केंद्र का वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ओडीओपी) मिशन विशाल तकनीकी को बढ़ावा देता है
मेघालय के पश्चिम जयंतिया हिल्स में लाकडोंग हल्दी के परिवहन के लिए यूएवी/ड्रोन के उपयोग को प्रदर्शित करने को लेकर अपनी तरह का पहली उड़ान भरने का कार्यक्रम हुआ
कनेक्टिविटी मुद्दों को हल करने को लेकर राष्ट्र के लिए एक मॉडल के रूप में सेवा करने की पहल
मेघालय के पश्चिम जयंतिया हिल्स की लाकडोंग हल्दी 7-9 प्रतिशत की उच्चतम करक्यूमिन (मिश्रित जीरा) सामग्री के साथ जिले की अर्थव्यवस्था के लिए गेम चेंजर बन रही है
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के तहत एक जिला, एक उत्पाद (ओडीओपी) पहल के अधीन वेस्ट जयंतिया हिल्स के लिए विकास और निर्यात की उत्कृष्ट क्षमता वाले उत्पाद के रूप में लाकडोंग हल्दी की पहचान की गई है।
ओडीओपी ने भारतीय नवीन तकनीकी की पहचान करने के लिए प्रधानमंत्री विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सलाहकार परिषद के तहत नौ प्रौद्योगिकी मिशनों में से एक अग्नि मिशन के साथ भागीदारी की, जो बड़ी मात्रा में हल्दी के परिवहन के लिए पेलोड ड्रोन (यूएवी) का लाभ उठाकर लाकडोंग हल्दी के संपूर्ण प्रसंस्करण में एक परिवर्तनकारी भूमिका निभा सकता है।
सभा को संबोधित करते हुए डीपीआईआईटी की अतिरिक्त सचिव सुश्री सुमिता डावरा ने कहा कि यह आयोजन उन नवोन्मेषी समाधानों को प्रदर्शित करने की दिशा में पहला कदम है जो औद्योगिक क्रांति 4.0 की शुरुआत करते हुए संपर्कों (फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी) को बढ़ावा दे सकते हैं।
यह ध्यान दिया जा सकता है कि मेघालय के पश्चिम जयंतिया हिल्स की लाकडोंग हल्दी दुनिया की बेहतरीन हल्दी किस्मों में से एक है, जिसमें सबसे अधिक करक्यूमिन सामग्री 7-9 प्रतिशत (अन्य किस्मों में 3 प्रतिशत या उससे कम की तुलना में) है, जो जिले की अर्थव्यवस्था में तेजी से गेम चेंजर बनता जा रहा है। मेघालय राज्य ने लाकडोंग हल्दी के लिए जीआई टैग के लिए आवेदन कर दिया है।
हल्दी में करक्यूमिन और ओलियोरेसिन की मात्रा का प्रतिशत उद्योग द्वारा कीमत के साथ-साथ मांग को निर्धारित करता है। भारत हल्दी का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है (एपीईडीए 2019)। भारत ने 2018 में 236.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य की हल्दी का निर्यात किया, जो 2017 में 182.53 मिलियन अमेरिकी डॉलर था। हल्दी एक वास्तविक फसल है, यह स्वास्थ्य में सुधार करता है और पानी की खपत नहीं करता है।
इस तथ्य पर प्रकाश डालते हुए कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा हल्दी उत्पादक और निर्यातक होने के बावजूद, हल्दी का आयात भी बढ़ रहा है, अतिरिक्त सचिव ने कहा कि प्रमुख आयातक निष्कर्षण और प्रसंस्करण उद्योग थे जिन्हें उच्च करक्यूमिन और ओलियो राल की आवश्यकता होती है।
उच्चतम करक्यूमिन सामग्री और घरेलू बिक्री और निर्यात के लिए उत्कृष्ट क्षमता के बावजूद लाकडोंग हल्दी को स्थान स्थलाकृति और इलाके की दूरस्थता के कारण बाजार तक पहुंच के गंभीर मुद्दों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में खरीदारों को स्थानीय पिकअप ट्रकों के माध्यम से प्रमुख ट्रांसपोर्टरों के लोडिंग पॉइंट तक गांवों से माल परिवहन के लिए अतिरिक्त लागत उठाना पड़ता है। परिवहन की अतिरिक्त लागत और समान कार्य में देरी से खरीदार को खरीद की प्रक्रिया में बाधा/हतोत्साहन होता है।
सुश्री डावरा ने कहा कि उड़ान भरने का कार्यक्रम न केवल ओडीओपी पहल को बढ़ावा देगा बल्कि परिवहन की अड़चन को दूर करने के लिए मौलिक समाधान के रूप में आधुनिक तकनीक का लाभ उठाएगा जो मेघालय से इस असाधारण मसाले की सर्वोत्तम क्षमता को साकार करने में बाधा के रूप में काम करता था।
पिछले साल अप्रैल में अपने आदेश के अनुरूप ओडीओपी टीम ने 2021 में केरल के एर्नाकुलम में एक बड़े खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए 13,136 किलोग्राम कटी हुई और सूखी लाकडोंग हल्दी के व्यापार को सफलतापूर्वक सुगम बनाया। यह भी ध्यान देना होगा कि ओडीओपी पहल के तहत लाकाडोंग हल्दी की कीमत में साल 2021 की तुलना में साल 2022 में 20 रुपये की वृद्धि हुई है जिससे यह 150 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ कर 170 प्रति रुपये किलोग्राम हो गई है।
ओडीओपी जिले की वास्तविक क्षमता को साकार करने, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और वोकल फॉर लोकल के लक्ष्य को आगे बढ़ाने की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम है। लाकडोंग हल्दी की उच्चतम करक्यूमिन सामग्री को अपने अद्वितीय बिक्री प्रस्ताव के रूप में पेश करने में ओडीओपी टीम की सफलता की सराहना करते हुए सुश्री डावरा ने कहा कि टीम ने पश्चिम जयंतिया हिल्स जिले के 4 गांवों के स्वयं सहायता समूहों और सहकारी समितियों के 500 से अधिक किसानों के लिए बाजार तक संपर्क बनाने में सफलता हासिल की है।
सुश्री सुमिता डावरा ने कहा कि ‘लाकडोंग हल्दी 2.0’ के तहत 2022 के फसल के मौसम और आने वाले वर्षों के लिए स्थायी बिक्री के लिए खरीद को बढ़ाने के लिए नए प्रयासों की योजना बनाई जा रही है। इसके लिए दिसंबर 2021 में मेघालय में ओडीओपी टीम ने ग्राहकों के दौरे का नेतृत्व किया, जिसमें इच्छुक खरीदारों के प्रतिनिधियों के लिए खेती और खरीदार-विक्रेता की बैठकें आयोजित की गईं। उन्होंने कहा कि 25,000 किलोग्राम से अधिक के खरीद आदेशों को अंतिम रूप देने के साथ ही इसे और भी आगे बढ़ाने की योजना है, जो इस साल अंतिम बातचीत में हो सकेगी।
12 मार्च, 2021 को राज्यसभा में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जवाब दिया कि भारत दुनिया की 78 प्रतिशत हल्दी का उत्पादन करता है। वर्ष 2018-19 में हल्दी का उत्पादन 389 हजार टन था, जिसका क्षेत्रफल और उत्पादकता क्रमशः 246 हजार हेक्टेयर और 5646.34 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है।