हिमालयी भू-भाग बर्फ विहिन होने से पर्यावरणविद खासे चिंतित*

* प्रदीप कुमार

ऊखीमठ/श्रीनगर गढ़वाल। दिसम्बर माह गुजर जाने के बाद भी हिमालयी भूभाग बर्फ विहीन होने से पर्यावरणविद खासे चिन्तित है। निचले क्षेत्रों में मौसम के अनुकूल बारिश न होने से काश्तकारों की रवि की फसल चौपट होने की कंगार पर है तथा काश्तकारों को भविष्य की चिन्ता सताने लगी है। नूतन वर्ष आगमन पर यदि मौसम के अनुकूल बर्फबारी नहीं होती है तो तुंगनाथ घाटी व कार्तिक स्वामी का पर्यटन व्यवसाय खासा प्रभावित हो सकता है। दिसम्बर माह के अन्तिम सप्ताह में हिमालयी भूभाग बर्फ विहीन होना भविष्य के लिए शुभ संकेत नही है। मौसम के अनुकूल बर्फबारी व बारिश न होना पर्यावरणविद ग्लोबल वार्मिंग का असर मान रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार लक्ष्मण सिंह नेगी का कहना है कि विगत दो दशक पूर्व केदार घाटी का हिमालयी भूभाग सहित सीमान्त क्षेत्र दिसम्बर के दूसरे सप्ताह में ही बर्फबारी से लदक हो जाते थे तथा मौसम के अनुकूल बर्फबारी व बारिश होने से प्रकृति में नव ऊर्जा का संचार होने के साथ प्राकृतिक जल स्रोतों के जल स्तर में भी भारी वृद्धि देखने को मिलती थी। हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी के साथ निचले भूभाग में झमाझम बारिश होने से काश्तकारों की गेहूं, जौ, मटर, सरसों की फसलों को प्राप्त मात्रा में नमी मिलने से रवि की फसलों के उत्पादन में खासी वृद्धि होती थी। धीरे-धीरे प्रकृति के साथ मानवीय हस्तक्षेप होने के कारण विगत एक दशक से केदार घाटी के हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी न होना भविष्य के लिए शुभ संकेत नही है। आने वाले समय में यदि केन्द्र व प्रदेश सरकार तथा प्रकृति के संरक्षण व संवर्धन का जिम्मा सम्भाले स्वयंसेवी संस्थाओ ने गहन चिन्तन नहीं किया तो भविष्य में गम्भीर परिणाम हो सकते है तथा अप्रैल, मई व जून में बूंद-बूंद पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ सकता है। केदार घाटी फाटा निवासी सुमन जमलोकी ने बताया कि विगत दो दशक पूर्व दिसम्बर माह में हिमालयी भूभाग सहित तोषी, त्रियुगीनारायण व गौरीकुंड का भूभाग बर्फबारी से लदक रहता था तथा बर्फबारी से प्रकृति में नव ऊर्जा का संचार होने लगता था मगर धीरे-धीरे ग्लोबल वार्मिंग की समस्या के कारण हिमालयी भूभाग दिसम्बर माह में बर्फ विहीन होना भविष्य के लिए शुभ संकेत नही है। जिला पंचायत सदस्य परकण्डी रीना बिष्ट ने बताया कि प्रकृति के साथ मानवीय हस्तक्षेप होने के कारण समय पर बर्फबारी व बारिश नहीं हो पा रही है तथा ग्लोबल वार्मिंग की समस्या भविष्य के लिए शुभ संकेत नही है। प्रधान पल्द्वाणी शान्ता रावत ने बताया कि आने वाले समय में यदि मौसम के अनुकूल बर्फबारी नहीं होती है तो तुंगनाथ घाटी का पर्यटन व्यवसाय खासा प्रभावित हो सकता है। इको विकास समिति के अध्यक्ष सारी मनोज नेगी का कहना है कि दिसम्बर माह में हिमालयी भूभाग बर्फ विहीन होना भविष्य के लिए शुभ संकेत नही है इसलिए प्रकृति के संरक्षण व संवर्धन के लिए सामूहिक पहल होनी चाहिए।