*शब्दों पर आयोजित संगोष्ठी में पढ़ें 30 शोध-पत्र*
*केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में सेमिनार*
प्रदीप कुमार
देवप्रयाग/श्रीनगर गढ़वाल। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर, देवप्रयाग में वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग के सहयोग से आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में 30 शोध-पत्र पढ़ें गये। देश के विभिन्न राज्यों के उच्च शिक्षण संस्थानों से आए विद्वानों और शोधकर्ताओं ने भाषा में शब्दों के महत्त्व और उनके परिवर्तन के तरीकों का विश्लेषण किया।
‘लोक व्यवहार एवं संस्कृत शास्त्रों के अधिगम में वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली की उपयोगिता’ विषयक इस संगोष्ठी में दस विशिष्ट व्याख्यान हुए। प्रो.बनमाली बिश्वाल,प्रो.विजपाल शास्त्री,प्रो.गिरीश नाथ झा,प्रो.बृजेशकुमार पांडेय,प्रो.नरेंद्रप्रताप सिंह,प्रो.राखी उपाध्याय आदि ने विशिष्ट व्याख्यानों में शब्द यात्रा की गहन समीक्षा की। डॉ.वीरेंद्रसिंह बर्त्वाल, डॉ.अरविंदसिंह गौर,डॉ.अनिल कुमार,डॉ.आशुतोष तिवारी,डॉ.संदीप भट्ट,
डॉ.ज्योति शर्मा आदि ने शोध-पत्र प्रस्तुत किये।
समापन पर मुख्य अतिथि प्रो.राखी उपाध्याय ने बताया कि एक भाषा के शब्दों को दूसरी भाषा प्रभावित करती है। शब्द हमेशा संदर्भ के आधार पर अर्थ देते हैं। सारस्वत अतिथि केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के शैक्षणिक वृत्त के अधिष्ठाता तथा श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर देवप्रयाग के पूर्व निदेशक प्रो.बनमाली बिश्वाल ने कौटिल्य के अर्थशास्त्र में शब्दों के महत्त्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के आरंभ में संयोजक डॉ.सच्चिदानंद स्नेही ने संगोष्ठी के दो दिन का कार्यवृत्त प्रस्तुत किया। अध्यक्षता परिसर की साहित्य विभाग की संयोजिका प्रो.चंद्रकला आर.कोंडी ने की। संचालन डॉ.सूर्यमणि भंडारी ने की तथा धन्यवाद ज्ञापन जनार्दन सुवेदी ने किया।
डॉ.वीरेंद्र सिंह बर्त्वाल,जनसंपर्क अधिकारी।