*राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान उत्तराखंड में वर्ल्ड क्रिएटिविटी एंड इनोवेशन डे के अवसर पर कार्यक्रम में क्रिएटिविटी एंड इनोवेशन शीर्षक पर विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन*
गबर सिंह भण्डारी श्रीनगर गढ़वाल
श्रीनगर गढ़वाल – प्रौद्योगिकी संस्थान, उत्तराखंड में “वर्ल्ड क्रिएटिविटी एंड इनोवेशन डे” के अवसर पर एक कार्यक्रम में “क्रिएटिविटी एंड इनोवेशन” शीर्षक पर विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन किया गया और संस्थान के विकास में उत्कृष्ट योगदान देने वाले संकाय सदस्यों को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का उद्घाटन संस्थान के प्रशसनिक भवन स्थित कांफ्रेंस रूम में किया गया जिसमे प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी, माननीय निदेशक एनआईटी, उत्तराखंड, मुख्य अतिथि तथा यूटीयू, उत्तराखंड; एकेटीयू, उत्तरप्रदेश; और लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति एवं वर्तमान में जीएलए, यूनिवर्सिटी मथुरा के प्रो वाईस चांसलर, प्रोफेसर डी एस चौहान विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रोफेसर अवस्थी ने कहा रचनात्मकता की कोई एक सार्वभौमिक परिभाषा नहीं दी जा सकती है। इसका मतलब विशिष्ट सामाजिक और सांस्कृतिक समस्याओं के समाधान की मानवीय क्षमता से लेकर स्थायी आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के प्रति उसका योगदान, कुछ भी हो सकता है। उन्होंने कहा “सामान्य शब्दों में कुछ अलग, कुछ नया और कुछ अनोखा करने की क्षमता रचनात्मकता कही जा सकती। परन्तु मेरे विचार में जो कुछ नया ,अलग और अनोखा है वह रचनात्मक तभी कहलायेगा जब उसकी उपयोगिता हो।”
मानव समाज में रचनात्मकता और नवप्रवर्तन के महत्व का जिक्र करते हुए प्रोफेसर अवस्थी ने कहा कि पहिये के अविष्कार से लेकर वर्तमान ऑटोमोबाइल तक की प्रगति के सफर में प्रौद्योगिकी में सूक्ष्म रचनात्मकता और नवप्रवर्तनों की चरणबद्ध श्रंखला को आसानी से देखा जा सकता है।
श्रोताओ को प्रेरित करते हुए प्रोफेसर अवस्थी ने कहा कि हर किसी में कुछ न कुछ रचनात्मकता होती है। यद्यपि इनकी क्षमता और प्रकृति भिन्न हो सकती है, फिर भी इनका पोषण प्रशिक्षण के माध्यम से किया जा सकता है। उन्होंने संस्थान के समस्त छात्रों और संकाय सदस्यों का आह्वाहन किया कि वे सभी लोग अपनी रचनात्मक और नवाचार की क्षमता का उपयोग सर्वप्रथम क्षेत्रीय और उत्तराखंड राज्य की विशिष्ट समस्याओ का तकनीकी समाधान ढूढ़ने तत्पश्चात राष्ट्रीय समस्याओ पर ध्यान केंद्रित करे।
प्रोफेसर डी एस चौहान ने भी श्रोताओ को संबोधित करने के लिए अपने मूल्यवान शब्द प्रदान किए, उन्होंने कहा रचनात्मकता मानव जीवन के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक या अन्य किसी भी क्षेत्र में समान रूप से देखी जा सकती है। उन्होंने अपने व्याखन में एनआईटी जैसे तकनीकी संस्थानों में पेटेंट के महत्व और उद्योग की मांग के अनुसार उनकी आवश्यकता पर चर्चा की। वैश्विक जनसांख्यकीय असंतुलन के बारे में बात करते हुए प्रोफेसर चौहान अपने देश में नवाचारों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने आर्थिक अर्थव्यवस्था में दृढ़ता और सामरिक आत्मनिर्भरता पर जोर देते हुए कहा की हमें अन्य देशों से प्रौद्योगिकी उधार नहीं लेनी चाहिए। उन्होंने सभी यूजी, पीजी और पीएचडी छात्रों और संकाय सदस्यों से कृषि, स्वास्थ्य सेवाओं, तकनीकी और पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रो में काम करने के लिए नवीन विचारों के साथ आगे आने का आग्रह किया।
कार्यक्रम के अंत में माननीय निदेशक ने डॉ सनत अग्रवाल , डॉ हरिहरन मुथुसामी, डॉ पवन कुमार राकेश , डॉ मानवेन्द्र सिंह खत्री, डॉ सरोज रंजन डे, डॉ आई एम नागपुरे, डॉ प्रकाश द्विवेदी, डॉ सौरव बोस, डॉ हरदीप, डॉ रामपाल पांडेय, डॉ नितिन कुमार, डॉ नीरज कुमार मिश्रा, डॉ पंकज कुमार पाल, डॉ तुषार गोयल , डॉ स्मिता कालोनी, डॉ विकास कुकशाल, डॉ शशांक भात्रा को रिसर्च एवं परियोजना के माध्यम से संस्थान के विकास में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया