महिला बंदियों के अधिकारों पर ध्यान
महिला आयोग ने राज्य की सभी जेलों का निरीक्षण किया है, ताकि महिला बंदियों की स्थिति और उन्हें मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं का जायजा लिया जा सके। कंडवाल ने बताया कि निरीक्षण के दौरान महिला बंदियों की स्वास्थ्य, स्वच्छता और अन्य आवश्यकताओं पर ध्यान दिया गया और जेल अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि उन्हें उनके भौतिक और मानसिक विकास के लिए विभिन्न कार्यों का प्रशिक्षण दिया जाए।
राज्य में आईजी कारागार को निर्देश दिए गए हैं कि वे सभी जेलों में महिला बंदियों को अलग-अलग कार्यों का प्रशिक्षण दें ताकि वे जेल में रहते हुए भी आत्मनिर्भर बन सकें और जेल से बाहर निकलने के बाद समाज में फिर से अपनी जगह बना सकें। इस दिशा में महिला आयोग द्वारा विशेष कार्यशालाओं और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आयोजन पर जोर दिया जा रहा है।
महिला केंद्रों और हेल्पलाइनों का निरीक्षण
महिला आयोग समय-समय पर राज्य में स्थापित वन स्टॉप सेंटर, महिला चिकित्सालय, छात्रावास, महिला हेल्प डेस्क और महिला हेल्पलाइनों का निरीक्षण करता है। कंडवाल ने बताया कि इन केंद्रों का निरीक्षण इसलिए किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राज्य की सभी महिलाएं आवश्यक सुविधाओं और सेवाओं का लाभ उठा रही हैं। वन स्टॉप सेंटर का उद्देश्य महिलाओं को तुरंत सहायता प्रदान करना है और इनका निरीक्षण यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि वहां सभी आवश्यक सेवाएं उपलब्ध हों।
महिला हेल्पलाइन और हेल्प डेस्क पर महिलाओं की समस्याओं को तुरंत सुना जाता है और जरूरत पड़ने पर उन्हें आगे की कानूनी या अन्य प्रकार की सहायता भी उपलब्ध कराई जाती है। महिला आयोग यह सुनिश्चित कर रहा है कि इन सभी केंद्रों पर कर्मचारियों और संसाधनों की पर्याप्त उपलब्धता हो ताकि महिलाएं अपनी समस्याओं का समाधान पा सकें।
महिला योजनाओं की समीक्षा और मॉनिटरिंग
राज्य महिला आयोग द्वारा विभिन्न जिलों में सरकार द्वारा संचालित महिला कल्याण योजनाओं की भी समीक्षा की जा रही है। इस समीक्षा का मुख्य उद्देश्य यह है कि इन योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन हो और अधिक से अधिक महिलाएं इन योजनाओं से लाभान्वित हो सकें। आयोग की यह पहल राज्य की महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने के लिए महत्वपूर्ण है।
महिला आयोग ने प्रदेश के समस्त जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि जहां चार या उससे अधिक महिला कर्मचारी कार्यरत हैं, वहां एक आईसीसी (आंतरिक शिकायत समिति) कमेटी गठित की जाए। यह समिति उन कार्यस्थलों पर महिला कर्मचारियों की शिकायतों की सुनवाई करेगी और किसी भी प्रकार के मानसिक या शारीरिक शोषण के मामलों को हल करेगी। इसके साथ ही आईसीसी कमेटी की मॉनिटरिंग करने और उसकी रिपोर्ट आयोग को देने के आदेश भी दिए गए हैं।
राज्य महिला नीति का क्रियान्वयन
कुसुम कंडवाल ने पत्रकार वार्ता में बताया कि राज्य सरकार ने महिला आयोग द्वारा तैयार की गई राज्य महिला नीति के फाइनल ड्राफ्ट को स्वीकार कर लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या के सहयोग से इस महिला नीति को जल्द ही राज्य में लागू किया जाएगा। यह नीति राज्य की महिलाओं के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी।
महिला नीति का उद्देश्य राज्य की महिलाओं को हर स्तर पर सशक्त बनाना है। यह नीति वर्किंग वूमेन, सिंगल वूमेन, दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों की महिलाओं, ग्रामीण और शहरी महिलाओं सभी के लिए लाभकारी होगी। इस नीति में महिलाओं की सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार से संबंधित महत्वपूर्ण पहलुओं को शामिल किया गया है ताकि महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकें और अपने अधिकारों की रक्षा कर सकें।
वार्षिकी का लोकार्पण
इस अवसर पर कंडवाल ने महिला आयोग की वर्ष 2023-24 की वार्षिकी का भी लोकार्पण किया। यह वार्षिकी आयोग द्वारा किए गए कार्यों और उपलब्धियों का लेखा-जोखा है। इसमें उन विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया है जिन पर आयोग ने पिछले एक वर्ष में कार्य किया है। वार्षिकी के माध्यम से आयोग ने अपने कार्यों को जनता तक पहुंचाने और महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करने का प्रयास किया है।
कार्यक्रम में उपस्थित अन्य सदस्य
इस महत्वपूर्ण अवसर पर राज्य महिला आयोग की सदस्य सचिव उर्वशी चौहान, विधि अधिकारी दयाराम सिंह और आधार वर्मा भी उपस्थित रहे। इन सभी अधिकारियों ने महिला आयोग के कार्यों को और अधिक सशक्त बनाने और राज्य की महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए अपने विचार साझा किए।
उत्तराखंड राज्य महिला आयोग का यह 19वां स्थापना दिवस न केवल महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में एक नई उम्मीद लेकर आया है बल्कि यह यह भी दर्शाता है कि राज्य में महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। महिला आयोग का उद्देश्य राज्य की महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक और कानूनी रूप से सशक्त बनाना है ताकि वे अपने अधिकारों की रक्षा कर सकें और समाज में एक सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जी सकें।