मेडिकल कॉलेज में एईएफआई विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला संपंन
विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम ने दी टीकाकरण को लेकर जानकारी।
गबर सिंह भंडारी।
श्रीनगर गढ़वाल। विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली राजकीय आयुर्विज्ञान शोध संस्थान श्रीनगर गढ़वाल के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के द्वारा ”एडवर्स इवेंट फॉलोविंग इम्यूनाइजेशन एंड वैक्सीन प्रीवेंटेबल डिजीज सर्विलांस (एईएफआई) विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें डब्लूएचओ की टीम द्वारा टीकाकरण के बाद प्रतिकूल घटनाओं की रिपोर्टिंग व निगरानी के संदर्भ एवं रोग-वैक्सीन (वीपीडी) प्रिवेंटेबल डिजीज, जिसमें बैक्टीरिया एवं वायरस से होने वाली बीमारियां जिन्हें वैक्सीन से रोका जा सकता के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
कार्यशाला का शुभारंभ अवसर पर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सीएमएस रावत ने श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के तृतीय सन्दर्भण केन्द्र चिकित्सालय में मरीज हित में इस तरह की वर्कशॉप का आयोजन को सराहनीय बताते हुए कहा कि डब्ल्यू. एच.ओ. के सहयोग से कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग टीम की विभागाध्यक्ष डा. जानकी व टीम का प्रयास सराहनीय है। कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग,बाल रोग विभाग व फार्माकोलॉजी विभाग अग्रणी भूमिका में हैं। संस्थान के अन्य विभाग भी इसकी महत्ता समझकर अपने अपने विभाग में इस तरह की वर्कशॉप, कान्फ्रेंस , सिम्पोजियम आदि करने प्रयास कर रहे हैं। इस मौके पर बेस अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रविन्द्र सिंह बिष्ट ने कहा कि अगर अधिकांश लोग प्रतिरक्षित किये जाते हैं और इससे प्रतिरक्षित हो जाते हैं, तो इससे समुदाय में संक्रामक रोगों के फैलने का खतरा कम हो जाता है, जिससे व्यक्तियों और समुदाय के स्वास्थ्य की रक्षा होती है। एईएफआई निगरानी कार्यक्रम से टीकाकरण सेवाओं की गुणवत्ता एवं वितरण हेतु प्रतिबद्धता का पता चलता है, जिससे देश में उत्पादित टीकों पर विश्वास किया जा सकता है। कार्यशाला में डब्ल्यूएचओ से आये रिसोर्स पर्सन डॉ. अजित गुप्ता ने बच्चों पर लगने वाले टीकारकण कार्यक्रम के बारे में विस्तार से जानकारी दी। साथ ही टीकाकरण, सर्वेक्षण और निगरानी के संबंध में सतत जानकारी दी। इस मौके पर बाल रोग विभाग के एचओडी डॉ0 व्यास कुमार राठौर, कम्युनिटी मेडिसिन विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. जानकी बर्त्वाल, डॉ. सुरेंद्र सिंह एवं डॉ. हरप्रीत सिंह द्वारा प्रतिभागियों को यह बताया गया कि सरकार द्वारा हर वर्ष 2 करोड़ 90 लाख गर्भवती महिलाओं तथा 2 करोड़ 60 लाख बच्चों के टीकाकरण का लक्ष्य रहता है तथा इन्हें लगने वाले टीकाकरण, उनके महत्व, उनसे जुड़ी भ्रांतियां, टीकाकरण के पश्चात सम्भवतः हो सकने प्रभावों जैसे बुखार, सूजन इत्यादि की जानकारी दी गयी। साथ ही यह भी बताया गया कि किसी दुष्प्रभाव के होने पर सही रिपोर्टिंग का महत्व क्या है। इसके अतिरिक्त पोलियो, खसरा, रूबेला तथा डिप्थीरिया सर्विलांस के बारे में अवगत कराया गया। इस कार्यशाला में वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. विनीता रावत, डॉ. दीपा हटवाल, डॉ. तृप्ति श्रीवास्वत, डॉ. मोनिका सहित मेडिकल कॉलेज के संकाय सदस्यों, पीजी रेजिडेंट, नॉन पीजी रेजिडेंट एवं इंटर्न्स ने प्रतिभाग किया।