ऋषिकेशए 8 दिसम्बर। भ्रष्टाचार के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस की पूर्व संध्या पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भ्रष्टाचार किसी भी राष्ट्र में नैतिकता की जड़ों को कमजोर करता है परन्तु समाजिक स्तर पर नैतिकता युक्त व्यवहार और संस्कारों को बढ़ावा देकर भ्रष्टाचार को समाप्त किया जा सकता है।
भ्रष्टाचार की शुरूआत व्यक्तिगत हितों को पूरा करने से शुरू होती है परन्तु वर्तमान समय में भ्रष्टाचार की जड़े इतनी गहराई तक जमी हुई है कि अब यह एक सामाजिक मानदंड माना जाता है जो कि समाज के लिये घातक है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ही ने कहा कि भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिये संस्कारों के साथ स्वतंत्र और निष्पक्ष मीडिया की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। स्वतंत्र और निष्पक्ष मीडिया भ्रष्टाचार की रोकथामए निगरानी और नियंत्रण के साथ ही जनसमुदाय को इसके लिये शिक्षित करने में योगदान प्रदान कर सकता हैं। साथ ही भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिये ईमानदार लोगों का संरक्षण कर तथा उन्हें प्रोत्साहन प्रदान कर भ्रष्टाचार मुक्त व्यवहारए कार्यशैली और वातावरण को बढ़ावा दिया जा सकता है।
भारत मेंए भ्रष्टाचार विरोधी अनेक पहल और गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा हैं परन्तु जनसमुदाय के सहयोग के बिना यह सम्भव नहीं हो सकता। प्रत्येक स्तर पर सही दिशा में उठाया गया हर कदम भ्रष्टाचार को समाप्त करने में योगदान दे सकता है लेकिन इसके लिये समाज में व्यवहार परिवर्तन लाना जरूरी है क्योंकि यही भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे शक्तिशाली हथियार साबित हो सकता है।
स्वामी जी ने देशवासियों का आह्वान करते हुये कहा कि भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिये सरकार के साथ समाज और सभी एजेंसियों के सहयोग की जरूरत है। उन्होंने सरकार द्वारा चलाये जा रहे भ्रष्टाचार निवारक उपायों की सराहना की।