विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर मुख्य परिसर उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने आयोजित की संगोष्ठी

हर्रावाला।आज मुख्य परिसर उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, हर्रावाला के प्रशासनिक सभागार में विभाजन विभिषिका स्मृति दिवस पर एक चिंतन संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रोफेसर अरुण कुमार त्रिपाठी जी द्वारा की गयी। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता प्रोफेसर राधावल्लभ सती ने विभाजन के समय की सामाजिक त्रासदी, विभाजन के समय उपजी धार्मिक हिंसा, लोगों की पीड़ा के विषय में विस्तार से प्रकाश डाला।इस स्मृति दिवस पर, हम उन लोगों को याद करते हैं जिन्होंने अपने जीवन को खो दिया और उनके परिवारों के साथ एकजुटता के साथ खड़े हैं।

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस हमें उस दर्दनाक इतिहास की याद दिलाता है और हमें एकजुटता, सहिष्णुता और मानवता  के मूल्यों को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करता है। आज, हम उन सभी को याद करते हैं जिन्होंने इस कठिन समय में संघर्ष किया और बलिदान दिया उनको स्मृति दिवस पर, हम याद करते हैं। कहा किविभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर हमारी संवेदनाएँ उन लोगों के साथ हैं जो इस त्रासदी से प्रभावित हुए हैं।


संगोष्ठी कार्यक्रम के अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रोफेसर(डा०) अरुण कुमार त्रिपाठी जी ने कहा कि हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 15 अगस्त 2021 को लाल किले पर अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में 14 अगस्त को “विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस” के रूप में मनाने की घोषणा की थी। इस घोषणा का उद्देश्य विभाजन के दौरान हुई पीड़ा और बलिदानों को याद करना और उन लोगों को श्रद्धांजलि देना है, जिन्होंने इस कठिन समय का सामना किया ।
आज विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस है, जो भारत के विभाजन के दौरान हुए दुखद और हृदयविदारक घटनाओं की याद में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि मैं स्वयं तो उन घटनाओं को नहीं देखा लेकिन फिर भी इनका सजीव चित्रण उसे समय के लोगों द्वारा सुना है जो इस विभाजन विभीषिका से पीड़ित थे। इस दिन हम उन लोगों को याद करते हैं जिन्होंने अपनी जान गंवाई, अपने घरों को खो दिया, और अपने परिवारों से बिछुड़ गए। हमारा देश आजादी के बाद से ही विभाजन के दर्द से जूझ रहा है, और इसके परिणामस्वरूप हुए दुखों को कभी भुलाया नहीं जा सकता। इसलिए, हमें इस दिन को एक स्मृति दिवस के रूप में मनाना चाहिए और उन लोगों को श्रद्धांजलि देनी चाहिए जिन्होंने अपने जीवन को खो दिया। उन्होंने कहा कि हम सबको अपने-अपने कार्य क्षेत्र में धार्मिकता, जातिवाद , क्षैत्रवाद आदि से ऊपर उठकर राष्ट्र-प्रथम भावना के साथ कार्य करना चाहिए।


विश्वविद्यालय के कुलसचिव रामजीशरण शर्मा जी ने कहा कि हमें विचार करना चाहिए, कि क्यों हमें वर्तमान परिपेक्ष में विभाजन स्मृति दिवस मनाने की आवश्यकता पड़ी। आज हम समाज देख रहे हैं कि आपसी मतभेद, मनभेद, धार्मिक असहिष्णुता बढ़ रही है। विभिन्न तरीकों से हमारे समाज को बांटने का काम किया जा रहा है। कुछ देश विरोधी तत्वों द्वारा किया जा रहा है।इस अवसर पर, हमें विभाजन के कारणों और परिणामों पर विचार करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी त्रासदी फिर कभी न हो। हमें मिलकर एक ऐसा समाज बनाना चाहिए जो सहिष्णुता, एकता और शांति पर आधारित हो। कार्यक्रम का सफल संचालन डा० राजीव कुरेले द्वारा किया गया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से संजीव पांडे उप रजिस्ट्रार, डॉ जया काला, डॉ ईला तन्ना, डॉ अंजना टांक, विवेक जोशी, डॉक्टर वर्षा सक्सैना डॉक्टर रिचा शर्मा, डॉ ऋषि आर्य डॉ मन्नत मरवाह, डा०शिशिर प्रसाद, विवेक तिवारी मुख्य फार्मासिस्ट, आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम में बी.ए.एम.एस के छात्र- छात्राओं, इंटर्न, चिकित्सकों, कार्यालय स्टाफ ने सक्रिय रूप से प्रतिभाग किया ।