“तिरंगा हर चुनौती से निपटने की ताकत देता है”
“भारत अपनी उपलब्धियों और सफलताओं के आधार पर एक नया प्रभाव पैदा कर रहा है और दुनिया इसे अहमियत दे रही है”
“ग्रीस यूरोप के लिए भारत का प्रवेश द्वार बन जाएगा और यह यूरोपीय संघ के साथ भारत के ठोस संबंधों के लिए एक मजबूत माध्यम होगा”
“21वीं सदी प्रौद्योगिकी पर आधारित है और हमें 2047 तक विकसित भारत बनने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के मार्ग पर चलना होगा”
“चंद्रयान की सफलता से पैदा हुए उत्साह को शक्ति में बदले जाने की आवश्यकता है”
“’मैं जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान दिल्ली के लोगों को हुई असुविधा के लिए अग्रिम माफी मांगता हूं, मुझे विश्वास है कि दिल्ली के लोग जी-20 शिखर सम्मेलन को सफल बनाकर हमारे वैज्ञानिकों की उपलब्धियों को नई ताकत देंगे”
गर्मजोशी भरे स्वागत के जवाब में प्रधानमंत्री ने चंद्रयान-3 की सफलता के लिए लोगों के इस उत्साह के लिए आभार व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने इसरो टीम के साथ अपनी बातचीत का उल्लेख किया और बताया कि “चंद्रयान -3 का मून लैंडर जिस बिंदु पर उतरा था, उसे अब ‘शिव शक्ति’ के रूप में जाना जाएगा।” उन्होंने विस्तार से बताते हुए कहा कि शिव का मतलब शुभ है और शक्ति एक रूप में नारी शक्ति का उदाहरण है। शिव शक्ति हिमालय और कन्याकुमारी के संबंध का भी प्रतीक है। इसी तरह, प्रधानमंत्री ने बताया कि 2019 में चंद्रयान 2 ने जिस बिंदु पर अपने पदचिह्न छोड़े थे, उसे अब ‘तिरंगा’ कहा जाएगा। उन्होंने कहा कि उस समय भी इसका प्रस्ताव आया था, लेकिन किसी तरह दिल तैयार नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि मिशन के पूरी तरह सफल होने के बाद ही चंद्रयान-2 के प्वाइंट को नाम देने का संकल्प ले लिया गया था। प्रधानमंत्री ने कहा, “तिरंगा हर चुनौती से निपटने की ताकत देता है।” उन्होंने 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाने के निर्णय की भी जानकारी दी। प्रधानमंत्री ने अपनी यात्रा के दौरान वैश्विक समुदाय से भारत को मिली बधाइयां और बधाई संदेशों के बारे में बताया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उपलब्धियों और सफलताओं के आधार पर भारत का एक नया प्रभाव दिख रहा है और दुनिया उसे अहमियत दे रही है।
पिछले 40 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली ग्रीस यात्रा का उल्लेख करते हुए, पीएम मोदी ने ग्रीस में भारत के लिए प्यार और सम्मान के बारे में बताया और कहा कि एक तरह से ग्रीस यूरोप के लिए भारत का प्रवेश द्वार बन जाएगा और यूरोपीय संघ के साथ भारत के ठोस संबंधों के लिए एक मजबूत माध्यम होगा।
प्रधानमंत्री ने विज्ञान में युवाओं की भागीदारी और बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह देखने की जरूरत है कि सुशासन और आम नागरिकों के जीवन को सुगम बनाने के लिए अंतरिक्ष विज्ञान का कैसे लाभ उठाया जा सकता है। उन्होंने सेवा वितरण, पारदर्शिता और पूर्णता में अंतरिक्ष विज्ञान के दोहन के तरीकों को खोजने के काम में सरकारी विभागों को लगाने के अपने फैसले को दोहराया। इसके लिए, आने वाले दिनों में हैकाथॉन का आयोजन किया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी प्रौद्योगिकी पर आधारित है। उन्होंने कहा, “हमें 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के मार्ग पर और अधिक मजबूती के साथ आगे बढ़ना होगा।” नई पीढ़ी में वैज्ञानिक सोच पैदा करने के लिए, चंद्रयान की सफलता से पैदा उत्साह को शक्ति में परिवर्तित करने की आवश्यकता है। इसके लिए 1 सितंबर से माइगोव पर एक क्विज प्रतिस्पर्धा का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए भी पर्याप्त प्रावधान हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आगामी जी-20 शिखर सम्मेलन एक ऐसा अवसर है जहां पूरा देश मेजबान है, लेकिन इसमें सबसे अधिक जिम्मेदारी दिल्ली की है। श्री मोदी ने कहा, “दिल्ली को राष्ट्रों के सम्मानित ध्वजों को फहराने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि दिल्ली को ‘अतिथि देवो भव’ की परंपरा का पालन करने की आवश्यकता है, क्योंकि यह भारत के आतिथ्य सत्कार को दिखाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। उन्होंने कहा, “5-15 सितंबर के बीच बहुत सारी गतिविधियां होंगी। दिल्ली के लोगों को होने वाली असुविधा के लिए मैं अग्रिम माफी मांगता हूं। एक परिवार के रूप में, सभी गणमान्य व्यक्ति हमारे मेहमान हैं और हमें सामूहिक प्रयासों से अपने जी20 शिखर सम्मेलन को भव्य बनाना है।”
आगामी रक्षा बंधन और चंद्रमा को धरती माता का भाई मानने की भारतीय परंपरा का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने रक्षा बंधन की शुभकामनाएं दीं और उम्मीद जताई कि इस त्योहार की खुशी से भरी भावना दुनिया को हमारी परंपराओं से परिचित कराएगी। उन्होंने कहा कि सितंबर के महीने में दिल्ली के लोग जी-20 शिखर सम्मेलन को सफल बनाकर हमारे वैज्ञानिकों की उपलब्धियों को नई ताकत देंगे।