गंगा नहर से वैश्विक नवाचार तक आईआईटी रूड़की के बोट क्लब की कहानी समय के साथ नौकायन,

-इमरान देशभक्त

गंगा नहर से वैश्विक नवाचार तक आईआईटी रूड़की के बोट क्लब की कहानी
समय के साथ नौकायन,
-आईआईटी रूड़की की विरासत में बोट क्लब की भूमिका
-नवाचार को अपनाते हुए परंपरा का संरक्षण
-मनोरंजन एवं शैक्षणिक उत्कृष्टता का अंतर्संबंध
रुड़की।ऊपरी गंगा नहर के किनारे स्थित आईआईटी-रूड़की के बोट क्लब संस्थान की 177 साल की विरासत का एक प्रतिष्ठित प्रतीक है।यह प्रतिष्ठित स्थल एक मनोरंजक सुविधा से कहीं अधिक का प्रतिनिधित्व करता है।यह कॉलेज की उत्पत्ति,गंगा नहर परियोजना से इसके घनिष्ठ संबंध एवं नेतृत्व व समग्र शिक्षा को बढ़ावा देने के इसके चल रहे मिशन का एक प्रमाण है।आईआईटी-रूड़की की उत्पत्ति 1847 में हुई,जब इसे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के तहत थॉमसन कॉलेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग के रूप में स्थापित किया गया था।इस कॉलेज की स्थापना उत्तर भारत में पानी की कमी को दूर करने के उद्देश्य से एक आवश्यक सिंचाई परियोजना,ऊपरी गंगा नहर के निर्माण एवं रखरखाव के प्रबंधन के लिए एक कुशल इंजीनियरिंग कार्यबल की आवश्यकता को पूरा करने के लिए की गई थी।एक उल्लेखनीय इंजीनियरिंग उपलब्धि मानी जाने वाली इस नहर ने क्षेत्र में कृषि विकास को बहुत बढ़ावा दिया।सर जेम्स थॉमसन,जो उत्तर-पश्चिमी प्रांत के लेफ्टिनेंट गवर्नर थे,जैसे प्रभावशाली व्यक्तियों का योगदान गंगा नहर और रूड़की कॉलेज की स्थापना की वकालत करने में महत्वपूर्ण था।सर थॉमसन ने तत्कालीन ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा 365 एकड़ भूमि के अधिग्रहण को सुरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई,वह भूमि जो अब सिविल लाइन्स और रूड़की के मलकपुर लतीफ क्षेत्र में फैली हुई है।ऊपरी गंगा नहर का ऐतिहासिक महत्व और सर जेम्स थॉमसन जैसी हस्तियों का नेतृत्व संस्था की विरासत को आकार देने में केंद्रीय था।इन नेताओं ने ऐसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के विकास का समर्थन करने के लिए स्थानीय तकनीकी विशेषज्ञता के निर्माण की कल्पना की।1876 ​​में तत्कालीन ब्रिटिश प्रिंसिपल,संकाय एवं अधिकारियों के निर्देशन में छात्रों के लिए तैराकी और नौकायन गतिविधियाँ औपचारिक रूप से शुरू की गईं।यह गंगा नहर के किनारे ‘बोट क्लब’ क्षेत्र के रूप में जाना जाने वाला स्थान था,जो 19वीं शताब्दी से रूड़की कॉलेज अब (आईआईटी-रूड़की) का एक अभिन्न अंग रहा है।नौकायन के लिए इस क्षेत्र के आसपास विकसित बुनियादी ढांचे को तब से ‘बोट क्लब’ के रूप में जाना जाता है।बोट क्लब शुरू से ही आईआईटी-रूड़की की पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है।दशकों तक आईआईटी-रूड़की ने नहर के किनारे के क्षेत्र के लिए सिंचाई विभाग को रखरखाव शुल्क का भुगतान किया।1960 से 1970 के दशक तक सिंचाई विभाग ने नहर किनारे बोट क्लब क्षेत्र के लिए वार्षिक रखरखाव शुल्क जारी किया और आईआईटी-रूड़की ने कर्तव्यनिष्ठा से इन शुल्कों का भुगतान किया।बाद में बोट क्लब सहित कुल संस्थान क्षेत्र के लिए नगर निगम को वार्षिक सेवा शुल्क बीस लाख रुपये से अधिक हो गया।हालाँकि तब से सिंचाई विभाग द्वारा ऐसा कोई शुल्क जारी नहीं किया गया है,इसलिए बकाया के लिए विभाग द्वारा डाला गया कोई भी दबाव न तो सही है और न ही उचित है।गंगा नहर मार्ग और सोलानी पार्क सहित आसपास के क्षेत्र सुबह की सैर और जॉगिंग जैसी मनोरंजक गतिविधियों के लिए जनता के लिए स्वतंत्र रूप से सुलभ हैं,जो स्थानीय समुदाय के लिए एक जीवंत आउटडोर वातावरण प्रदान करते हैं।