प्रदीप कुमार
श्रीनगर गढ़वाल। प्रतिभा किसी परिचय का मोहताज नही होती है।वह अपनी मकरंद की सुगन्ध से समाज में अपनी कीर्ति पताका का ध्वजा फहरा देता है। इस तरह की बात चमोला के सन्दर्भ में कही जाए तो किसी तरह की अतिशयोक्ति नही होगी। बताते चलें कि 1 जुलाई 1972 को अखिलेश चन्द्र चमोला का जन्म श्रीधर प्रसाद चातक तथा राजेश्वरी चमोला के द्वितीय पुत्र के रुप में ग्राम कौशलपुर में हुआ। बचपन से ही बडे कुशाग्र बुद्धिमान छात्र छात्रा ओं की श्रेणी मे रहे।कक्षा 5 की परीक्षा गांव के प्राथमिक पाठशाला से करने के उपरान्त कक्षा 12 राजकीय इन्टर काॅलेज बसुकेदार से किया। कला स्नातक राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय अगस्तमुनि से किया। कला निष्णात केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर गढवाल से हिन्दी दर्शन शास्त्र से किया। कला निष्णात में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने पर केन्द्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल द्वारा इन्हें स्वर्ण पदक से सम्मानित किया। राजकीय सेवा में आने पर निरन्तर साहित्य साधना भावी पीढी में भारतीय संस्कृति के बीज रोपित करने के लिए प्रेरणा दायिनी साहित्य सृजन नशा उन्मूलन पर्यावरण संरक्षण आदि अतुलनीय कार्यों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं। बेहतर शिक्षण कार्य करने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री सम्मान महामहिम राज्यपाल पुरस्कार सम्मान शिक्षा शिल्पी सम्मान शिक्षा रत्न शिक्षक विशेषज्ञ अन्तरराष्ट्रीय शिक्षक सम्मान के साथ विभिन्न राष्ट्रीय अन्तरराष्ट्रीय संस्था ओं द्वारा 500 से भी अधिक सम्मानोपाधियों से सम्मानित हो चुके हैं। प्रेमचन्द की जयन्ती के पुनीत सु अवसर पर पंडित रामेश्वर प्रसाद ज्योतिषी मेमोरियल सोसायटी उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पंजीकृत संस्था द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न राज्यों के सराहनीय कार्य करने वाले शिक्षकों समाज सेवियों साहित्यकारों पर्यावरणविदों के आयोजित कार्यक्रम में सम्मानित किया।जिसमें उत्तराखण्ड से राजकीय इन्टर काॅलेज सुमाडी विकासखंड खिर्सू जनपद पौड़ी गढ़वाल में हिन्दी अध्यापक अखिलेश चन्द्र चमोला को मुन्शी प्रेमचंद स्मृति सम्मान-2024 से सम्मानित किया। चमोला को सम्मानित करते हुए विश्व शोध संवर्द्धन अकादमी के निदेशक हीरालाल मिश्र मधुकर तथा मुख्यमंत्री सम्मान से सम्मानित शिक्षक ब्रिजेश कुमार ने कहा कि उत्तराखण्ड से वरिष्ठ शिक्षक अखिलेश चन्द्र चमोला शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में शैक्षिक नवाचार तथा प्रेरणा दायिनी साहित्य का सृजन कर रहे हैं। इससे भावी पीढी में भारतीय संस्कृति के बीज रोपित होते हैं। चमोला ने संस्था का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह के पुरस्कारों से कार्य करने की ऊर्जा तथा प्रेरणा मिलती है।