ज्योग्राफिकल सोसाइटी ऑफ सेंट्रल हिमालय द्वारा मध्य हिमालय की समस्याओं पर किया गया मंथन

 

प्रदीप कुमार

चमोली/श्रीनगर गढ़वाल। ज्योग्राफिकल सोसायटी ऑफ सेंट्रल हिमालय द्वारा पृथ्वी दिवस के अवसर पर उत्तराखंड के मध्य हिमालय की समस्याओं एवं विकास पर मंथन किया गया कार्यक्रम का शुभारंभ सोसायटी के अध्यक्ष प्रो.अनीता रूडोला विभाग अध्यक्ष भूगोल बीजीआर केंपस पौड़ी,हे.न.ब.ग.विश्वविद्यालय द्वारा किया गया। मध्य हिमालय के इस कार्यक्रम में संरक्षक की भूमिका प्रो.डी.डी.चोनियाल जी द्वारा की गई।
मुख्य वक्ता प्रो.बी.आर.पंत,पीजी कॉलेज हल्द्वानी के भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष ने मध्य हिमालय में जनांकीय बदलाव तथा संसाधनों की पर्याप्ता होने के बावजूद भी यहां पर पलायन तथा यहां पर महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों द्वारा अधिक पलायन किया गया है। प्रोफेसर पंत ने बताया कि महिलाओं एवं प्राकृतिक संसाधनों के आधार पर मध्य हिमालय हेतु अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि इन क्षेत्रों के विकास की पर्याप्त संभावनाएं हैं तथा महिलाओं को पर्वतीय क्षेत्र रीड की हड्डी की बताया।
द्वितीय वक्ता के रूप में हेमवंती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो.एम.सी.सती रहे,जिन्होंने मध्य हिमालय के विकास हेतु स्थानीय उत्पादों पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र की 40 प्रतिशत जनसंख्या प्रवास कर चुकी है तथा स्थानीय उत्पादों के लिए यह 40% जनसंख्या एक बड़े बाजार का कार्य कर सकती हैं। उन्होंने फसल चक्र एवं स्थानीय फसलों की वर्तमान में बाजार समझाते हुए सामुदायिक खेती करने पर ध्यान देने की बात कही।
प्रो.डी.डी.चोनियाल सेवानिवृत्ति वरिष्ठ प्रोफेसर भूगोल विभाग एवं विजिटिंग प्रोफेसर दून विश्वविद्यालय ने मुख्य वक्ताओं की व्याख्यान को सारांशित तथा आलोचनात्मक विश्लेषण कर सुझाव प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि छोटे परिवार के कारण स्थानीय संसाधनों के उपयोग में समस्याएं आ रही हैं जिसके लिए स्थानीय युवाओं को मनरेगा सहकारी योजनाओं के बजाए कृषि एवं प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग हेतु भुगतान दिया जाए तो स्थानीय युवाओं में उत्साहवर्धन होगा तथा चकबंदी कर स्थानीय संसाधनों के उपयोग हेतु सुझाव दिए। तत्पश्चात प्रो.एस.सी.खर्कवाल ने स्थानीय संसाधनों के उपयोग व व्यावसायिक शिक्षा के युवाओं एवं महिलाओं की भूमिका के आधार पर योजना बनाने की आवश्यकता बताई ।
प्रो.अनीता रूडोला द्वारा मध्य हिमालय दिवस की उपयोगिता में बताया गया कि उत्तराखंड मध्य हिमालय में अधिकांश जनसंख्या निवास करती है तथा संसाधनों का व्यवस्थित उपयोग न होने के प्रवास की समस्या प्रवल है। जीएससीएच द्वारा पृथ्वी दिवस पर मध्य हिमालय दिवस मनाने का निर्णय लिया गया ।
कार्यक्रम में आनलाइन माध्यम से 100 से अधिक तथा ऑफलाइन लाइव भूगोल विभाग देहरादून शहर, हरिद्वार,नैनीताल,हल्द्वानी,रुद्रपुर,गोपेश्वर,श्रीनगर,अगस्तमुनि से 600 से अधिक छात्र व प्राध्यापक जुड़े। सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद समिति के सचिव डॉ.किरण त्रिपाठी द्वारा किया गया। डॉ.मंजू भंण्डारी नेगी द्वारा देहरादून शहर के प्राध्यापकों के सहयोग से पृथ्वी दिवस पर अनेक कार्यक्रम संपन्न कराए गए।
डॉ.राजेश भट्ट कार्यक्रम आयोजक सचिव राजकीय महाविद्यालय नागनाथ पोखरी चमोली द्वारा कार्यक्रम का संचालन किया गया।
कार्यक्रम में संरक्षक प्रो.कमलेश कुमार,प्रो.एस.सी.खर्कवाल प्रो.एस.राजशेखर झारखंड,प्रो.डी.एस.नेगी,प्रो.अनीता पांडे,प्रो.पूनम रौतेला,प्रो.पुष्पा पंथ,प्रो.ज्योति,डॉ.कमल बिष्ट,डॉ.बी.पी.देवली,डॉ.लक्ष्मी दत्त गार्गी,डॉ.नंदी गारिया,डॉ.ममता शर्मा,डॉ.नरेंद्र,डॉ.अर्चना नौटियाल,डॉ.सपना सेमवाल,डॉ.वीर सिंह,डॉ.रियाज आदि उपस्थित रहे।