इतना ही नहीं,बोट क्लब के ठीक सामने बैठने की व्यवस्था वाला एक त्रिकोण क्षेत्र भी जनता के लिए उपलब्ध है,जिसे कुछ वर्ष पहले विकसित किया गया था।छात्रों के बीच नेतृत्व,टीम वर्क और जल से जुड़े खेलों को बढ़ावा देने के लिए शुरू में स्थापित बोट क्लब आईआईटी-रूड़की के परिसर जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है।आज यह शैक्षणिक और अनुसंधान गतिविधियों का केंद्र है,जो बांधों के लिए अंतर्राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र के लिए एक प्रमुख स्थान के रूप में कार्य करता है,जहां वैश्विक विशेषज्ञों के सहयोग से बांध सुरक्षा पर शोध किया जाता है।आईआईटी-रूड़की की 175-वीं वर्षगांठ समारोह के दौरान,संस्थान की यात्रा में उनके महत्व के लिए बोट क्लब और ऊपरी गंगा नहर जैसे ऐतिहासिक स्थलों पर प्रकाश डाला गया।नेतृत्व ने भावी पीढ़ियों को आईआईटी-रूड़की की समृद्ध विरासत से जोड़ने के लिए इन प्रतिष्ठित स्थलों को संरक्षित करने पर जोर दिया।आईआईटी-रूड़की के निदेशक प्रोफेसर कमल किशोर पंत ने बोट क्लब पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि ”बोट क्लब” आईआईटी-रूड़की की एक ऐतिहासिक एवं शैक्षणिक संपत्ति है।यह संस्थान की समृद्ध विरासत का प्रतीक है और अनुसंधान एवं पाठ्येतर गतिविधियों में महत्वपूर्ण योगदान देता है।अकादमिक उत्कृष्टता के लिए इसके उद्देश्य को संरक्षित करने की हमारी प्रतिबद्धता स्थिर बनी हुई है।कुलसचिव प्रशांत गर्ग ने शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए बोट क्लब को बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया और कहा कि “बोट क्लब” 1876 से संस्थान का एक अभिन्न अंग है।हमें बोट क्लब की अखंडता और सही स्वामित्व को बनाए रखने पर गर्व है.शैक्षणिक उद्देश्यों और छात्रों की लाइव गतिविधियों के लिए इसका उपयोग आईआईटी-रूड़की के मिशन के अनुरूप है और हम यह सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ हैं कि यह हमारे छात्रों,संकाय और शोधकर्ताओं के हितों की सेवा करना जारी रखे।वर्तमान में भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित डैम सुरक्षा पर एक अनुसंधान प्रयोगशाला भी आईआईटी-रूड़की बोट क्लब में चलायमान है।इस स्थान पर राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय छात्र अपना शोध एवं शैक्षणिक अध्ययन करते हैं।हम इस बात का खंडन करते हैं कि संस्थान और सिंचाई विभाग के बीच कोई समझौता हुआ था। यदि किसी के पास उस समझौते/एमओयू की प्रति है तो वे उसे संस्थान के साथ साझा कर सकते हैं।हाल के वर्षों में मीडिया रिपोर्टों में बोट क्लब पर प्रतिबंधों का गलत सुझाव दिया गया है,हालाँकि आईआईटी-रूड़की यह स्पष्ट करने पर कायम है कि ये रिपोर्टें भ्रामक हैं। इन दावों के विपरीत,भारत में अन्य आईआईटी की तुलना में कोई प्रतिबंध नहीं हैं।संस्थान इस बात पर प्रकाश डालता है कि मुंबई और दिल्ली जैसे शहरों में अन्य प्रमुख संस्थानों को रिटर्न की उम्मीद के बिना प्रमुख व्यक्तियों द्वारा आर्थिक रूप से समर्थन दिया गया है,जिसका योगदान सैकड़ों करोड़ तक पहुंच गया है।आईआईटी रूड़की में बोट क्लब सिर्फ एक मनोरंजक स्थान से कहीं अधिक है।यह समग्र शिक्षा,नेतृत्व विकास और शैक्षणिक उत्कृष्टता के प्रति संस्थान की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए इस प्रतिष्ठित स्थल को संरक्षित करके आईआईटी-रूड़की नवाचार एवं प्रगति के भविष्य की आशा करते हुए अपनी ऐतिहासिक विरासत का सम्मान करता है।
-इमरान देशभक्त