हरिद्वार-विश्व आयुर्वेद परिषद, उत्तराखंड के द्वारा आज दिनांक 10 नवंबर 2024 रविवार को शालाक्य ( नाक कान गला एवं आंखों के रोगों की चिकित्सा) विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी एवं कार्यशाला का आयोजन रुक्मणी राम चैरिटेबल ट्रस्ट विष्णु गार्डन हरिद्वार में किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में मुंबई के आयुर्वेद कॉलेज की प्रोफेसर सुनीता मगर ने नाक, कान एवं गले के रोगों में अग्निकर्म एवं विद्ध कर्म चिकित्सा पद्धति के प्रयोग को प्रत्यक्ष कराया। डॉ मगर ने बताया कि आयुर्वेद में नाक कान एवं गले के रोगों के अनेक गंभीर रोगों का समाधान है। बेगूसराय, बिहार से पधारे नाक कान गला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर मुन्ना कुमार ने टॉन्सिलाइटिस, फैरिंजाइटिस बहरापन, गंध महसूस ना कर पाना आदि रोगों की आयुर्वेद चिकित्सा के बारे में व्याख्यान दिया। कार्यशाला में 86 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया।
रुड़की के मदरहुड कॉलेज से डा चित्रा कपूर, उत्तरांचल आयुर्वेद कॉलेज, देहरादून से डॉ मोनिका शर्मा और हिमालय आयुर्वेद कॉलेज, देहरादून से डॉ रंजना नेगी,देवभूमि आयुर्वेद कॉलेज से डॉ दीप्ति नेगी शिवालिक आयुर्वेद कॉलेज से डॉ आंचल उत्तरांचल आयुर्वेद कॉलेज से डा सोनाली पुरोहित ने कार्यक्रम में सहयोग किया।
कार्यशाला में विश्व आयुर्वेद परिषद के राष्ट्रीय मार्गदर्शक प्रोफेसर प्रेमचंद शास्त्री, उत्तराखंड प्रांत के अध्यक्ष प्रोफेसर उत्तम कुमार शर्मा उत्तराखंड के सचिव डॉ विपिन अरोड़ा, जिला हरिद्वार के उपाध्यक्ष डॉ अभिषेक सक्सेना, चिकित्सा प्रकोष्ठ के प्रभारी डॉ आशीष मिश्रा हरिद्वार के चिकित्सा प्रकोष्ठ के प्रभारी डॉ सुधींद्र शर्मा कार्यक्रम में उपस्थित रहे। कार्यशाला के आयोजन सचिव एवं शालाक्य परिषद के संयोजक डॉ अरुण कुमार ने बताया कि इस कार्यशाला में आयुर्वेद के चिकित्सकों एवं विद्यार्थियों को शालाक्य की चिकित्सा विधियों की विशेष जानकारी दी गई दी गई है। इस एकदिवसीय कार्यशाला में गुरुकुल आयुर्वेद कॉलेज की डॉ पल्लवी भूषण, ऋषिकुल आयुर्वेद कॉलेज की डॉ प्रियंका का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ।