विद्यार्थियों के सर्वागीण विकास, अभिप्रेरणा एवं आयुर्वेद विषयों में रूचि जागृत हो इस निमित्त भारत सरकार के एनसीएसएम प्रदत सिलेबस के अनुसार 15 दिवसीय ट्रांजिशन कार्यक्रम पिछले 20 फरवरी से निरंतर चल रहा है। ।
आज के कार्यक्रम का शुभारम्भ परिसर के निदेशक प्रोफेसर डीपी पैन्यूली जी की अध्यक्षता में दीप प्रज्ज्वलन एवं धनवंतरी वंदना के साथ किया गया । आज के प्रथम सत्र में पंचकर्म विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ आलोक श्रीवास्तव एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ राजीव कुरेले एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ प्रदीप सेमवाल, डॉक्टर वर्षा सक्सैना असिस्टेंट प्रोफेसर, डॉक्टर सुनील पांण्डेय, डा०मन्नत मारवाह द्वारा सारगर्भित व्याख्यान दिए गए। द्वितीय सत्र में विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलसचिव प्रोफेसर अनूप गक्खड़ जी ने आयुर्वेद का अध्ययन क्यों आवश्यक है विषय पर वैज्ञानिक एवं सारगर्भित व्याख्यान दिया। उन्होंने आयुर्वेद पद्धति की लोकप्रियता, अंतरराष्ट्रीय योगदान एवं आयुर्वेद के क्षेत्र में किए जा रहे विभिन्न शोधू रिसर्च इत्यादि से छात्रों को अवगत कराया। उन्होंने इस कार्यक्रम के सफल एवं व्यवस्थित संचालन के लिए परिसर निदेशक एवं कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा०राजीव कुरेले , डाअमित तमादड्डी की प्रशंसा की। आज के कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम के संयोजक डा. अमित तमादड्डी एसोसिएट प्रोफेसर द्वारा द्वारा किया गया। कार्यक्रम में छात्रों को आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में किए जा रहे नवाचारों, अनुसंधान आदि के बारे में अवगत करवाया गया। मुख्य परिसर के चिकित्सालय में रोगियों को दी जा रही सुविधाओं के बारे में भी अवगत करवाया गया । कार्यक्रम में डॉ नंदकिशोर दधीचि उपपरिसर निदेशक, डा० उमापति बरागी, डॉ जया काला डॉ अंजना टाक, डॉक्टर नितेश आनंद, डॉ ऋषि आर्य, डा० प्रबोध एरावर, डॉक्टर रिचा शर्मा, डॉक्टर आकांक्षा अनुपम आदि वरिष्ठ शिक्षक गण उपस्थित रहे