प्रदीप कुमार
ऊखीमठ/श्रीनगर गढ़वाल। तृतीय केदार तुंगनाथ धाम के कपाट खुलते ही तुंगनाथ धाम सहित यात्रा पड़ावों पर रौनक लौटने लगी है। तुंगनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद दूसरे तीन भी तीन सौ से अधिक तीर्थ यात्रियों ने तुंगनाथ धाम पहुंचकर भगवान तुंगनाथ के स्वयंभू लिंग की पूजा-अर्चना और जलाभिषेक कर पुण्य अर्जित किया। वरिष्ठ पत्रकार लक्ष्मण सिंह नेगी ने बताया कि तुंगनाथ यात्रा पड़ावों पर तीर्थ यात्रियों,पर्यटकों व सैलानियों की भारी संख्या में आवाजाही होने से स्थानीय व्यापारियों के चेहरे पर रौनक लौटने लगी है। तुंगनाथ धाम पहुंचने वाला तीर्थ यात्री चन्द्रंशिला के प्राकृतिक सौंदर्य से रूबरू होकर अपने को धन्य महसूस कर रहा है। तुंगनाथ घाटी में रूक-रूककर हो रही बारिश से चोपता-तुंगनाथ पैदल मार्ग के दोनों तरफ फैले सुरम्य मखमली बुग्यालों में हरियाली लौटने तथा विभिन्न प्रजाति के पुष्पों के खिलने से उस भूभाग के प्राकृतिक सौन्दर्य पर चार चांद लगने शुरू हो गयें है। बता दे कि तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट बीते शुक्रवार को ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये गये थे कपाट खुलने के पावन अवसर पर 7 सौ से अधिक तीर्थ यात्री तुंगनाथ धाम पहुंचकर कपाट खुलने के साक्षी बने थे। वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के बाद पहली बार तुंगनाथ धाम के कपाट खुलने के पावन अवसर पर रिकॉर्ड तोड़ भीड़ देखने को मिली थी। तुंगनाथ धाम के खुलने के दूसरे दिन भी लगभग तीन सौ से अधिक तीर्थ यात्रियों की तुंगनाथ धाम सहित यात्रा पड़ावों पर आवाजाही होने से तुंगनाथ धाम सहित यात्रा पड़ावों पर रौनक लौटने लगी है तथा व्यापारियों के चेहरे खिलने लगे हैं। तुंगनाथ धाम के प्रबन्धक बलवीर नेगी ने बताया कि तुंगनाथ धाम की यात्रा धीरे-धीरे परवान चढ़ने लगी है। तुंगनाथ धाम पहुंचने वाला तीर्थ यात्री तुंगनाथ धाम में पूजा अर्चना व जलाभिषेक करने के बाद चन्द्र शिला के शिखर पर पहुंचने के बाद तुंगनाथ घाटी का दृश्योवलोकन करने के बाद अपने को धन्य महसूस कर रहा है। क्यूजा घाटी मोहनखाल निवासी शंकर सिंह नेगी ने बताया कि चोपता-तुंगनाथ पैदल मार्ग के दोनों तरफ फैले सुरम्य मखमली बुग्यालों में हरियाली लौटने से तुंगनाथ घाटी के प्राकृतिक सौन्दर्य पर चार चांद लगने शुरू हो गये हैं। देहरादून निवासी सुरेन्द्र असवाल ने बताया कि तुंगनाथ धाम में पूजा अर्चना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है इसलिए तुंगनाथ धाम में बार-बार जाने की लालसा बनी रहती है। अगस्त्यमुनि से धीर सिंह नेगी का कहना है कि तुंगनाथ घाटी के प्राकृतिक सौन्दर्य प्रकृति ने अपने वैभवों का भरपूर दुलार दिया है इसलिए तुंगनाथ घाटी के पग-पग पर पर्दापण करने से असीम शान्ति की अनुभूति होती है। पौड़ी निवासी नारायण दत्त जुयाल ने बताया कि तुंगनाथ धाम में पूजा-अर्चना के बाद बड़ा शगुन मिलता है इसलिए प्रति वर्ष लाखों तीर्थ यात्री तुंगनाथ धाम पहुंचकर पुण्य के भागी बनते हैं। स्थानीय व्यापारी जगदीश प्रसाद मैठाणी ने बताया कि तुंगनाथ घाटी पहुंचने वाले तीर्थ यात्रियों,पर्यटकों व सैलानियों की आवाजाही में धीरे-धीरे इजाफा हो रहा है।