ऋषिकेश, । परमार्थ निकेतन में पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के 70 वें अवतरण दिवस के अवसर पर आयोजित सेवा महोत्सव और विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर विश्व जाग्रति मिशन के प्रमुख श्री सुधांशु जी महाराज, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री श्री कैलाश चौधरी जी, केन्द्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री, भारत सरकार साध्वी निरंजन ज्योति जी, साध्वी भगवती सरस्वती जी, मानस कथाकार संत श्री मुरलीधर जी ने परमार्थ गंगा आरती में सहभाग किया।
आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सभी को सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करने का संदेश देते हुये कहा कि प्लास्टिक सुनामी की तरह हमारे ग्रह एवं हमारे जीवन की ओर बढ़ रहा है और हमसे हमारी सांसें छीन रहा है। प्रत्येक वर्ष दुनिया में 500 बिलियन (खरब) प्लास्टिक बैंग का उपयोग किया जाता है और लगभग 1 मिलियन प्लास्टिक बोतल खरीदी जाती है। वही भारत में प्रतिदिन 25,940 टन प्लास्टिक अपशिष्ट उत्पन्न होता है। अगर इन पर अंकुश नहीं लगाया तो यह भावी पीढ़ियों के लिये खतरे का रूप ले सकता है।
स्वामी जी कहा कि भारत को इस समय महाभारत नहीं बल्कि महान भारत की जरूरत है।
स्वामी जी ने देशवासियों का आह्वान करते हुये कहा कि पर्वों और उत्सवों, विवाहोत्सव और जन्मोत्सवों के अवसर पर पौधा रोपण अवश्य करें ताकि हमारी प्रकृति, संस्कृति और संतति सुरक्षित रह सके।
परमार्थ गंगा आरती के दिव्य मंच से संत सुधांशु जी महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति और सनातन संस्कृति को पूरे विश्व में पहुंचाने में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अद्भुत योगदान दिया, उनके कार्य वंदन करने योग्य है। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि हर दिन ऐसा हो कि चैन की नींद आये, रात ऐसी हो कि प्रातः चेहरे पर प्रसन्नता हो। हमारी संस्कृति शान्ति की संस्कृति है इसलिये आवश्यक है हमारे मन, घर और कार्यक्षेत्र में शान्ति हो। प्रदूषण और घटती वन सम्पदा के विषय में सभी को जागरूक करते हुये उन्होंने आॅक्सीजन देने वाले पौधों का रोपण करने का संदेश दिया
श्री कैलाश चौधरी जी ने निर्मल और अविरल गंगा के लिये पूज्य संतों और सरकार का अभिनन्दन किया।
साध्वी निरंजन ज्योति जी ने कहा कि मुझे यहां आकर आंतरिक आनन्द की अनुभूति हो रही है। मैं पूज्य स्वामी जी महाराज को पूरे संसार का पथ-प्रदर्शक मानती हूं। अविरल और निर्मल गंगा जो दिखायी दे रही है उसमें पूज्य स्वामी जी का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि संत अपना पूरा जीवन समाज के लिये समर्पित करते है। संत करूणा के सागर होते हैं।
स्वामी जी ने सभी विशिष्ट अतिथियों को रूद्राक्ष का पौधा देकर अभिनंदन किया। इस अवसर पर उज्जैन सेवाधाम से सुधीर जी भी उपस्थित रहे।