2 अक्टूबर, महात्मा गांधी जयन्ती पर विशेष-लेखक अखिलेश चन्द्र चमोला

प्रदीप कुमार

श्रीनगर गढ़वाल। राजकीय इंटर कॉलेज सुमाड़ी हिंदी के अध्यापक द्वारा 2 अक्टूबर महात्मा गांधी की जयंती पर विशेष लेख। दुबला पतला हड्डी डाॅचा मात्र शरीर, घुटनों तक खादी की धोती,कन्धों पर चादर,हाथ में लाठी,यह था आधुनिक विश्व का युग पुरुष। भारत ने उसे बापू कहकर पुकारा,संसार ने उसकी महामानव के रुप में वन्दना की,यह गौतम की भांति हृदय में अनंत करुणा लेकर आया।ईशा की भांति मानवीय पशुता का शिकार होकर चला गया।हम आज भी उन्हें महात्मा गांधी के नाम से स्नरण करते हैं।
महात्मा गांधी के अन्दर निर्भीकता,आत्मविश्वास का गुण कूट कूट कर भरा हुआ था। गांधी किसी को भी देखकर नहीं घबराते थे। धैर्य का भाव इनके अन्दर बना रहा। इनका जीवन बडा ही सादगी पूर्ण धा।
1915 में गुरु रवीन्द्र नाथ टैगोर ने सबसे पहले गांधी को महात्मा कहा था । 1944 में रेडियो रंगून में सम्बोधन के दौरान सुभाष चन्द्र बोस ने गांधी को राष्ट पिता कहा था।
2 अक्टूबर सम्पूर्ण देश में महात्मा गांधी का जन्म दिवस गांधी जयन्ती के रूप में मनाया जाता है। महात्मा गांधी ने अंहिसा आंदोलन चलाया था इस कारण विश्व स्तर पर उनके प्रति सम्मान सम्मान ब्यक्त करते हुये इस दिन को विश्व अंहिसा दिवस के रुप मेॅ भी मनाया जाता है।
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 गुजरात के निकट पोरबन्दर के हिन्दू परिवार में हुआ था। पिता करम चन्द्र गांधी और माता पुतली बा ई द्वारा इनका नाम मोहन दास रखा।इनका पूरा नाम मोहन दास करम चन्द गांधी था। महात्मा गांधी की मां बडी ही धार्मिक बिचारों की महिला थी। महात्मा गांधी पर जैन दर्शन का भी विशिष्ट प्रभाव था।यही कारण है कि इनके दर्शन में अंहिसा आत्म शुद्वि और शाकाहार को मुख्य रूप से स्थान दिया गया।
अपने विद्यार्थी जीवन में गांधी यद्यपि होनहार छात्र नहीं थे, लेकिन अनवरत मेहनत करने की आदत से अच्छे छात्रों के क्रम में अपना स्थान निर्धारित कर दिया था।
बचपन में कुसंगति के कारण महात्मा गांधी ने धूम्रपान और मांसाहार का भी सेवन किया।समझ विकसित होने पर इन सभी चीजों को जीवन में कभी न दोहराने का दृढ निश्चय किया।गांथी जी ने सत्य हरीश्चन्द्र मातृ पितृ भक्ति श्रवण कुमार के आदर्शों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास किया।
महात्मा गांधी का विवाह 13 वर्ष की आयू में कस्तुरबा से हु आ।
विवाह के पश्चात स्कूल का जीवन समाप्त होने पर मुम्बयी के एक बिद्यालय में अध्ययन करने के बाद लन्दन चले गये। आगे की शिक्षा लन्दन से हुयी । तीन वर्ष की शिक्षा के बाद वे वैरिस्टर बने।इसके बाद गांधी के जीवन की महत्व पूर्ण यात्रा शुरु हुयी,जो सत्याग्रह अंहिसा आन्दोलन सै शुरु होकर उनके राष्ट्र पिता बनने तक जीवन पर्यन्त चलती रही।
महात्मा गांधी ने अहमदाबाद के पास साबरमती नदी के तट पर आश्रम की स्थापना की। यह महात्मा गांधी की तपोभूमि थी। यहीं से साबर मती सन्त ने करोडो जनता का मार्ग दर्शन करते हुये स्वतन्त्रता आन्दोलन की सत्ता अपने हाथ में ली।भारत को राजनीतिक क्षितिज में महात्मा गांधी सूर्य की भांति आलोकित एवं अनुप्रणित हुये।
1930 में महात्मा गांधी ने एक ऐतिहासिक यात्रा शुरू की।जो डाॅडी यात्रा के नाम से प्रसिद्व हुयी। पूर्ण स्वराज की मांग को लेकर पूरा देश अंग्रेजो के खिलाप हो गया।
सन 1942 में महात्मा गांधी ने नारा दिया-अंग्रेजो भारत छोडो,इसमें सभी नेतायों को गिरफ्तार कर दिया गया। महात्मा गांधी को पूना आगा खां महल में नजर बन्द कर दिया गया। वहीं कस्तुलबा की मृत्यू हो गयी। इस प्रकाल 15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद हो गया।इस तरह से गाॅधी जी स्वतन्त्रता आन्दोलन के कर्णधार बने।जन जन के सबसे प्रिय नेता बने। साम्प्रदायिकता का भाव मनुष्य में दुर्गुण के भाव को भर देता है।