एसएसपी प्रमेन्द्र सिंह डोबाल के नेतृत्व में नायक की भूमिका निभा रही हरिद्वार पुलिस
नकली नोट छापने वाले गिरोह का किया भंडाफोड़, 06 दबोचे, 2 लाख, 25 हजार 500 रुपए के नकली नोट बरामद
02 लैपटॉप, 03 आइफोन, 01 एनरॉइड़ 01 जिओ का कीपेड़ फोन, 02 प्रिंटर, नोट छापने व जाली नोट तैयार करने के उपकरण व 02 बाइक आदि बरामद
You Tube से देखकर ली थी नोट छापने की ट्रेनिंग, हरिद्वार पुलिस ने पहुंचाया जेल
देहरादून में सुद्धोवाला एवं दून एनक्लेव, पटेलनगर में किराए के मकान में रह कर चला रहे थे जाली नोटों का धंधा
SSP प्रमेन्द्र सिंह डोबाल ने प्रेस वार्ता कर मामले का खुलासा किया ,
हरिद्वार-(19 सितंबर 2024 ) (मनोज सिंह ) तेजतर्रार हरिद्वार पुलिस ने पकड़े 5वीं और 12वीं पास नकली नोट बनाने वाले 6 लड़के,किसी पिक्चर की कहानी सी लगती है अपराध की दुनिया में आने की इनकी जिंदगी, आप भी जानें ! कहीं आपको तो नहीं दे गए 500 के नकली नोट
अब पहली लाइन पढ़कर कई लोग कमेंट कर देंगे कि इससे हमें क्या करना आजकल तो ऑनलाइन का जमाना है और हम तो ऑनलाइन वाले हैं ।
लेकिन अपने आसपास क्या हो रहा है उसकी जानकारी रखना जरूरी है दोस्तों
खैर छोड़ो ये खबर उनके लिए है जो हमें फॉलो कर हमारी हर पोस्ट को गहनता से पढ़ते और सीखते हैं।
तो चलिए शुरू करते हैं…
आपको मिलाते हैं फिल्मी दुनिया के कुछ ऊटपटांग लोगों से जो कुछ समय पहले सिल्वर स्क्रीन पर आई “फर्जी मूवी”को यूट्यूब में देखकर अमीर बनने का सपना देखते हैं और शॉर्टकट अपनाने के चक्कर में हरिद्वार पुलिस द्वारा जेल की सलाखोंके पीछे पहुंचा दिए जाते हैं।
अब कुछ लोग पहले You Tube पर “फर्जी मूवी” देखेंगे तो हमारा कहना है कि इस मूवी को बाद में देख लेना ! पहले पोस्ट को पूरा पढ़ लें…..
क्योंकि “पिक्चर अभी बाकी है…दोस्तों…
पिक्चर की शुरुआत होती है उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के देवबंद के गांधी कालोनी से ! जहां सौरभ नाम का एक नवयुवक है जो अपने मां बाप की मृत्यु होने एवं बड़े भाइयों द्वारा घर से बेदखल किए जाने पर बेहद उदास और हताश हो जाता है। उसको जीवन में बड़ा बनना था उसके अपने सपने थे जो अब टूट गए थे। हताश और निराश सौरभ अपने ही गांव के दो सगे भाइयों “विशाल व नीरज” से दोस्ती गांठने के बाद उनके साथ नए सपनों को लेकर देहरादून आ गया।
देहरादून पहुंचते ही सौरभ ने दोनों भाइयों की लाइफस्टाइल क्या देखी वो तो उन का फैन हो गया किसी चीज की कोई कमी नहीं थी जैसा उसने सपने में देखा था वह सब था इनके पास और जब वजह जानी तो उसके होश उड़ गए। उसको लगा मेहनत इतनी कम और मुनाफा इतना ज्यादा।।
दोनो भाई विशाल व नीरज जो कम पढ़े लिखे थे (विशाल आठवीं फेल और नीरज पांचवी पास) लेकिन दिमाग से बेहद शातिर, उनके दिमाग की बत्ती हमेशा जली रहती थीकाम भी ऐसा की हर कोई चकमा खा जाए ! दोनो भाई काफी समय से नकली नोटों का कारोबार कर रहे थे
