मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की महिमा पर आधारित कविता–कविराज बृजेश शर्मा*

*मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की महिमा पर आधारित कविता–कविराज बृजेश शर्मा*

दैनिक विराट न्यूज चैनल प्रदीप कुमार श्रीनगर गढ़वाल। 22 जनवरी को अयोध्या में श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन है,इस आयोजन से सम्पूर्ण भारत वासियों में ऊर्जा का संचार पैदा हो रहा है,कवि ,लेखक भी अपनी लेखनी के माध्यम से मर्यादा पुरुषोत्तम राम के विशिष्ट गुणों को आम जन तक पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं,इस तरह की विशिष्टता को उजागर करने वालों में तत्कालीन उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री,द्वारा सम्मानित शिक्षक बृजेश शर्मा द्वारा रचित कविता बहुत सुर्खियां बटोर रही हैं। *मर्यादा पुरुषोत्तम राम की महिमा*
सनातन धर्म के रक्षक, मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम है ।
इनके छत्र छाया बगैर, हमारे अधूरे सब काम है ।।
सरयू तट पर देखो मित्रो, अपना पवित्र अयोध्या धाम है ।
इसी पावन नगरी में जन्मे , हमारे आराध्य श्री राम हैं।।
राजा दशरथ पिता जिनके , कौशल्या उनकी माता है ।
इनकी सहज कृपा दृष्टि तो, सुख संपत्ति की दाता है ।।
केकई-सुमित्रा माता का, इनको मिला प्यार भरपूर ।
प्राण जाए पर वचन न जाए ,वाणी जग में है मशहूर ।।
लक्ष्मण-भरत-शत्रुघ्न, इनके यशस्वी-तेजस्वी भाई हैं ।
समय-समय पर सब ने, अपनी भक्ति इनमें दिखाई है।।
गुरु वशिष्ठ हो या विश्वामित्र ,सबसे लिया इन्होंने ज्ञान ।
अपने बड़ों की आज्ञा पालन, इनका प्रथम कर्तव्य जान।।
केवट -जटायु या शबरी ,सबपे आपने कृपा बरसाई है ।
पंचवटी या चित्रकूट ,सर्वत्र आपकी महिमा समायी है ।।
चौदह वर्ष के वनवास में ,साहस – शौर्य दिखाया है ।
रघुकुल की मर्यादा का, जग से परिचय कराया है ।।
सीता हरण के बाद आपने ,राजा सुग्रीव का साथ लिया ।
पवन पुत्र हनुमान ने ,रघुनंदन को मित्रता का हाथ दिया ।।
बाली को पाठ पढ़ाकर ,सुग्रीव को राज दिलाया था ।
किष्किंधा पर्वत पर ,सुग्रीव सेना का मान बढ़ाया था ।।
सीता माता ने लंका में, धैर्य से अद्भुत काम लिया।
विभीषण की कूटनीति ने ,लंकेश का जीना हराम किया।।
लक्ष्मण जी मूर्छित हुए, मेघनाथ के अटल वार से ।
संजीवनी बूटी ले हनुमत ,लाये संकट से उबार के ।।
कुंभकरण – मेघनाथ का, रघुकुल भ्राता ने संघार किया ।
लंका की जनता का तब, श्री राम ने सकल उद्धार किया ।।
फिर राम- रावण युद्ध में ,विजय हुई भगवान श्री राम की ।
तीनों लोकों के देवों ने, महिमा मानी अयोध्या धाम की ।।
सीता-राम-लक्ष्मण जी, विजय श्रीकर अयोध्या आए।
मर्यादा पुरुषोत्तम ने ,बड़ों से किये अपने वचन निभाए।।
वनवास बिताने के बाद, अयोध्या नगरी दीपावली मानते हैं।
श्री राम जानकी के आगे,श्रद्धा भाव से शीश सब झुकाते हैं।।
मौलिक रचना बृजेश शर्मा मुख्यमंत्री अध्यापक पुरस्कार प्राप्त शिक्षक, सहारनपुर (उत्तर प्रदेश)