श्रीमद् भागवत महापुराण सप्ताह ज्ञान यज्ञ के तृतीय दिवस पर व्यास द्वारा भक्तों को अपने प्रवचनों से मंदमुक्त किया*

*गब्बर सिंह भंडारी

देहरादून/श्रीनगर गढ़वाल। देहरादून प्रेमनगर के स्मिथ नगर में श्रीमद् भागवत महापुराण सप्ताह ज्ञान यज्ञ तृतीय दिवस के अवसर पर व्यास पीठ पर विराजमान पंडित बृजमोहन डिमरी ने आज की कथा के संदर्भ में कहा कि द्वापरांत में महर्षि पाराशर से व्यास अवतरित हुए।

एक दिन व्यास बद्रीनाथ भगवान के शम्याप्रास क्षेत्र में ध्यान मुद्रा में स्थित थे जिसे वर्तमान में व्यास गुफा कहते हैं।
उन्होंने योग बल से देखा कि आगामी समय कलिकाल बड़ा भयानक विकराल कलहकारी होगा,भगवत्कृपा व योग बल द्वारा उन्होंने एक वेद के चार भाग कर महाभारत इतिहास तथा 17 पुराणों का निर्माण किया लेकिन आत्म संतुष्टि न होने पर भगवत्कृपा बनकर देवषि नारद का आगमन हुआ।
नारद ने अपने पूर्व जन्म का वृतांत सुनाते हुए सत्संग की चर्चा का दृष्टांत देते हुए कहा कि आपने अभी भगवान नारायण के निर्मल यश का गुणगान नहीं किया है।
नारद द्वारा भगवत्प्रदत्त वीणा रूपी जादू की छड़ी का स्पर्श होने पर उन्होंने भगवान के निर्मल यश का गुणगान करते हुए श्रीमद् भागवत संहिता की रचना की।
व्यास पीठ पर विराजमान बृजमोहन डिमरी का कथन है कि श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ कलिकाल के मानव जीवन का तन मन और बुद्धि शुद्धि करने का अचूक ग्रंथ है।
विशेष कर उन्होंने कहा कि बाल युवा जनों को जीवन जीने का सुलभ मार्ग प्रस्तुत करता है इस दौड़ भाग वाली जिंदगी में अचार सदाचार एवं संस्कार रहित होने पर नशा आदि से जीवन को कुमार्ग गामी बना देते हैं।
आचार्य व्यास पीठ पर विराजमान बृजमोहन डिमरी के विचार है से प्राय यह जीवन संस्कार रहित होने पर काम क्रोध इर्ष्या अभियान से ग्रसित होकर नाश करने पर भी उतर सकता है, इसलिए भागवत रूपी ज्ञान यज्ञ के सत्संग में आकर नया जीवन जीने का मार्ग अपनायें।
इस भागवत रूपी ज्ञान यज्ञ में भक्तों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया एवं महिला मंडलियों द्वारा कीर्तन भजन कर आशीर्वाद ग्रहण किया।
इस कथा के आयोजकों ने अपने पितरों की तृप्ति हेतु श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन करने वाले मुखिया यजमान प्रथम पुत्र बहू प्रताप सिंह बिष्ट,राधा देवी, द्वितीय पुत्र बहू खड़क सिंह बिष्ट,भागीरथी देवी ने सभी भक्तों को प्रसाद वितरण करवाया गया।
श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ कथा में मुख्य आचार्य पंडित शशि मोहन थपलियाल,कुल पुरोहित रमेश चंद्र मिश्र,पंडित चंद्र मोहन थपलियाल,पंडित हरीश ममगाई,पंडित आनंद पालीवाल,पंडित भास्कर गैरोला, अनिल काला,दिनेश नौटियाल, रितेश चमोली।
आदि यजमानों में हरिकृष्ण बिष्ट, सुनैना देवी,उदय सिंह बिष्ट,महेंद्र सिंह रावत,पुष्पा देवी, विश्वंभरी देवी,धीरज बुटोला,नंदन सिंह बिष्ट,कुंदन सिंह मेहरा,राजकमल बिष्ट,पूजा बिष्ट,कर्ण सिंह बिष्ट,अशोक रावत,दीपिका रावत,अंजू पवार,कमल रावत,गबर सिंह भण्डारी,पुष्कर सिंह रौथाण,अनीता देवी, विजय सिंह भंडारी,खेम सिंह नेगी, नमिता रावत, नीलम रावत,राहुल सिंह बिष्ट आदि लोगों ने कथा उपस्थित रहे किया।