जयपुर, 5 सितंबर। राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने कहा है कि शिक्षक युग परिवर्तन का संवाहक होता है। अच्छा शिक्षक ही जीवन के आलोक पथ को प्रशस्त करता है। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थाओं की पहचान वहां की सुन्दर इमारत और सुविधाओं से नहीं होती, बल्कि वहां की चिन्तन परम्परा और वहां पढ़ाने वाले शिक्षकों से होती है। इसलिए शिक्षक समाज निर्माण के संवाहक होते हैं।
राज्यपाल श्री मिश्र राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय, किशनगढ़ द्वारा आयोजित शिक्षक सम्मान समारोह में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शिक्षक दिवस शिक्षा से जुड़ी हमारी संस्कृति के सम्मान का पर्व है। यह दिन हमें इस बात के लिए प्रेरित करता है कि शिक्षकों के बताए आदर्श पथ पर चलते हुए जीवन को हमें सभी स्तरों पर संवारें।
राज्यपाल ने कहा कि भारतीय संस्कृति शिक्षा के आलोक में रंगी हुई संस्कृति है। गुरु व शिष्य परंपरा ही इस संस्कृति का मूल रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा से ही कोई समाज उन्नति और उत्कृष्टता की राहों की ओर अग्रसर होता है। माता- पिता हमारे जीवन के प्रथम गुरु होते हैं। वह हमारा पालन- पोषण करते हैं पर जीवन को सार्थकता प्रदान करने का कार्य गुरु करते हैं। उन्होंने प्राचीन गुरुकुल पद्धति, महर्षि भारद्वाज, वाल्मीकि, अत्री, संदीपनी, आदि की चर्चा करते हुए कहा कि इनके कारण ही भारत विश्वगुरू बनने की ओर अग्रसर हुआ।
इस अवसर पर केन्द्रीय विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश के कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल को सम्मानित किया गया। केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आनंद भालेवराव ने शिक्षक दिवस के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।
राज्यपाल ने आरम्भ में सभी को संविधान की उद्देशिका और मूल कर्तव्यों का वाचन करवाया।
राजेश व्यास/लीलाधर