प्रदीप कुमार
श्रीनगर गढ़वाल। चिन्हित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक और उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष व प्रवक्ता धीरेंद्र प्रताप ने आज उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली कैबिनेट द्वारा उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारियो के एक आश्रित को सरकारी नौकरी में आरक्षण दिए जाने के फैसले पूरचोर स्वागत किया है।
धीरेंद्र प्रताप ने इस फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा “देर आयत दुरुस्त आयद”।
धीरेंद्र प्रताप ने कहा राज्य निर्माण आंदोलनकारियो को 10 फीसदी क्षैतीज आरक्षण का फैसला उनका “ड्रीम प्रोजेक्ट” रहा था और 2016 में मुख्यमंत्री हरीश रावत के नेतृत्व वाली कांग्रेस कैबिनेट ने चूड़ियांना हरिद्वार में, उनके दबाव के चलते यह फैसला लिया था।उस वक्त वे राज्य सरकार में सरकार में उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी परिषद के अध्यक्ष व मंत्री थे। यही फैसला बाद में गैरसैण विधानसभा सत्र में इसी वर्ष 2016 में पास किया गया परंतु राज्यपाल द्वारा जो कि भाजपा द्वारा नामित राज्यपाल थे उनके द्वारा इस पर अपनी स्वीकृति की मोहर ना लगाए जाने के कारण 7 वर्ष बीत गए और राज्य आंदोलनकारियो को राज्य विधानसभा, मुख्यमंत्री कार्यालय आदि पर बार-बार प्रदर्शन और सत्याग्रह करने पड़े और तब जाकर अब लंबे संघर्ष के बाद पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली कैबिनेट ने इसे पास किया है ।
उन्होंने कहा यद्यपि कैबिनेट के फैसले को वे राज्य आंदोलनकारियों के बड़े भारी संघर्ष का परिणाम मानते हैं परंतु फिर भी पहले हरीश रावत और अब पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री रहते जो आंदोलनकारी की सुध ली है उसके लिए वे दोनों नेताओं का आभार व्यक्त करते हैं।
धीरेंद्र प्रताप ने याद दिलाया कि उन्होंने यह भी ऐलान किया हुआ था कि यदि विधानसभा के मौजूदा सत्र में यह बिल पास ना किया गया तो वे आमरण अनशन करने को मजबूर होंगे परंतु उन्हें संतोष है कि शायद अब इसकी आवश्यकता नहीं पड़ेगी यद्यपि उनके आमरण अनशन को लेकर उनके डॉक्टर, उनके सत्याग्रह की इस राय पर, खराब स्वास्थ्य के चलते, सहमत नहीं थे।
धीरेंद्र प्रताप ने कहा कुछ लोग सोचते होंगे आंदोलनकारी अपने हितों की लड़ाई लड़ रहे हैं परंतु यह सत्य नहीं है। हाल के दिनों में और पहले भी आंदोलनकारियो ने लोकायुक्त भूमि कानून, आपदा, मातृशक्ति के अपमान और अन्य कई सवालों को लेकर कई सत्याग्रह किए हैं और यह लड़ाई आगे भी जारी रहेगी ।”हमने राज्य निर्माण आंदोलन के लिए लंबी जेले काटी है,सत्याग्रह किए हैं और उत्तराखंड एक बेहतर और आदर्श राज्य बन सके ,इस पवित्र कार्य में जो भी योगदान हम दे सकते हैं वह जारी रहेगा।”
उल्लेखनीय है धीरेंद्र प्रताप उत्तराखंड के पहले नौजवान थे जिन्हें 23 नवंबर 1987 को 26 साल की आयु में संसद में उत्तराखंड के नारे लगाते हुए गिरफ्तार किया गया था यही नहीं उनके स्वर्गीय माता सुमन लता भगोला भी राज्य निर्माण आंदोलन की पहली महिला जेल सत्याग्रह सन 1978 में 23 दिसंबर को 71 लोगों के साथ दिल्ली बोर्ड क्लब पर उत्तराखंड के नारे लगाते हुए गिरफ्तार किया गया था और उन्हें उनके पिता स्वर्गीय सुरेश चंद शर्मा उनके परिवार के साथ सदस्यों समेत 71 लोगों को तिहाड़ जेल जाना पड़ा था तिहाड़ जेल जाना पड़ा था जो उत्तराखंड के संघर्ष का एक स्वर्णिम अध्याय है।