प्रदीप कुमार
श्रीनगर गढ़वाल। हिमालय साहित्य एवं कला परिषद् श्रीनगर गढ़वाल तथा अजीम प्रेमजी फाउंडेशन श्रीनगर गढ़वाल के संयुक्त तत्वावधान में हिंदी दिवस (14 सितंबर, ब्रहस्पतिवार
2023) के अवसर पर गोला बाजार स्थित अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के सभागार में साहित्यिक एवं शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित किया गया।
आयोजन के प्रथम सत्र में नीरज नैथानी ने हिंदी दिवस की महत्ता, प्रासंगिकता व मनाए जाने की आवश्यकता सहित वैश्विक स्तर पर हिंदी को प्रचारित प्रसारित करने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस अवसर पर इंटरनेट,सोशल मीडिया,प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मीडिया, कम्प्यूटर, मोबाइल आदि आधुनिक माध्यमों में हिंदी के बढ़ रहे प्रयोग पर भी चर्चा हुई।
गोष्ठी के द्वितीय सत्र में अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की मीमांसा ने नई शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में विद्यालयी पाठ्यक्रमों में विभिन्न चरणों में राज भाषा हिंदी, तत्संबंधी प्रांत की मूल मातृ भाषा तथा तृतीय कोई अतिरिक्त अन्य भाषा के समायोजन को स्पष्ट किया।
गोष्ठी के तृतीय सत्र में प्रोफेसर उमा मैठाणी मैडम ने उत्तराखंड के चितेरे कवि चंद्र कुंवर बर्त्वाल जी की पुण्य तिथि पर उनका स्मरण करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि प्रदान की।साथ ही चंद्र कुंवर बर्त्वाल साहित्यिक जीवन पर विस्तृत व्याख्यान प्रस्तुत किया।
रुद्रप्रयाग से पधारे अजय चौधरी ने चंद्र कुंवर बर्त्वाल की प्रसिद्ध रचना ‘अब छाया में गुंजन होगा ‘को गायन शैली में प्रस्तुत कर गोष्ठी को संगीतमय बना दिया। डा०प्रकाश चमोली ने हिंदी भाषा की समृद्धि, विशालता,व्यापकता को रेखांकित करते हुए चंद्र कुंवर बर्त्वाल के जीवन की प्रमुख घटनाओं को उल्लेखित किया।
आयोजन के चतुर्थ सत्र में राजकीय प्राथमिक विद्यालय गिरगांव में कार्यरत प्रधानाध्यापिका इंदु पंवार के लघु कथा संग्रह ‘कहानी की झप्पी’ का लोकार्पण किया गया। जय कृष्ण पैन्यूली ने पुस्तक की एक लघु कहानी का वाचन करने के साथ कहानी के शिल्प,कथ्य,विषय वस्तु व संदेश आदि के विभिन्न पक्षों को उद्घाटित किया। लेखिका इंदु पंवार ने पुस्तक में संकलित कहानियों की रचना प्रक्रिया सहित कहानी संसार की कल्पना, पृष्ठ भूमि आदि पक्षों को विश्लेषित किया।
आयोजन में डा० प्रदीप अणथ्वाल द्वारा डिजाइन की गई हिमालय साहित्य एवं कला परिषद् श्रीनगर गढ़वाल की सी०डी० का पावर प्रजेंटेशन अजय सेमवाल ने किया।
समापन सत्र में राजस्थान से पधारे कवि नवल किशोर ने हिंदी गेय शैली में कविता पाठ कर संध्या को काव्य निशा में परिवर्तित कर दिया। कीर्तिनगर से प्रतिभाग कर रहे नरेन्द्र कुंवर ने अपने उद्बोधन में साहित्यिक गतिविधियों की सार्थकता पर अपने विचार प्रकट किए।
इस अवसर पर संस्था के वरिष्ठ संरक्षक कृष्णा नंद मैठाणी, प्रोफेसर आर०पी० थपलियाल, शम्भू प्रसाद भट्ट स्नेहिल, आर०पी०कपरवान,डा० राजेश कुमार जैन,प्रवेश चमोली, गणेश बलूनी, प्रोफेसर आशुतोष गुप्ता,डा० नारायण प्रसाद उनियाल,शीतल राज, पूनम रतूड़ी, बी०आर०सी० मुकेश काला,राजीव गोस्वामी,रौबिन सिंह, अंकित उछोली,नेहा कैंतूरा,राखी डिडवान,प्रियंका,हिमांशी नौटियाल,अंजू शाह,सौरभ सिंह पंवार,अनीता लिंगवाल,दीपक राणामाधव गैरोला ,नरेश पंवार,राहुल सिंह आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।