कुछ दिन सौरभ के वहीं रुकने पर विशाल द्वारा उसकी जान पहचान सरसावा सहारनपुर निवासी 12वीं पास मोहित से कराई। मोहित भी सुद्धोवाला देहरादून में किराए के कमरे में रह कर जाली नोट छापने का काम कर रहा था। मोटा मुनाफा और अपना सुनहरा भविष्य देख, सौरभ भी इन लोगों से जल्दी घुल मिल गया और इनकी टीम का अहम हिस्सा बन गया और जुर्म की दुनिया में प्रवेश कर गया।
अब 12वीं पास मोहित के साथ एंट्री हुई सरसावा सहारनपुर निवासी निखिल कुमार की जो था तो मोहित के गांव का, पर दिमाग मानो चाचा चौधरी का।
निखिल द्वारा कुछ समय हरिद्वार में रहकर नौकरी भी की गई थी। नामी कंपनी में गार्ड की नौकरी से जब शौक पूरे नहीं हुए तो निखिल ने चाचा चौधरी वाला दिमाग नेगेटिव डायरेक्शन में चलाकर 500 के नकली नोट छाप कर अमीर बनने का शार्टकट अपनाया और पूरे प्रकरण का मास्टर माइंड बन, जाली नोटों के कारोबार को शिखर पर पहुंचाने के सपने देखने लगा।
इस काम को करने के लिए निखिल को एक ऐसे एक्सपर्ट व्यक्ति की जरूरत थी जो असली नोट की हू-ब-हू प्रिंट कॉपी (नकली) निकाल दे और इसके लिए उसको साथ मिला मोहित का जो कंप्यूटर भी बेहतर तरीके से जानता था और प्रिंटर मशीन का भी खासा ज्ञान रखता था।
दोनों ने मिलकर एक pen drive में असली नोट की शार्प scanned copy को बढ़िया स्कैनर व लैपटॉप के माध्यम से कई कंपनियों के एक से बढ़कर एक प्रिंटर से प्रिंटआउट निकाला। कई दिनों की माथापच्ची के बाद एक कॉपी को इनके द्वारा फाइनल किया गया
….और यहीं से शुरू हो गया नकली नोट बनाने का गोरखधंधा !!
वो कहावत हैं न… कि गलती से सीख तो मिलती है पर अगर रास्ता गलत हो तो विनाश निश्चित है !!!
अपनी इन्हीं हरकतों के कारण निखिल और मोहित 2021 में नकली नोट बनाने पर नाहन, सिरमौर हिमाचल प्रदेश से पकड़े गए और जेल गए जहां 5 महीने जेल में रहकर आए।
जमानत पर जेल से बाहर आने पर भी इनमें कोई सुधार नहीं हुआ और उत्तराखंड को सॉफ्ट टारगेट समझकर यहां पर गोरखधंधा करना शुरू कर दिया।
जेल से बाहर आकर इनके द्वारा और फुलप्रूफ प्लानिंग के साथ अपने काम को आगे बढ़ाने पर विचार किया गया और अपनी टीम में ऐसे लोगों को रखा जाने लगा जो विश्वास पात्र हों और बाहर जाकर इन नकली नोटों को पब्लिक के बीच आसानी से चला सकें।
फिर क्या एक के बाद एक कई साथी जुड़ते चले गए… जिसमे एंट्री हुई हापुड़ निवासी अनंतवीर की जो 2001 में आर्मी में बंगाल इंजीनियरिंग में भर्ती हुआ था वह 2004 में एक्सीडेंट होने पर आर्मी छोड़ देने से पैसों की तंगी से जूझ रहा था और अपराध की दुनिया से आसानी से जुड़ गया।
अब इनकी संख्या बढ़कर 6 हो चुकी थी विशाल, नीरज, निखिल, मोहित, अनंतवीर व गांव से सुनहरे सपने देखकर शहर आया सौरभ।
अब बारी आई नकली नोट छापने एवं उनको बाजार में चलाने की !
