छ: सितम्बर को श्रद्धा-भक्ति से मनाई जाएगी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी,आचार्य रमेश सेमवाल

रुड़की।जन्माष्टमी का पावन पर्व आगामी छ: सितंबर बुधवार को मनाया जाएगा।महा पुण्य दायक जयंती योग में ज्योतिष गुरुकुलम् के अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य रमेश सेमवाल जी महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत पुराण भविष्य पुराण के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद श्री कृष्ण अष्टमी तिथि बुधवार रोहिणी नक्षत्र एवं वृषभ राशि के चंद्रमा कालीन अर्ध रात्रि में हुआ था।इस वर्ष छ: सितंबर को प्रिय सभी तत्वों का दुर्लभ योग मिल रहा है अर्थात छ: सितंबर को श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन अर्धरात्रि में अष्टमी तिथि बुधवार रोहिणी नक्षत्र एवं वृषभ राशि का चंद्रमा का दुर्लभ एवं पुण्य दायक योग बन रहा है।इसे जयंती योग कहते हैं।सभी शास्त्रों ने ऐसे दुर्लभ योग की प्रशंसा की है।आधी रात के समय रोहिणी नक्षत्र में यदि अष्टमी तिथि मिल जाए तो उसमें श्रीकृष्ण का पूजन करने से तीन जन्म-जन्मांतरों के पाप दूर हो जाते हैं।हर्षण और सर्व सिद्धि योग भी बन रहे हैं।सिद्धि योग बहुत ही अच्छा योग है।रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ छ: सितंबर प्रात: 9:20 रोनी नक्षत्र समाप्त सात तारीख प्रातः 10:25 अष्टमी तिथि प्रारंभ छ: सितंबर 2 से 3:37 अष्टमी तिथि समाप्त सात सितंबर 4:14 मिनट दोपहर बहुत ही अच्छे योगी में छ: सितंबर 2023 को बुधवार रोहिणी नक्षत्र वृषभ राशि पर चंद्रमा अष्टमी तिथि सर्वार्थ सिद्धि योग में जन्माष्टमी मनाई जाएगी या दुर्लभ योग भगवान के जन्म के समय थे,इसलिए छ: सितंबर को जन्माष्टमी मनाई जानी चाहिए।सात तारीख को वैष्णव जन मनाएंगे।पूजा का समय रात्रि 11:52 से रात्रि 12:34 तक रहेगा।भगवान को रात्रि में दूध,दही,शहद,घी व गंगाजल से स्नान कर खीरा काट करके पिसा धनिया भगवान को अर्पण करें।माखन मिश्री का भोग लगाएं।