टीडीबी-डीएसटी ई-अपशिष्ट, ज्वैलर्स अपशिष्ट और ऑटोमोबाइल उपकरण अपशिष्ट से बहुमूल्य धातुओं की पुनःप्राप्ति के लिए एक एकीकृत संयंत्र के विकास के लिए मेसर्स अल्केमी रिसाइक्लर्स प्राइवेट लिमिटेड, गुजरात को समर्थन प्रदान करता है
प्रौद्योगिकी संबंधी प्रयास का उद्देश्य उन प्रस्तावों को बढ़ावा देना है, जो न केवल भारतीय शहरों से कचरे को खत्म करेंगे बल्कि कचरे से संपदा का सृजन करने के लिए तकनीकी उपायों को भी उपयोग में लाएंगे। प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण से प्रेरणा लेते हुए, स्वच्छ भारत मिशन: शहरी 2.0 का उद्देश्य हमारे सभी शहरों को कचरे से मुक्त बनाना है और स्वच्छता पर जोर देना है, प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (डीएसटी, भारत सरकार का एक संवैधानिक निकाय) ने उन भारतीय कंपनियों से आवेदन आमंत्रित किए हैं, जिनके पास अपशिष्ट प्रबंधन क्षेत्र में व्यावसायीकरण चरण में नवीन स्वदेशी प्रौद्योगिकियां हैं।
इस अवसर पर बोलते हुए प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड के सचिव राजेश कुमार पाठक ने कहा, “प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड के “कचरा मुक्त शहरों” के लिए प्रौद्योगिकी संबंधी प्रयास के प्रस्तावों को देश भर में भारतीय कंपनियों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली। इन कंपनियों के द्वारा दिखाया गया उत्साह व रुचि एक स्वच्छ और अधिक टिकाऊ भविष्य बनाने के प्रति इनकी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। बोर्ड को अपशिष्ट प्रबंधन क्षेत्र में व्यावसायीकरण चरण में नवीन और स्वदेशी प्रौद्योगिकियों की एक विस्तृत श्रृंखला प्राप्त हुई। इन प्रौद्योगिकियों में हमारे कचरे का निपटान करने के तरीके में आमूल-चूल बदलाव लाने और योगदान देने की क्षमता है ताकि कचरा-मुक्त भारत के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।”
कंपनी ने प्रसंस्करण के लिए अपनी नवीन पद्धति का उपयोग करके ई-अपशिष्ट, आभूषण से जुड़े अपशिष्ट और कार उपकरण अपशिष्ट से कीमती धातुओं को पुनः प्राप्त करने के लिए एक एकीकृत संयंत्र विकसित किया है। जब ई-अपशिष्ट, आभूषण अपशिष्ट और कार उपकरण अपशिष्ट को एक विशिष्ट अनुपात या संयोजन में मिलाया जाता है, तो पुनःप्राप्ति अनुपात बहुत बढ़ जाता है। इसके अलावा, कुछ अशुद्धियां फ्लक्स के रूप में कार्य करती हैं, जो पुनःप्राप्ति प्रक्रिया में मदद करती हैं। इस कंपनी ने 750 टीपीए की स्थापित क्षमता पर इन तीन अपशिष्टों के संयोजन से सोना, चांदी, पैलेडियम, प्लैटिनम और रोडियम जैसी बहुमूल्य धातुओं की पुनःप्राप्ति का प्रस्ताव दिया है।
यह नवोन्मेषी पद्धति न केवल कीमती धातुओं की पुनःप्राप्ति अनुपात को बढ़ाती है, बल्कि यह कचरा प्रबंधन के लिए एक स्थायी समाधान भी प्रदान करती है। यह पद्धति इन तीन प्रकार के अपशिष्ट से बहुमूल्य धातुओं को कुशलतापूर्वक निकालकर पारंपरिक खनन प्रथाओं से जुड़े पर्यावरणीय प्रभाव को कम करती है। इसके अलावा, फ्लक्स के रूप में अशुद्धियों का उपयोग न केवल पुनःप्राप्ति प्रक्रिया में सुधार करता है, बल्कि यह अतिरिक्त रसायनों की आवश्यकता को भी कम करता है, जो इसे पर्यावरण के अनुकूल दृष्टिकोण और किफायती बनाता है।
इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट व्यापार का मुख्य रूप से अनौपचारिक चैनलों के माध्यम से प्रबंध किया जाता है, जो पर्यावरणीय खतरों, सरकारी करों और संसाधन की कमी को उत्पन्न करते हैं। परियोजनाओं का लक्ष्य इस समस्या को कम करना तथा प्रभावी और किफायती अपशिष्ट संग्रह के लिए चक्रीय अर्थव्यवस्था मॉडल को बढ़ावा देना है। प्रस्तावित प्रसंस्करण क्षमता 750 टीपीए है, जो भारतीय बाजार का 0.0187% है। वैश्विक ई-अपशिष्ट की मात्रा बढ़ने की उम्मीद है, जो स्थानीय और वैश्विक दोनों स्तर पर परियोजना की व्यवहार्यता की क्षमता को रेखांकित करेगी।