*राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान उत्तराखंड में ओवरकम चैलेंजर एंड अकंपलिश गोल्स फ्राम ए स्ट्रेंथ पर्सपेक्टिव विषय पर दो दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन*

गबर सिंह भण्डारी श्रीनगर

गढ़वाल श्रीनगर गढ़वाल – राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, उत्तराखंड में “ओवरकम चैलेंजेज एंड अकंपलिश गोल्स फ्रॉम ए स्ट्रेंथ पर्सपेक्टिव” विषय पर दो दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन किया जा रहा है। संस्थान के फैकल्टी वेलफेयर सेक्शन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का उद्घाटन १२ अप्रैल को संस्थान के प्रशासनिक भवन में स्थित कांफ्रेंस रूम में किया गया जिसमे संस्थान के माननीय निदेशक प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी बतौर मुख्य अतिथि और कवैलियन्स, इंडिया के एग्जीक्यूटिव वाईस प्रेसीडेंट नरिंदर अहलुवालिआ जी विशिष्ट अतिथि और मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद थे।
कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रोफेसर अवस्थी ने कहा “उच्च तकनीकी शिक्षा के किसी भी संस्थान के पास सबसे महत्वपूर्ण संसाधन उसके संकाय सदस्य होते हैं जो छात्रों को ज्ञान और कौशल सिखाते हैं। और संकाय सदस्यो द्वारा शिक्षा प्रणाली के विकास के लिए जोड़ा गया मूल्य, शैक्षणिक पारिस्थितिकी तंत्र की सफलता की कुंजी है।” उन्होंने कहा की टीचिंग लर्निंग एक सतत प्रक्रिया है और निरंतर इसमें बहुत सारे बदलाव आ रहे। आम लोगो की धारणा है कि केवल छात्रों या शिक्षार्थियों को ही अपने ज्ञान को उन्नत और अद्यतन करने की आवश्यकता है। परन्तु मेरा मत इससे भिन्न है। इस परिवर्तन शील युग में छात्रों से ज्यादा संकाय सदस्यों को अपडेट रहने की आवश्यकता है। तभी वे औद्योगीकरण के इस दौर में तीव्र तकनीकी विकास की जरूरतो को पूरा करने के लिए तकनीकी रूप से कुशल मानव संसाधन की आपूर्ति करने में सक्षम हो सकते है। उन्होंने कहा यह तभी संभव है जब स्वयं संकाय सदस्यो को पता हो कि तकनीक कहां और किस दिशा में जा रही है, उद्योग इन इंजीनियरों को कैसे देख रहा है और 5, 10 या 20 वर्षों के बाद भविष्य क्या होने वाला है। और यह सब उद्योग के साथ तालमेल बिठाकर ही हो सकता। इसी बात को ध्यान में रखते हुए इस फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन किया गया है और इसकी रूपरेखा फ़रवरी माह में कवैलियन्स इंडिया के साथ किये गए समझौते के दौरान ही तैयार कर ली गयी थी।
प्रोफेसर अवस्थी ने कहा कि आज देखा जाए तो कॉम्पिटिशन का जमाना है और कॉम्पिटिशन सर्वव्यापी है। देश में सभी स्तरों पर उच्च शिक्षा में नए संस्थानों की स्थापना और मौजूदा संस्थानों में सुधार का एक सतत विकास पैटर्न देखा जा रहा है। साथ ही संस्थानों की बहुत सी रैंकिंग भी और ये रैंकिंग शैक्षणिक और औद्योगिक क्षेत्रो में छात्रों की उपलब्धियो के सीधे आनुपातिक हैं।
अंत में प्रोफेसर अवस्थी ने मुख्या वक्ता अहलूवालिया का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सभी संकाय सदस्यों से आग्रह किया की सभी लोग इस समय का सदुपयोग करें और अहलूवालिया जी की औद्यगिक अनुभवों का अधिक से अधिक लाभ उठाएं और उसी अनुसार छात्रों को प्रशिक्षित करे।
मुख्यवक्ता अहलुवालिया अपने व्याख्यान में संख्या सदस्यों के साथ सामर्थ्य परिप्रेक्ष्य पर चर्चा करते हुए कहा कि यह एक दृष्टिकोण है जो वास्तविक रूप से स्थितियों को देखता है और समस्या या चिंता पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय विपरीत मौजूदा शक्तियों और क्षमताओं को पूरक और समर्थन करने के अवसरों की तलाश करता है। उन्होंने उदहारण देते हुए कहा कि जिस प्रकार से एक किसान बंजर जमीन की अपेक्षा उपजाऊ भूमि पर फसल उगाता है और बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने का प्रयत्न करता है उसी प्रकार से हमें भी अपने सामर्थ्य पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और साथ में कमजोरियों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति के अंदर एक विलक्षण प्रतिभा होती है, आवश्यकता है उसे पहचानने की और पुरे शिद्दत और जूनून के साथ उसपर काम करना की। सचिन तेंदुलकर, ळतमंगेश्कर, राहुल द्रविण और अन्य सफलतम लोगो का उदहारण देते हुए उन्होंने कहा कि इन सभी लोगो ने अपनी योग्यता को पहचानते हुए पूरी शिद्दत के साथ उस पर काम किया और आज पूरी दुनिया में उनकी एक अलग पहचान है। साथ ही उन्होंने संकाय सदस्यों को उद्योग जगत की आवश्यकताओं और उसके अनुरूप शैक्षणिक पाठ्यक्रम तैयार करने पर भी चर्चा किया।
इस कार्यक्रम में प्रभारी कुलसचिव डॉ धर्मेंद्र त्रिपाठी, डॉ हरिहरन मुथुसामी, डीन फैकल्टी वेलफेयर, डॉ जी एस बरार, डीन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट, डॉ सनत अग्रवाल, डीन रिसर्च एंड कंसल्टेंसी के अलावा संस्थान के समस्त विभागाध्यक्ष और संकाय सदस्यों ने प्रतिभाग किया।