माननीय राज्यपाल महोदय जी ने स्वामी जी को श्री पद्मनाभान भगवान की दिव्य मूर्ति भेंट की
ऋषिकेश, 6 जून। परमार्थ निकेतन की विश्व विख्यात गंगा आरती में पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में केरल के राज्यपाल माननीय आरिफ मोहम्मद खान साहब ने सहभाग किया।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी को योग और उत्तम स्वास्थ्य के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर किये जा रहे कार्यों के लिये इंटीग्रेटेड हैल्थ एंड वेल बीइंग काउंसिल द्वारा ‘ग्लोबल वेल बीइंग आईकाॅन’ अवार्ड से सम्मानित किया गया।
प्रसिद्ध ड्रम वादक पद्मश्री शिवमणि परमार्थ निकेतन पधारे। परमार्थ गंगा तट शिवमणि के ड्रम से गूंज उठा और सभी श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो उठे।
आज गंगाजी की आरती के पावन अवसर पर योग और आयुर्वेद के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाली विशिष्ट विभूतियों को गंगा अवार्ड से सम्मानित किया गया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि माँ गंगा का जो स्वच्छ स्वरूप हम देख रहे हैं उसमें माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का महत्वपूर्ण योगदान है। आज हम सब मिलकर संकल्प करें तो हम अपने राष्ट्र को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त कर सकते हंै। स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान समय में पूरे विश्व में भारत का जो मान है वह हम सभी भारतीयों का मान है।
केरल के राज्यपाल माननीय आरिफ मोहम्मद खान साहब ने स्वामी जी को जन्मदिन की शुभकामनायें देते हुये कहा कि स्वामी अध्यात्म और योग के माध्यम से जिस प्रकार सभी का मार्गदर्शन कर रहे हैं वह अद्भुत है। उन्होंने आध्यात्मिक दृष्टि से अखंडता अर्थात अपनी आत्मा को जानने से है। शंकराचार्य जी ने चारों मठों को चारों वेदों के माध्यम से एक-एक महावाक्य दिया है जिसका एक ही अर्थ है अपनी आत्मा को जाने।
उन्होंने कहा कि हमें भारतीय संस्कृति की विशेषताओं को दोहराना जरूरी है ताकि हमारी श्रद्धा बनी रहंे। भारत की संस्कृति आत्मा से परिभाषित होती है। भारत ने वर्षो पहले लिंग, भाषा, वर्ण के आधार पर फर्क करना बंद कर दिया था क्योंकि कहा गया कि हम सभी आत्मा से जुड़े हुये है। हमारी एकात्मता की संस्कृति है हमारा आचरण उसके अनुरूप होना चाहिये। हम सभी का सौभाग्य है कि हमारे पास महाराज जी जैसे पूज्य संत हंै। उन्होंने कहा कि इस बार तो मैं परमार्थ निकेतन बुलावे पर आया हूँ परन्तु अब आप बुलाये या न बुलाये मैं जरूर आऊँगा। जब मैं परमार्थ निकेतन गंगा तट पर बैठा तब जो कीर्तन हुआ उसमें भगवान श्री राम और भगवान श्री कृष्ण के नाम का कीर्तन भगवान शिव के सामने हुआ यह केवल भारत में ही संभव हो सकता है क्योंकि भारत में समन्वय की संस्कृति है।
साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि वेलनेस केवल शरीर का नहीं है बल्कि मन और आत्मा का भी है। अगर मन में क्रोध है, तनाव है, लालच है तो व्यक्ति स्वस्थ नहीं है इसलिये आज का दिन हमने योग और उत्तम स्वास्थ्य को समर्पित किया है।’’ उन्होंने कहा कि ऋषिकेश, हिमालय योग की जन्म भूमि है और हम परमार्थ निकेतन में योग की विभिन्न विधायों का अभ्यास प्रतिदिन कराते है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने माननीय राज्यपाल केरल आरिफ मोहम्मद खान साहब को गोबर के गमले में लगा रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।