मोहित और विशाल व नीरज द्वारा देहरादून के सुद्धोवाला एवं चंद्रबनी में आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों से नकली नोटों की छपाई का काम किया गया जो देखने में हू-ब-हू असली जैसे लगते थे। छापने के बाद इन नोटों की कटिंग की जाती थी जो कभी-कभी थोड़ी ऊपर नीचे हो जाया करती थी जिस कारण नोट का साइज छोटा बड़ा हो जाता था, कभी नोटों के नंबरों के क्रम एक जैसे हो जाते थे इत्यादि छोटी बड़ी गलती इन लोगों से होती रहती थी (अधिक बताना यहां उचित नहीं)
ऐसी कच्ची पक्की इनकी लघु फैक्ट्री हिचकोले खाकर धीरे-धीरे चल रही थी और इन में तैयार इन नकली नोटों को बाजार में चलाने के लिए निखिल, अनंतवीर और सौरभ काम करते थे।
यह इन नोटों को ऐसे इलाकों पर चलाते थे जहां कोई बेहद बुजुर्ग दुकानदार हो अथवा दुकान में काफी भीड़ रहती हो यानि चलती दुकान हो etc
ये दुकान में अक्सर 200 से ढाई सौ का सामान खरीदा करते थे और बदले में 500 का नोट दिया जाता था ताकि दुकानदार भी ज्यादा आना-कानी न करें। इसके अतिरिक्त भी इनके द्वारा “मौका देखकर” भीड़भाड़ वाले इलाकों, पेट्रोल पंपों, छोटी मोटी दुकानों पर जाकर खरीदारी कर 500 का नकली नोट देकर खुले छुट्टे के रूप असली रुपए लिए जाने लगे।
अपने इस कारोबार को और अधिक बढ़ाने के लिए इन चतुर खिलाड़ियों का देहरादून से हरिद्वार की ओर रूख करना भारी पड़ गया।
तेजतर्रार हरिद्वार “रानीपुर” पुलिस ने काल बन गैंग के 04 सदस्यों को सटीक सूचना पर दबोच कर मौके से करीब 22000 के नकली नोटों का जखीरा बरामद किया गया।
साथ ही पूछताछ में प्रकाश में आए 02 अन्य अभियुक्तों मोहित और विशाल को पकड़ने के लिए कोतवाली रानीपुर पुलिस द्वारा दो टीमें बनाते हुए सुद्धोवाला प्रेमनगर देहरादून एवं दून एनक्लेव पटेलनगर से 2 लाख से अधिक के नकली नोटों के जखीरे, प्रिंटर, लैपटॉप, 03 आईफोन सहित 05 मोबाइल, ब्लेड कटर चमकीली ग्रीन टेप, प्रिंटर, इंक जेट, कटर, कैंची व नकली नोट छापने के कई उपकरणों सहित दबोचा लिया।
फिलहाल इनकी लघु फैक्ट्री बंद हो गई, सौरभ का सपना भी टूट गया और अब ये सभी इस समय जेल की सलाखोंके भीतर हैं। इनकी सभी चालाकियों को हरिद्वार पुलिस ने फेल कर दिया।
!! बुरे काम का बुरा नतीजा !!
नाम पता आरोपित–
1- सौरभ पुत्र जसबीर निवासी गांधी कालोनी थाना देवबंद जिला सहारनपुर उ0प्र0 उम्र 21 वर्ष (5वीं पास)
2- निखिल कुमार पुत्र सुरेन्द्र कुमार निवासी ग्राम शांह जहापुर थाना सरसावा जिला सहारनपुर उ0प्र0 उम्र 24 वर्ष (12वीं पास)
3- अनंतबीर पुत्र स्व0 जिले सिह निवासी लोकराड़ थाना बाबूगढ छावनी जिला हापुड़ उ0प्र उम्र 43 वर्ष (12वीं पास)
4- नीरज पुत्र राजेश निवासी गांधी कालोनी देवबंद सहारनपुर उ0प्र0 उम्र 21 वर्ष (5वीं पास)
5- मोहित पुत्र राजेन्द्र नि0 सरसावा जिला सहारनपुर उ0प्र0 (12वीं पास)
6- विशाल पुत्र राजेश नि0 गांधी कालोनी देवबंद जिला सहारनपुर उम्र 23 वर्ष (8वीं फेल)
बरामदगी—
1- कुल 500 रू0 के 451 नोट कुल धनराशि 02 लाख 25 हजार 500 रू0
2- 02 बाइक(01 प्लसर ,01 ड्यूक), 02 लैपटॉप एचपी कम्पनी, 02 प्रिन्टर इंक जेट एचपी कम्पनी, 04 कटर, 02 केंची ,01 पेपर कटर , 03 कटर , 05 चमकीली ग्रीन टेप, 01 पैन ड्राईव व नोट बनाने का सामान, कटिंग करने के बाद शेष कतरन