लावारिस लाशो के अंतिम संस्कार के लिए सारे काम छोड़कर दौड़ पड़ती है इंसानियत की मिशाल पेश करने वाली देश की बेटी के जज्बे को सलाम* *क्रांतिकारी शालू सैनी*

*लावारिस लाशो के अंतिम संस्कार के लिए सारे काम छोड़कर दौड़ पड़ती है इंसानियत की मिशाल पेश करने वाली देश की बेटी के जज्बे को सलाम* *क्रांतिकारी शालू सैनी*

मुजफ्फरनगर,लावारिसो की वारिस के नाम से जानी जाने वाली क्रांतिकारी शालू सैनी ने आज फिर एक वृद्ध बाबा का अंतिम संस्कार अपने हाथो से किया जो भुमा मीरापुर गांव में मंदिर में रहते थे जिन्हे दंडी बाबा के नाम से भी लोग जानते थे शालू सैनी ने पुलिस की राह आसान कर दी है अब हर थाने से लावारिसो के दाह संस्कार के लिए शालू सैनी को संपर्क किया जाता
कोरोना महामारी के समय जब अपने ही अपनों से दूर भाग रहे थे तभी इंसानियत की सिख दे डाली फिर क्या था लावारिस लाशो को ढोने से लेकर अंतिम संस्कार अस्थि विसर्जन करने के लिए सामने आयी क्रांतिकरी शालू सैनी किसी ट्रेन में सफर के दौरान दम तोडा हो या किसी और कारण हुई हो मोत क्रांतिकारी शालू सैनी अपने हाथो से उनके अंतिम संस्कार या उन्हें दफ़नाने के लिए हमेसा तैयार रहती है शालू सैनी सिंगल मदर है और सड़क पर कपड़ो का ठेला लगाकर अपने बच्चो की जिम्मेदारी पूरी करने के कामकाजी समय में से कुछ समय सेवा में देती है शालू सैनी ने बताया की लावरिसो व् जरूरतमंद व् दूर दराज के मृतकों के अंतिम संस्कार करना अपने जीवन की पहली प्राथमिकता बना ली है शालू सैनी अंतिम संस्कार का खर्चा अपने पास से अपने बड़े भाई राजू सैनी के सहयोग से व् समाज से सहयोग मांग कर करती है वो साक्षी वेलफेयर ट्रस्ट की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं जिसमे वो पीड़ित महिलाओ की आवाज बनकर सामने आती है व महिलाओ को आत्मरक्षा के लिए तलवार व लाठी सिखाती हैं व महिलाओ को आत्मनिर्भर बनाने के लिए निशुल्क सिलाई सेंटर भी चलाती है